शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022

गाय की छाछ में ऐसा क्या था जो भगवान श्रीकृष्ण उसे पाने की लिए ऐसी ऐसी लीला किया करते थे।


गाय की छाछ में ऐसा क्या था जो भगवान कृष्ण उसे पाने की लिए ऐसी ऐसी लीला किया करते थे। और हम मुर्ख समझना ही नहीं चाहते.... 

सेस महेस, गनेस, दिनेस, सुरेसहु जाहिं निरन्तर गावैं
जाहि अनादि, अनन्त अखंड, अछेद, अभेद सुवेद बतावैं
नारद से सुक व्यास रटैं, पचि हारे तऊ पुनि पार न पावैं
ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भर छाछ पे नाच नचावैं

जिस कृष्ण के गुणों का

 शेषनाग, गणेश, शिव, सूर्य, इंद्र निरंतर स्मरण करते हैं। वेद जिसके स्वरूप का निश्चित ज्ञान प्राप्त न करके उसे अनादि, अनंत, अखंड अछेद्य आदि विशेषणों से युक्त करते हैं। नारद, शुकदेव और व्यास जैसे प्रकांड पंडित भी अपनी पूरी कोशिश करके जिसके स्वरूप का पता न लगा सके और हार मानकर बैठ गए, उन्हीं कृष्ण को अहीर की लड़कियाँ छाछिया-भर छाछ के लिए नाच नचाती हैं।

आज हम में इतनी वर्णशकरता आ गई है कि ना तो कृष्ण को मानते हैं और ना ही कृष्ण की गईया को.......
हा जानते जरूर है लेकिन मानते नहीं।

मै ज्यादा तो नहीं कहुंगा हा अगर वास्तव में ही आप कृष्ण की गईया की छाछ वैदिक पद्धति से बनीं सुबह निराहार नियम से पी ले तो  पेट की गर्मी, कब्ज, बवासीर जैसी बीमारी छू मन्तर ना हो जाए तो कहना।

बस छाछ 100प्रतिशत वेदलक्षणा गाय की होनी चाहिए और वैदिक पद्धति से बनीं होनी चाहिए। ना कि दूध डेयरी कम्पनियों की क्योंकि वो चाहे भी तो भी वैदिक पद्धति से छाछ नहीं बना सकते...... 


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