सोमवार, 2 मई 2022

अब मुझे नहीं लगता कि गौशाला वाले भी गायों को बचा पायेगे।

अब मुझे नहीं लगता कि गौशाला वाले भी गायों को बचा पायेगे।

कारण साफ है, सरकारे भी नहीं चाहती कि गाय बचें। क्योंकि गाय बचने में, सरकार को कहीं लाभ नजर नहीं आता......

किसान कम दूध के चक्कर में देशी गाय पालता नहीं। अब बेचारी गाय जाये तो जाये कहा?

अपनी सामर्थ्य अनुसार गौशाला वालों ने कुछ देशी गोवंश बचा रखा है लेकिन सरकारों की गलत नीतियों के कारण गोचरभूमि को भी बेचा जा रहा है। 
गौशाला वाले बिना गोचरभूमि के गायों को पालें भी तो पालें कैसे?

सच तो ये है कि सरकार की तरह से जो अनुदान दिया जाता है उसमे तो एक वर्ष की बछिया का भी पेट ना भरें फिर गाय का कैसे भरेगा।

आम लोगों को कोई गायों से लेना देना नहीं अगर किसी गौशाला में गाय भूख से मरे, तो आम लोग बाते और बनाने लग जाते हैं। कि गौशाला में दान तो खूब आता है फिर गाय भूख से क्यों मर रही हैं।
कुल मिलाकर सबको अपनी दाल रोटी की चिंता है। गाय अगर बचाये तो गौशाला वाले क्योंकि उन्होंने तो पिछले जन्म में इस जनता के काले चने जो चाबे थे।
अरे भई ऐसे निर्दय मत बनो नींद से जागो गायों का चारा कुछ राक्षसी प्रवर्ति के लोगों के कारण डबल रेट हो गया है। गौशाला वालों की तो पहले ही स्थिति खराब थी अब और हो गई है।
आप लोगों से विनती है कि अपनी सामर्थ्य अनुसार गौशाला वालों का सहयोग करें। अन्यथा कोहिनूर जैसा गोवंश बचना मुस्किल हो जायेगा।

                  

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