गौ माता की सेवा की कथा से सीखे जीवन मे सुखी रहने का तरीका
शास्त्रो मे बताया गया है की गाय इस सृष्टि का सर्वोत्तम एवम् पूज्य प्राणी है तथा गाय की महत्वता, उपादेयता, आवश्यकता आध्यात्मिक, धार्मिक तथा वैज्ञानिक दृष्टि से सर्वविदित है। यदि हम व्यवहारिक रुप में प्रतिदिन गाय की सेवा करते हैं तो उसको बहुत आश्चर्यचकित करने वाले सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते है, बहुत सी आयुर्वेदिक औषधि है जो गौ मूत्र से ही बनाई जाती है और कई गंभीर बीमारिओ की चिकित्सा मे बहुत लाभप्रत होती है |
आज की दुनिया मे लोग सुख पाने के लिए कई उपाय करते है पर सफल नही होते है | कुछ लोग धन, सुविधाएं आने से सुखी हो जाते हैं और इनके जाने से दुखी भी हो जाते हैं। यदि हम दोनों ही परिस्थितयों के साथ अपनी सोच मे बदलाव करे तो हम धन जाए पर भी सुखी रह सकते है |
इस साधारण कहानी से समझे सुखी रहने का सीधा तरीका…
एक आश्रम में संत महात्मा अपने शिष्य के साथ रहते थे। एक दिन प्रात: शिष्य ने गुरु जी से कहा कि गुरुजी एक भक्त ने हमारे आश्रम के लिए गाय दान की है।
संत ने मुस्कुराते हुए कहा कि यह तो अच्छा है। अब हमे रोज ताजा दूध पीने का तथा गौ माता की सेवा का सौभाग्य प्राप्त होगा | संत और शिष्य ने गाय के दूध का सेवन करने लगे।
कुछ दिन बाद शिष्य ने संत के कहा कि गुरुजी जिस भक्त ने गाय दान मे दी थी, वह अपनी गाय का पुन: वापस ले गया है।
संत ने फिर मुस्कुराते हुए कहा कि अच्छा है। अब रोज-रोज गोबर उठाने की परेशानी खत्म हो गई।
एक आश्रम में संत महात्मा अपने शिष्य के साथ रहते थे। एक दिन प्रात: शिष्य ने गुरु जी से कहा कि गुरुजी एक भक्त ने हमारे आश्रम के लिए गाय दान की है।
संत ने मुस्कुराते हुए कहा कि यह तो अच्छा है। अब हमे रोज ताजा दूध पीने का तथा गौ माता की सेवा का सौभाग्य प्राप्त होगा | संत और शिष्य ने गाय के दूध का सेवन करने लगे।
कुछ दिन बाद शिष्य ने संत के कहा कि गुरुजी जिस भक्त ने गाय दान मे दी थी, वह अपनी गाय का पुन: वापस ले गया है।
संत ने फिर मुस्कुराते हुए कहा कि अच्छा है। अब रोज-रोज गोबर उठाने की परेशानी खत्म हो गई।
इस कहानी की सीख यही है कि परिस्थिति कितनी ही विपरीत क्यो ना हो अगर हम अपनी सोच पर नियंत्रण करे और सकारात्मक सोचे तो हम अपने जीवन को सुखी जीवन बना सकते है |
सकारात्मक विचारो के लिए हमे अपने मन को शांत रखना बहुत आवश्यक है और मन को शांत करने का सबसे अच्छा उपाय है अपने ईष्ट देव की पूजा तथा माता पिता की पूजा |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें