मंगलवार, 21 मई 2019

साधु समाज से गोरक्षा के लिए मेरी विनम्र प्रार्थना:स्वामी रामसुखदासजी महाराज

साधु समाज से गोरक्षा के लिए मेरी विनम्र प्रार्थना

सभी साधु-संतों से मेरी प्रार्थना है कि अभी गायों की हत्या जिस निर्ममता से हो रही है, वैसी तो अंग्रेजों व मुसलमानों के साम्राज्य में भी नहीं होती थी।

हम सभी को मिलकर इसे रोकने का पूर्ण रुप से प्रयास करना चाहिये। इस कार्य को करने का अभी अवसर है और इसका होना भी सम्भव है। गाय के महत्व को आप लोगों को बतायें, क्योंकि आप तो स्वयं दूसरों को बताने में समर्थ हैं।

यदि प्रत्येक महन्त व मण्डलेश्वर चाहें तो हजारों आदमियों को गोरक्षा के कार्य हेतु प्रेरित कर सकते हैं। आप सभी मिलकर सरकार के समक्ष प्रदर्शन कर शीघ्र ही गोवंश के वध को पूरे देश में रोकने का कानून बनवा सकते हैं।

यदि साधु समाज इस पुनीत कार्यको हिन्दू-धर्म की रक्षा हेतु शीघ्र कर लें तो यह विश्वमात्र के लिये बड़ा कल्याणकारी होगा।

अभी चुनाव का समय भी नजदीक है। इस मौके पर आप सभी एकमत होकर यह प्रस्ताव पारित कर प्रदर्शन व विचार करें कि हर भारतीय इस बार अन्य मुद्दों को दरकिनार कर केवल उसी नेता या दल को अपना मत दे जो गोवंश-वध अविलम्ब रोकने का लिखित वायदा करे तथा आश्वस्त करे कि सत्ता में आते ही वे स्वयं एवं उनका दल सबसे पहला कार्य समूचे देश में गोवंश-वध बंद कराने का करेगा।

देशी नस्ल की विशेष उपकारी गायों के वशं तक के नष्ट होने की स्थिति पैदा हो रही है, ऐसी स्थिति में यदि समय रहते चेत नहीं किया गया तो अपने और अपने देशवासियों की क्या दुर्दशा होगी? इसका अन्दाजा मुश्किल है।

आप इस बात पर विचार करें कि वर्तमान में जो स्थिति गायों की अवहेलना करने से उत्पन्न हो रही है, उसके कितने भयंकर दुष्परिणाम होंगे। 1947 के बाद भी भारत में गायों की हत्या जैसा जघन्य अपराध भी नहीं रोका जा सकता तो यह कितने आश्चर्य और दु:ख का विषय होगा।

आप सभी भगवान्‌ को याद करके इस सत्कार्य में लग जावें कि हमें तो सर्वप्रथम गोहत्या बन्द करवानी है, जिससे सभी का मंगल होगा। इससे बढ़कर धर्म-प्रचार का और क्या पुण्य-कार्य हो सकता है।

पुन: सभी से मेरी विनम्र प्रार्थना है कि आप सभी शीघ्र ही इस उचित समय में गायों की हत्या रोकने का एक जनजागरण अभियान चलाते हुए सभी गोभक्तों व राष्ट्रभक्तों को जोड़कर सरकार को बाध्य करके बता देवें कि अब तो गोहत्या बन्द करने के अतिरिक्त सत्ता में आरुढ़ होने का कोई दूसरा उपाय नहीं है।

साथ ही यह भी स्पष्ट कर दें कि जनता-जनार्दन ने देश में गोहत्या बंद कराने का दृढ़ संकल्प ले लिया है ।

गाय के दर्शन, स्पर्श, छाया, हुँकार व सेवा से कल्याण, सुखद- अनुभव, सद्‌भाव एवं अन्त:करण की पवित्रता प्राप्त होती है। गाय के घी, दूध, दही, मक्खन व छाछ से शरीर की पुष्टि होती है व निरोगता आती है।

गोमूत्र व गोबर से पञ्चगव्य और विविध औषधियाँ बनाकर काम में लेने से अन्न, फल व साग-सब्जियों को रासायनिक विष से बचाया जा सकता है। गायों के खुर से उड़ने वाली रज भी पवित्र होती है; जिसे गोधूलि-वेला कहते हैं, उसमें विवाह आदि शुभकार्य उचित माना जाता है।

जन्म से लेकर अन्तकालतक के सभी धार्मिक संस्कारों में पवित्रता हेतु गोमूत्र व गोबर का बड़ा महत्व है। गाय की महिमा तो आप और हम जितनी बतायें उतनी ही थोड़ी है, आश्चर्य तो यह है सब कुछ जानते हुए भी गायों की रक्षा में हमारे द्वारा विलम्ब क्यों हो रहा है?

गाय की रक्षा करने से भौतिक विकास के साथ-साथ आर्थिक,  व्यावहारिक,  सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक एवं अनेकों प्रकार के विकास सम्भव हैं, लेकिन गाय की हत्या से विनाश के सिवाय कुछ भी नहीं दिखता है।

अतः अब भी यदि हम जागें तो गोहत्या को सभी प्रकार से रोककर मानव को होने वाले विनाश से बचा सकते हैं । गो-सेवा, रक्षा, संवर्धन तथा गोचर भूमि की रक्षा करने से पूरे संसार का विकास सम्भव है।

आज गोवध करके गोमांस के निर्यात से जो धन प्राप्त होता है उससे बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। इसलिये ऐसे गोहत्या से प्राप्त पापमय धन के उपयोग से कथित विकास ही विनाशकारी हो रहा है। यह बहुत ही गम्भीर चिन्ता का विषय है।

अन्त में सभी साधु समाज से मेरी विनम्र प्रार्थना है कि अब शीघ्र ही आप सभी और जनता मिलकर गोहत्या बन्द कराने का दृढ़ संकल्प लेने की कृपा करें तो हमारा व आपका तथा विश्वमात्र का कल्याण सुनिश्चित है।

इसी में धर्म की वास्तविक रक्षा है और धर्म-रक्षा में ही हम सबकी रक्षा है ।
   
प्रार्थी :- स्वामी रामसुखदास (‘कल्याण’ वर्ष-७८, अंक ४)   

आशा करता हूँ कि स्वामी जी रामसुखदास जी महाराज की यह दर्दभरी प्रार्थना आपके हृदय को गौमाता की वर्तमान- स्थिति से व्यथित करके, आपके हृदय में करुणा, दया और सेवा का भाव पैदा करके आपको गौ-सेवाके लिये प्रेरित करें। आप अपने- अपने क्षेत्र में स्वामीजी महाराज के इस विचार को जनता तक, सन्तों तक प्रादेशिक प्रिंट- मिडिया, इलेक्ट्रोनिक मिडिया द्वारा पहुचाये।

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