गोवंश संवर्धन और गोवंश वृद्धि के लिए सुंदर, स्वस्थ, बलिष्ठ, उत्तम नस्ल का नंदी होना आवश्यक है। 50 गो पर एक नंदी होना चाहिए। जिस नस्ल की गो हो उसी नस्ल का नंदी होना चाहिए। अर्थात् कांकरेज गो के लिए कांकरेज नस्ल का नंदी, सांचौरी नस्ल के लिए सांचौरी नस्ल का नंदी, गिर गो के लिए गिर नस्ल का नंदी होना चाहिए। कारण कि हर नस्ल की गो का आकार, वजन आदि अलग अलग होते हैं, उनके गर्भाशय आदि की साइज अलग अलग होती है। अगर छोटी नस्ल के पेट में बड़ी नस्ल का बछड़ा होगा तो जन्म के समय बड़ी समस्या होगी और गो के प्राण तक जा सकते हैं।
नंदी की बहुत अच्छी तरह से देखभाल हो। केवल सूखा चारा पर नंदी को न रखें। उसे दाना, तेल, गुड़, हरा चारा आदि पोष्टिक आहार भरपूर मात्रा में देना चाहिए तथा मुक्त विचरण करने देना चाहिए।
अगर अधिक दूध देने वाली गो का बेटा होगा तो उसकी बेटियों के भी अधिक दूध होगा। नंदी को बचपन में मां का भरपूर दूध पिलाना चाहिए। जब उस नंदी की बछड़ियो 3 वर्ष की हो जाय, तब उस नंदी को वहां से हटा देना चाहिए या ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि उनका आपस में संसर्ग न होने पाए।नंदी शिव का स्वरूप होता है, इसलिए उनके प्रति शिव का भाव रखना चाहिए। नंदी के गले मिलने से बड़े से बड़ा श्राप खत्म हो जाता है।
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