सोमवार, 2 मई 2022

वेदलक्षणा गाय हमारे लिए ईश्वर का वरदान है


वेदलक्षणा गाय हमारे लिए ईश्वर का वरदान है.......

वेदों मे वर्णित परम पिता परमेश्वर ने हम मानवजाति पर बडा ही कृपा और करुणायुक्त उपकार करके परोपकारार्थ इन स्वदेशी ममतामयी करुणामुर्ति गौमाताओं को यह पृथ्वी ग्रह पर उत्पन्न किया है !

हमारे भौतिक-आध्यात्मिक अभ्युदय, उत्थान, प्रगति और विकास हेतु स्वदेशी गौवंश रुपी अमुल्य, बहुमूल्य वरदान सृष्टि कर्ता सर्वेश्वर ने हमारे लिए जबसे यह सृष्टि का शुभारंभ हुआ तबसे ही हमें बड़े ही बृहद उपकारों, उपहारों  के रुप मे प्रीति पुर्वक प्रदान कर दिया है !!

लेकिन हम मनुष्य धीरे-धीरे प्रति दिन,महिने बरसों से इतने धूर्त एवं मूर्ख सिद्ध होते जा रहे हैं कि हमें आज अभी तक ईश्वरीय दो तरह के अमुल्य वरदान वेद और वेदलक्षणा गौमाताओं के मौजूदा अस्तित्व से हमारे सम्यक् धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष रुपी पुरुषार्थ चातुष्टय कि सर्वोत्कृष्ट एवं सर्वोत्थानित उन्नतियों कि अमुल्य आनंददायक सिद्धियों का लाभ कैसे लिया जाय .. !? यह पता ही नहीं है  !!! 

अब हमारी यह घोर अज्ञानतावश परिणाम यह देखा जा रहा है कि, -->  जैसे कोई कीमती हीरे मोती को धूल-मिट्टी मे धूमिल कर दिया हो,ढकेल दिया हो ! ऐसे हालात इन ईश्वरीय वरदान का कर दिया है हमने .. !!

जब जड़ या चेतन वस्तु या पदार्थों कि हमारी  जड़्यता-अज्ञानता वश पहचान या महिमा मालुम न हों तो तब .. हम मूर्ख व्यक्तित बनकर क्या पागलपन करते है उनका सटीक उदाहरण  चाणक्य पंडित ने अपने  नीतिश्लोक मे पेश किया है कि, -- जंगल के उम्रवान हाथियों के गंडस्थल से गजमौक्तिक्य नामक बहुमूल्य रत्न जमीन पर गिरते रहते हैं! अब जंगल मे रहने और घूमने वाली भीलनी स्त्रियों इन गजमौक्तिक्यों को निरर्थक, साधारण या वृथा मानते हुये कुतूहल वश हाथों में लेकर कूछ काल पर्यन्त खिलवाड़ कर के फेंक देती है! और गुंझा ( चणकबाबा,चणोठी) नामक लता के लाल,काले,सफ़ेद बीजों को धागे मे पिरोकर उनका हार बनाके शृंगार के रुप मे गले में पहनती है .. !! 

चाणक्य पंडित कहते हैं कि, -- "  गजे गजे न मौक्तिक्यम् " || अब हर हाथी के गंडस्थल मे से मोती नहीं नीचे गिरते  ! वो तो दुर्लभ हाथी ही होते हैं।  

बिलकुल वैसे ही हमारे स्वदेशी भारतीय गौवंश जैसी वात्सल्यमयी, ममतामयी गौवंश नश्लें पाश्चात्य यवनम्लेच्छयहूदियों के मुल्कों मे उत्पन्न नहीं होती!

अब हमारे फ़िलहाल हालात वो जंगल कि भीलनी जैसे है। 

हमारे विविध स्वदेशी गौवंश रुपी बहुमूल्य-अमुल्य रत्नों का हमे ख़ुद महिमा-मूल्य ही मालुम्मात नहीं है कि ,--> उनके भरपूर सात्विक अस्तित्व का उपयुक्त उपयोग कैसे किया जाय  .. !?  उनके द्वारा प्राप्त पंचगव्यामृतों का.......

गाय से जुड़े रहने के लिए......

मलाई अगर आप खा जायेगें तो बिल्ली मौसी (डेयरी कम्पनी) क्या करेगी..


मलाई अगर आप खा जायेगें तो बिल्ली मौसी (डेयरी कम्पनी) क्या करेगी..........

आप ये मत समझ लेना कि दूध डेयरी कम्पनी वाले आप को मलाईदार दूध देते होगें। अरे भाई जो खुद मलाई खाने को डेयरी कम्पनी बनाई है भला वो आपको क्यूँ मलाई खिलायेगें।

जो लोग बड़ी बड़ी दूध डेयरी कम्पनियों का दूध इस लिए पीते हैं कि इनका दूध मलाई दार आता है। लेकिन आप इस भ्रम में मत रहना क्योंकि अधिकतर दूध डेयरी कम्पनियां वाले दूध में मलामाईन पाउडर मिलाते हैं अगर आप को मेरी बात पर यकीन नहीं तो स्वयं ही गूगल पर सर्च कर देख लेवे । 
वैसे भी आप को मलाई दे देगें तो घी कहा से बनायेंगे......

अब बात करते हैं गाढ़ा दूध की, तो आप को होमोनाईज करके बिना फैट का दूध गाढ़ा करके पिलाया जा रहा है।  होमोनाईज दूध की चाय भी गाढ़ी ही बनती है, मतलब साफ है कि आप को सफेद पानी गाढ़ा करके पिलाया जा रहा है वो भी 38 रूपये से 44 रूपये तक, अब निर्णय आप को करना है कि आप को मलामाईन पाउडर या सफेद पानी, पीना है या भारतीय वेदलक्षणा गौमाता का दूध....

बीमारियों को गले लगाना है तो मलाईदार और गाढ़ा दूध पियो और अगर नहीं तो भारतीय वेदलक्षणा गाय का दूध पियो।



अब मुझे नहीं लगता कि गौशाला वाले भी गायों को बचा पायेगे।

अब मुझे नहीं लगता कि गौशाला वाले भी गायों को बचा पायेगे।

कारण साफ है, सरकारे भी नहीं चाहती कि गाय बचें। क्योंकि गाय बचने में, सरकार को कहीं लाभ नजर नहीं आता......

किसान कम दूध के चक्कर में देशी गाय पालता नहीं। अब बेचारी गाय जाये तो जाये कहा?

अपनी सामर्थ्य अनुसार गौशाला वालों ने कुछ देशी गोवंश बचा रखा है लेकिन सरकारों की गलत नीतियों के कारण गोचरभूमि को भी बेचा जा रहा है। 
गौशाला वाले बिना गोचरभूमि के गायों को पालें भी तो पालें कैसे?

सच तो ये है कि सरकार की तरह से जो अनुदान दिया जाता है उसमे तो एक वर्ष की बछिया का भी पेट ना भरें फिर गाय का कैसे भरेगा।

आम लोगों को कोई गायों से लेना देना नहीं अगर किसी गौशाला में गाय भूख से मरे, तो आम लोग बाते और बनाने लग जाते हैं। कि गौशाला में दान तो खूब आता है फिर गाय भूख से क्यों मर रही हैं।
कुल मिलाकर सबको अपनी दाल रोटी की चिंता है। गाय अगर बचाये तो गौशाला वाले क्योंकि उन्होंने तो पिछले जन्म में इस जनता के काले चने जो चाबे थे।
अरे भई ऐसे निर्दय मत बनो नींद से जागो गायों का चारा कुछ राक्षसी प्रवर्ति के लोगों के कारण डबल रेट हो गया है। गौशाला वालों की तो पहले ही स्थिति खराब थी अब और हो गई है।
आप लोगों से विनती है कि अपनी सामर्थ्य अनुसार गौशाला वालों का सहयोग करें। अन्यथा कोहिनूर जैसा गोवंश बचना मुस्किल हो जायेगा।