गोमाता को मत भूलना, वरना राम भी साथ नहीं देंगे,,, राम और श्याम को पहचानो,,, जो गाय को अपना इष्ट मानते थे, वे राम और श्याम थे,,, गाय से मुंह मोड़ लिया तो राम रूठ जायेंगे।
बिना गोभक्त हुए कोई राम का नहीं हो सकता,,, मन का छलावा है,,, सावधान हो जाओ केवल राम के भक्तों,,, राम के गुरु की नंदिनी को नहीं बचा पाए तो राम तुम्हारे लिए खाली नहीं बैठे हैं,,,
गो के साथ द्रोह से कोई नहीं बच पायेगा,,, वसुंधरा ने गो को हथपूर्वक इग्नोर किया,,, सत्ता से बाहर होना पड़ा,,, अगर उस कार्यकाल में गौसेवा कर देती तो आने वाली सरकार उनकी थी,,, थोड़े अंतर से हराया,,, आभास कराने के लिए,,, अभी भी हिंदूवादी पार्टियों गौसेवा से विमुख रही तो राम सामने नहीं देखेंगे। जो गाय का है, वही राम का हैं।
अपने आकाओं को समझाओ, गो का श्राप मत लो,,, क्यों देश को बर्बाद कर रहे हो। गौहत्या का पाप राजा और प्रजा सबको लील जायेगा,,, हे नेताओं! क्यों तुमसे गो की रक्षा और सेवा नहीं होती? माना कि किन्हीं कारणों से आप अभी तक केंद्र में सत्तारूढ़ होकर भी गौहत्या का कलंक भारत के माथे से मिटा नहीं सके, पर गोमाता को चारा देने से किसने रोका है,,, इसके तो कोई तरीके हो सकते हैं। अशोक जी गहलोत ने कैसे 6 माह का अनुदान दिया? आपके मन में ऐसे गौसेवा के भाव क्यों नहीं हैं? यह हम सब हिंदुओं के लिए दुःख की बात है। क्या आप गोमाता की सेवा का कोई रास्ता नहीं जानते? सब जानते हो, लेकिन गाय को गिनते नहीं हो, गाय को कुछ नहीं समझते हो। इससे हम गोभक्तो की आत्मा रोती हैं। किसको कहें? अपने रूठ गए अब गैरों के टुकड़ों पर पलते हैं!
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