देशी गाय की छाछ जहर को भी समाप्त करने की क्षमता रखती है।
देशी गाय की छाछ के बारे में तो ऐसा बताते हैं कि अगर समुद्र मंथन के समय छाछ की उत्पत्ति हो गई होती तो भगवान शंकर का नाम नीलकंठ नहीं होता। इतनी शक्ति है देशी गाय की वैदिक पद्धति से बनाई गई छाछ में, वैदिक विधि से बनाई गई छाछ जहर को भी समाप्त कर देती है।
देशी गाय के दुध से बना दही जिस दही में चार गुना जल मिलाकर मथा जाये उसे छाछ (तक्र) कहते है ।
तक्र का गुण :-
आयुर्वेद मे छाँछ को पृथ्वी का अमृत कहा हैं । देशी गाय के दुध का जमाया हुआ दही मथकर जो छाँछ बनाया जाता हैं उसे ' तक्र ' कहते है । यह खट्टा होने से शीध्र ही वातरोग नष्ट करता हैं , मीठा होने से पित्तविकार नष्ट करता है । और कसैल होने से कफ नष्ट करता हैं , अर्थात तीनो दोषों का शमन करनेवाला होता हैं । छाँछ भोजन मे रुचि तथा भुख दोनों बढाता हैं । खाने की इच्छा न होतो छाँछ के साथ भोजन करने से खाने की इच्छा होती हैं ।
छाँछ मेधा ( वुद्धि ) बढाता हैं । बवासीर मे भी उपयुक्त हैं ।ग्रहणी नामक व्याधि ( पतले , दुर्गधियुक्त दस्त ) मे छाँछ का सेवन अत्यंत उपयुक्त हैं ।
खुन की कमी , मोटापा , पेट की बीमारियँ , प्यास तथा पेट मे किड़े होना ( कृमी ) मे छाँछ उपयुक्त हैं
भावप्रकाश मे तो यहाँ तक कहा हैं कि नित्य तक्र का सेवन करनेवाला व्यक्ति कभी भी बीमार नहीं पड़ता हैं और तक्र के प्रभाल से नष्ट हुये रोग पुनः कभी उत्तपन्न नही हो सकते । अतः इसे पृथ्वीतल का अमृत कहा गया हैं ।
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