गोमूत्र से बैटरी वाली लालटेन चलेगी. इस बैटरी को बिजली से चार्ज नहीं करना पड़ेगा.
एसिड की जगह गोमूत्र का इस्तेमाल होगा. बैटरी लो होने पर चार्ज करने के बजाए गोमूत्र बदलने से लालटेन में लगी 12 वोल्ट की बैटरी पुन: फुल चार्ज हो जाएगी और लाइट जलने लगेगी.
यह अनोखा व बेहद उपयोगी प्रयोग किया है कामधेनू पंचगव्य एवं अनुसंधान संस्थान अंजोरा के डायरेक्टर डॉ. पी.एल. चौधरी ने. बैटरी में 500 ग्राम गोमूत्र का उपयोग कर 400 घंटे तक 3 वॉट के एलईडी (लेड) बल्ब से रौशनी प्राप्त की जा सकती है.
श्री चौधरी के इस मॉडल का मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के समक्ष प्रदर्शन किया जा चुका है. उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए इसे प्रदेश पंचगव्य संस्थान के लिए बड़ी उपलब्धि बताया.
गोमूत्र से लालटेन के इस प्रयोग को नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ रायपुर ने भी प्रमाणित किया है. डॉ. चौधरी ने बताया कि इस लालटेन में बैटरी के भीतर डाले जाने वाली एसिड की जगह गोमूत्र डाला गया. इसमें किसी भी प्रकार का कोई केमिकल नहीं मिलाया गया है, न ही बैटरी में कोई बदलाव किया गया है.
खास बात यह है कि बैटरी सिर्फ देशी गाय के गोमूत्र से ही चलेगी. इसे मोटर साइकिल की पुराने बैटरी का उपयोग कर विकसित किया गया है. उन्होंने बताया कि लालटेन में जब बल्ब की रोशनी कम होने लगती है तो गोमूत्र को बदलना होता है.
यह चमत्कारी प्रयोग है जो आदिवासी या अन्य इलाकों जहां बिजली की परेशानी होती है उन क्षेत्रों में काफी उपयोगी साबित होगा. उन्होंने इस प्रयोग को पेटेन्ट कर अनुसंधान को आगे भी जारी रखने की बात कही. एनआईटी रायपुर ने इस प्रयोग को पर्यावरण मित्र और गैर पंरापरागत साफ सुथरी ऊर्जा का स्रोत बताते हुए इसे ग्रामीण क्षेत्रों के लिए काफी उपयोगी बताया है.
किसानों को मिलेगी प्रेरणा एसिड की जगह गोमूत्र से चलने वाली बैटरी के बारे में डॉ. पी.एल. चौधरी ने बताया कि बैटरी से लाइट बंद होने पर यह इमरजेंसी लाइट की तरह कार्य करेगा. इससे मोबाइल को भी चार्ज किया जा सकता है. गोमूत्र बैटरी को ऊर्जा मिलने से बिजली की खपत कम होगी. किसानों को पशुपालन के लिए प्रेरणा मिलेगी. डॉ. चौधरी ने बताया कि यह कमाल केवल देशी नस्ल की गाय के मूत्र में ही संभव है
http://navabharat.org/chhattisgarh-cg/147-durg-bhilai-news/43529--गोमूत्र-से-जलेगी-लालटेन
http://www.youtube.com/watch?v=VFB4jnj7Rwc
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