शनिवार, 19 जुलाई 2014

आशा थी मोदी जी आपसे की आप जल्दी ही गऊ माँ को बचाने की पहल करेंगे।

आशा थी आपसे की आप जल्दी ही
गऊ माँ को बचाने की पहल करेंगे।

मोदी जी आप बाकी काम बाद में 
करना पहले हमारी गऊ माँ को राष्ट्र जीव 
घोषित कीजिये ।
तभी भारत विश्व गुरु बनेगा ।

अगर गऊ माँ इसी तरह कटती रहेगी तो 
भारत भी इसी तरह तडपता रहेगा 
और दिन प्रतिदिन बद से बदतर होता जायेगा।

मोदी जी आपको वोट सिर्फ हिन्दुओं ने 
ही दिए हैं और भविष्य में भी हिन्दू ही बीजेपी
को वोट देंगे ।
सुवर कहिये या कट्वे ये आपके कल भी
भी नहीं थे आज भी नहीं हैं और कल भी 
नहीं होंगे।
=================
जब तक गऊ हत्या बंद नहीं होगी यह देश
हिन्दू राष्ट्र नहीं बन सकता और न ही तरक्की
करेगा।

निवेदक 
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया 

join us www.gokranti.com

बुधवार, 16 जुलाई 2014

"देसी गाय के घी में है अद्भुत, विलक्षण एवं औषधीय जीवनी शक्ति"

"देसी गाय के घी में है अद्भुत, विलक्षण एवं औषधीय जीवनी शक्ति".
आईये जाने:-

देसी गाय की जितनी भी नस्ल होती हैं उन सभी के कंधाड़ ऊपर की ओर गोल-गोल निकले होते हैं. जो लोगअपने जीवन में वनस्पति तेल एवं डालडा आदि का सेवन न करते हुए सिर्फ देसी गाय के दूध एवं घी का ही सेवन करते हैं उनके जीवन में कभी किसी प्रकार के रोग नहीं होते हैं. भैंस के दूध एवं घी में किसी भी प्रकार के औषधीय गुण नहीं होते हैं व यह पचने में भी गरिष्ठ एवं हानिकारक ही होता है अतः भैंस के दूध/घी का सेवन भी न करना ही श्रेयस्कर है जबकि बिना कंधाड़ वाली, सपाट, जर्सी गायों के दूध एवं घी का तो भूलकर, गलती से भी सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये शरीर के लिए अत्यंत रोगजनक एवं नुकसान दायक होते हैं.

१/. देसी गाय के घी की दो-दो बूँद दोनों नासिकाओं में सुबह-शाम डालने सेहोने वाले अद्भुत लाभ इस प्रकार हैं:
माईग्रेन दर्द ठीक होता है;
एलर्जी खत्म हो जाती है;
कान का पर्दा बिना ऑपरेशन के ही ठीक हो जाता है;
लकवा-रोग में लाभ मिलता है;
नाक की खुश्की दूर होती है;
पागलपन दूर होता है;
कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लौट आती है;
मानसिक शांति मिलती है,
याददाश्त तेज होती है और दिमाग तरोताजा हो जाता है.
बाल झड़ना समाप्त होकर नए काले बाल आने लगते हैं.
देसी गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार, नाक में प्रयोग करने से शरीर के अन्दर त्रिदोष यानि वात, पित्त और कफ में संतुलन हो जाता है.

२/. हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी.

३/. अन्य वनस्पति तेल एवं डालडा आदि का सेवन बंद कर अगर उनके स्थान पर देसी गाय के घी का नियमित रूप सेवन किया जाए तो एसिडिटी व कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है, बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है. अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास देसी गाय के दूध में एक चम्मच देसी गाय का घी और मिश्री डालकर पिएँ तुरंत राहत महसूस होगी.

४/. ध्यान रखें देसी गाय के घी के सेवन से न तो कॉलेस्ट्रॉल बढ़ता है और न ही वजन बढ़ता है, बल्कि देशी गाय का घी शरीर के वजन को संतुलित करता है यानि कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम
होता है.

५/. देसी गाय के घी में स्वास्थ्य के लिय फायदा पहुँचाने वाला अच्छा कोलेस्ट्रॉल अर्थात (HDL) पाया जाता है साथ ही साथ देसी गाय का घी शरीर में गंदे कोलेस्ट्रॉल अर्थात (LDL) को जमा नहीं होने देता है जिससे मनुष्य के शरीर के अन्दर उच्च-रक्तचाप एवं ह्रदय के ब्लाकेज संबंधित संभावनाएँ समाप्त हो जाती हैं. उच्च-कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को तथा सभी स्वस्थ लोगों को भी रिफाईंड तेल एवं डालडा आदि का सेवन बंद करके यथासंभव, जरूरतपूर्ता, देसी गाय के घी का ही सेवन करना चाहिए, क्योंकि यह मनुष्य के लिए न सिर्फ एक बहुत अच्छा टॉनिक ही है बल्कि यह दैविक गुणों से भरपूर एक अद्वित्तीय अमृततुली औषधि भी है. जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाई खाने की मनाही है, ऐसा व्यक्ति भी अगर देसी गाय के घी का सेवन करे तो उसका ह्रदय भी शनैः शनैः रोगमुक्त होकर मज़बूत होता जाता है.

६/. एक चम्मच देसी गाय के शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से
देसी गाय का ही शहद मिला हुआ कुनकुना दूध पीने से आँखों की ज्योति तेजी से बढ़ती है.

७/. सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करें, सरदर्द ठीक हो जायेगा. इसी प्रकार हथेली और पाँव के तलुओं में जलन होने की स्थिति में देसी गाय के घी में थोड़ा ठंडा पानी मिलाकर उनकी मालिश करने से तुरंत लाभ मिलता है.

८/. देसी गाय के पुराने घी से बच्चों की छाती और पीठ पर मालिश करने से बच्चों की कफ़ की शिकायत दूर हो जाती है.

९/. देसी गाय के 20-25 ग्राम घी को मिश्री के साथ मिलाकर खिलाने से शराब, भाँग व गांजे के नशे का प्रकोप कम हो जाता है.

१०/. सर्प के काटने पर उल व्यक्ति को 100-150 ग्राम देसी गाय का घी तुरंत पिलायें व ऊपर से जितना ज्यादा से ज्यादा गुनगुना पानी पिला सकें पिलायें. ऐसा करने से ग्रस्त व्यक्ति को उल्टी और दस्त तो लगेंगे लेकिन इनके साथ ही साँप का विष भी शरीर में से कम हो जायेगा.

११/. देसी गाय का घी न सिर्फ स्वस्थ व्यक्ति के अन्दर के अन्दर कैंसर पैदा होने की संभावनाओंको हीसमाप्तकरता है बल्कि यदि कैंसरग्रस्त रोगी को भी अगर देसी गाय के घी का सेवन कराना आरंभ किया जाए तो यह इस बीमारी के फैलने
को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है. देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक
क्षमता होती है. इसके सेवन से स्तन तथा आँत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है.

घर घर गाय पले

आपका मित्र
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया
Join us www.gokranti.com

एड्स से बचायेगा गाय का दूध

*** एड्स से बचाएगा गाय का दूध ***

गाय के दूध को बहुत पौष्टिक होता है । भारत में सदियों से इसके फायदों की बात की जाती रही है । यहां तो नवजात बच्चों को भी गाय का दूध पिलाया जाता था पर अब हमारी सरकारों ने ऐसी व्यवस्था कर दी   है कि अधिकतर लोगों के दिमाग में यह बिठा दिया गया है कि गाय दूध ही नहीं देती या उसकी उपयोगिता ही नहीं है
***कृपया यह ध्यान रखें कि हम गौमाता यानि देसी गाय की बात कर रहे हैं गाय जैसे दिखने वाले प्राणी जिसे जर्सी कहते हैं उसकी बात नहीं कर रहे हैं उसे तो सूअर के जींस डाल कर मांस के लिए तैयार किया था ।
अतः गाय का मतलब देसी भारतीय गाय / गौमाता ।

अब पता चला है कि इसका दूध एचआईवी वायरस से भी निपट सकता है। देसी गाय के दूध पर यह रिसर्च ऑस्ट्रेलिया में की गई है। रिसर्च के नतीजे आने के बाद कहा गया है कि देसी गाय के दूध से एचआईवी वायरस पर असर
करने वाली क्रीम या जेल बनाया जा सकता है ।
देसी गाय के दूध में ऐंटीबॉडी यानी रोग प्रतिरक्षी होते हैं , ये शरीर के इम्यून सिस्टम या प्रतिरक्षी तंत्र को स्वस्थ रखने और उसे मजबूत बनाने का काम करते हैं. जब एचआईवी वायरस शरीर पर हमला करता है तो वह प्रतिरक्षी तंत्र को कमजोर करने
लगता है।  देसी गाय के दूध में मौजूद ऐंटीबॉडी इस से लड़ सकते हैं।

ऐंटीबॉडी एक तरह का प्रोटीन होता है जो बीमारियों से लड़ने का काम करता है। संक्रमण का खतरा नहीं है मेलबर्न यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों ने गर्भवती गायों पर शोध किया तो यह बात सामने आई। गर्भावस्था के आखिरी महीनों में ही दूध बनने लगता है। इसे फर्स्ट मिल्क या कोलोस्ट्रम कहा जाता है. रिसर्च के लिए इसी का इस्तेमाल किया गया। रिसर्च टीम के अध्यक्ष प्रोफेसर डामियान पर्सल बताते हैं कि कोलोस्ट्रम में भारी मात्रा में एंटीबॉडी मौजूद होते हैं, जो बाद में धीरे धीरे यह मात्रा कम होती रहती है, “यदि जन्म के बाद बछड़े को दूध ना मिले तो उसे बीमार होने का खतरा रहता है। कई बार तो संक्रमण के कारण उसकी जान भी जा सकती है.”
एचआईवी के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह वायरस कई तरह का होता है. पर्सल
बताते हैं, “हर व्यक्ति में एचआईवी के उतने ही अलग प्रकार हो सकते हैं जितने इस पृथ्वी पर इंसान हैं. कम ही लोगों में यह क्षमता होती है कि उनका शरीर वायरस के प्रकार को समझ पाए और उसके खिलाफ
ऐंटीबॉडी बना सके। लेकिन देसी गाय ऐसा कर सकती हैं।”
यही वजह है कि गाय को एचआईवी संक्रमण का खतरा नहीं होता।

वैज्ञानिक अब चाह रहे हैं कि दवा बनने वाली कंपनी के साथ मिल कर संक्रमण को रोकने के लिए दवा तैयार की जाए। ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने इसके लिए बायोटेक्नॉलॉजी कंपनी इम्यूरोन
से बात भी शुरू कर दी है। इन दवाओं को क्रीम या जैल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस बारे में भी चर्चा चल रही है कि महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक रिंग में इसका इस्तेमाल किया जाए ताकि एंटीबॉडी लगातार वायरस के खतरा से बचा सकें।
देसी गाय के दूध से इन दवाओं का बनना इसलिए भी फायदेमंद है क्योंकि इनकी कीमत काफी कम रहेगी। पर्सल की टीम की मारित क्रामस्की बताती हैं, “गाय के दूध के इस्तेमाल से हम बड़ी संख्या में एंटीबॉडी तैयार कर सकते हैं और इस पर खर्च भी बहुत कम आएगा. हम उम्मीद कर रहे हैं कि अंत में हमारे पास एक ऐसा प्रॉडक्ट होगा जिसकी कीमत ज्यादा नहीं होगी।”
दुनिया भर में करीब साढ़े तीन करोड़ लोग एचआईवी से संक्रमित हैं। इस रिसर्च के
बाद उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही एचआईवी की रोकथाम के लिए टीका भी तैयार किया जा सकेगा।

 साथियों  अब शायद आपको समझ में आ गया होगा कि हमारे पूर्वज क्यों गाय की महिमा गाते हैं और हम मूर्खों की तरह विदेशी दवाओं पर तो विश्वास कर लेते है पर अपनी संस्कृति और अपनी विरासत को सहेजने में शर्म महसूस करते हैं ।

यदि हर भारतीय सिर्फ देसी गाय का दूध पीना ही शुरू कर दे तो गाय तो बचेगी ही साथ ही आपको आरोग्य फ्री में मिलेगा ।

अपना देश अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति अपनी भाषा अपना गौरव
निवेदक आपका मित्र
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया
join us www.gokranti.com

वन्दे मातरम्


बुधवार, 9 जुलाई 2014

गाय एक अद्भुत रसायनशाला है ।

गाय एक अद्भुत रसायनशाला है ।

" जननी जनकार ढूध पिलाती , केवल साल छमाही भर ;
" गोमाता पय-सुधा पिलाती , रक्षा करती जीवन भर " ।

- अमेरिका के कृषि विभाग द्वारा प्रकाशित हुई पुस्तक " THE COW IS A WONDERFUL LABORATORY " के अनुसार प्रकृति ने समस्त जीव-जंतुओं और सभी दुग्धधारी जीवों में केवल गाय ही है जिसे ईश्वर ने 180 फुट (2160 इंच ) लम्बी आंत दी है जो की एनी पशुओ में ऐसा नहीं है जिसके कारण गाय जो भी खाती-पीती है वह अंतिम छोर तक जाता है ।

लाभ :- जिस प्रकार दूध से मक्खन निकालने वाली मशीन में जितनी अधिक गरारियां लगायी जाती है उससे उतना ही वसा रहित मक्खन निकलता है , इसीलिये गाय का दूध सर्वोत्तम है ।

गो वात्सल्य :- गौ माता बच्चा जनने के 18 घंटे तक अपने बच्चे के साथ रहती है और उसे चाटती है इसीलिए वह लाखो बच्चों में भीवह अपने वच्चे को पहचान लेती है जवकि भैस और जरसी अपने बच्चे को नहीं पहचान पायेगी । गाय जब तक अपने बच्चे को अपना दूध नहीं पिलाएगी तब तक ढूध नहीं देती है , जबकि भैस , जर्सी होलिस्टयन के आगे चारा डालो और ढूध दुह लो ।

*** बच्चो में क्रूरता इसीलिए बढ़ रही है क्योकि जिसका ढूध पी रहे है उसके अन्दर ममता नहीं है ।

खीस :- बच्चा देने के गाय के स्तन से जो दूध निकलता है उसे खीस, चाका, पेवस, कीला कहते है , इसे तुरंत गर्म करने पर फट जाता है । वच्चा देने के 15 दिनों तक इसके दूध में प्रोटीन की अपेक्षा खनिज तत्वों की मात्रा अधिक होती है , लेक्टोज , वसा ( फैट ) एवं पानी की मात्रा कम होती है ।
खीस वाले दूध में एल्व्युमिन दो गुनी , ग्लोव्लुलिन 12-15 गुनी तथा एल्युमीनियम की मात्रा 6 गुनी अधिक पायी जाती है ।
लाभ:- खीज में भरपूर खनिज है यदि काली गौ का ढूध ( खीझ) एक हफ्ते पिला देने से वर्षो पुरानी टी वी ख़त्म हो जाती है ।

सींग :- गाय की सींगो का आकर सामान्यतः पिरामिड जैसा होता है , जो कि शक्तिशाली एंटीना की तरहआकाशीय उर्जा ( कोस्मिक एनर्जी ) को संग्रह करने का कार्य सींग करते है ।

गाय का ककुद्द ( ढिल्ला ) :- गाय के कुकुद्द में सुर्य्केतु नाड़ी होती है जो सूर्य से अल्ट्रावायलेट किरणों को रोकती है , 40 मन ढूध में लगभग 10 ग्राम सोना पाया जाता है जिससे शारीर की प्रतिरोधक क्षमता बढती है इसलिए गाय का घी हलके पीले रंग का होता है ।

गाउ का दूध :- गाय के दूध के अन्दर जल 87 % वसा 4 %, प्रोटीन 4% , शर्करा 5 % , तथा अन्य तत्व 1 से 2 % प्रतिसत पाया जाता है ।

गाय के दूध में 8 प्रकार के प्रोटीन , 11 प्रकार के विटामिन्स , गाय के दूध में ' कैरोटिन ' नामक प्रदार्थ भैस क्र दस गुना अधिक होता है ।

भैस का दूध गर्म करने पर उसके पोषक ज्यादातर ख़त्म हो जाते है परन्तु गाय के दुध के पोषक तत्व गर्म करने पर भी सुरक्षित रहता है ।

गाय का गोमूत्र :- गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है , इसके अन्दर ' कार्बोलिक एसिड ' होता है जो कीटाणु नासक है , गौ मूत्र चाहे जितने दिनों तक रखे ख़राब नहीं होता है इसमें कैसर को रोकने वाली ' करक्यूमिन ' पायी जाती है ।

गौ मूत्र में नाइट्रोजन ,फास्फेट, यूरिक एसिड , पोटेशियम , सोडियम , लैक्टोज , सल्फर, अमोनिया, लवण रहित विटामिन ए वी सी डी ई , इन्जैम आदि तत्व पाए जाते है ।

देसी गाय के गोबर-मूत्र-मिश्रण से ' प्रोपिलीन ऑक्साइड " उत्पन्न होती है जो वारिस लाने में सहायक होती है । इसी के मिश्रण से ' इथिलीन ऑक्साइड ' गैस निकलती है जो ओपरेशन थियटर में काम आता है ।
गौ मूत्र में मुख्यतः 16 खनिज तत्व पाये जाते है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाता है ।

गाय का शरीर :- गाय के शरीर से पवित्र गुग्गल जैसी सुगंध आती है जो वातावरण को शुद्ध और पवित्र करती है ।

कृपया हिंदुत्व व आध्यात्म के ज्ञान को और अटूट करने के लिए शेयर करें ... _/|\_


जय गौ माता ... जय हिंदुत्व ...

जय हिन्द .... वन्देमातरम .....


आपका मित्र 
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया 
ज्वाइन  www.gokranti.com 

सामुहिक गौशाला........!!

सामुहिक गौशाला............!!

यदि आप कालोनी में या शहर में रहते हैं...
आपका दो कमरे का मकान है...
या आप कहीं चौथी मंजिल पर रहते हैं, तो भी आप गौपालन कर सकते हैं।

भारतीय गौवंश के संरक्षण में आप भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं...
यह काम आर्थिक सांस्कृतिक और
आध्यात्मिक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही...
स्वास्थ्य रक्षण का बेहतरीन काम भी सामुहिक रूप से गौशाला खोलकर
किया जा सकता है...

सामुहिक गौशाला खोलिये:-

आज जब आदमी 40-50 हजार रु. की मोटर सायकल या लाखो रु. की कार खरीद रहा है तब कुछ लोग थोड़ी- थोड़ी रकम लगाकर 10- 15 देशी गाय खरीदकर सामुहिक रूप से एक जगह उनका पालन- पोषण नही कर सकते हैं क्या।

अलग- अलग गाय पालने से यह बेहतर है।
गौसेवा का पुण्य मिलेगा, शुद्ध दूध भी मिलेगा, आप एक परिवार को रोजगार भी दे सकेंगे और चाहे तो गोबर एवं गौ मूत्र से अन्य छोटे उद्योग भी चलाए जा सकते हैं।

यह सामुहिक प्रयास समाज में सहकारिता, सहयोग और पारिवारिक भावना बढ़ाने वाला भी होगा...

तब क्या विचार है आपके सामुहिक गौशाला के बारे मे आपके...??

एक बात..सौ टके की...
भारतीय नस्ल की गाय विश्व में सर्वोत्तम मानी जाती है।
पुराणों में और आयुर्वेद में दूध के जो श्रेष्ठ गुण वर्णित हैं, उनका संबंध कामधेनु कहलाने वाली भारतीय नस्ल की गायें से ही है।
मां के दुध के पश्चात् सर्वाधिक लाभदायक, रोगों से लड़ने की शक्ति देने वाला, सुपाच्य, कम वसा युक्त, दैवी संस्कारों से युक्त तथा
कैरोटीन युक्त दूध केवल भारतीय नस्ल की गाय ही देती है।
इसी के दही, छाछ और घी का महत्व वर्णन किया जाता है।

भैंस का, जर्सी या संकर गायों का, सोयाबीन का या रासायनिक दूध, वह दूध नही है जिससे सही अर्थों में हमारा तन-मन स्वास्थ रह सके।

मगर बाजार में तो यही सब मिल रहा है और मजबूरी में सब इसे ही ले भी रहे हैं।
अब तो प्लास्टिक थैली में पैक दूध और पावडर दूध चलन में है जिसकी गुणवत्ता के बारे में कुछ कहना ही बेकार है।

सामुहिक गौशाला के बारे मे आपके विचारो का स्वागत है।
join us www.gokranti.com

मंगलवार, 8 जुलाई 2014

आप सभी गौमाता को बचाने के लिए माननिये प्रधानमंत्री को पोस्ट कार्ड लिख

आप सभी भाई बहेनो ,गौभक्तो ,गोसेवको ,गोवत्सों से कर बद प्रार्थना है की आप सभी गौमाता को बचाने के लिए माननिये प्रधानमंत्री को पोस्ट कार्ड लिख कर भारत में गोहत्या बंद करने का दबाव बनाये। आप भी पोस्ट कार्ड लिखे कम से कम 5 अपने दोस्तों एंव रिस्तेदारो से लिखवाकर भेजे। धन्येवाद
आप का मित्र  गोवत्स राधेश्याम रावोरिया

शनिवार, 5 जुलाई 2014

गोचर भूमि के लिए पत्र

श्रीमान्
पटवारी/ग्रामसेवक/सरपंच महोदय,
जरा ध्यान दें !
पुराने समय में गौसेवा का इतना महातम्य
था कि गाँव के लोगों ने अपनी जमीन का
कुछ हिस्सा गोचरभुमि हेतु स्वेच्छा से छोड
रखा था। वर्तमान समय में सरकार द्वारा
उस जमीन को गोचरभुमि घोषित करने के
बावजुद लोग उस पर कब्जा कर रहे हैं।
एक निवेदन -
आप गाँव के प्रमुख पद पर आसिन हैं।
आपसे करबद्ध निवेदन है कि अपने
गाँव की गोचर भुमि का माप करवाकर
देखें, यदि उस पर अतिक्रमण है तो उसे
तुरन्त हटवाने हेतु कार्यवाहि करें।
निवेदक आपका मित्र
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया
join us www.gokranti.com
कृपया आगे शेयर करें -

@@@पैकेजिंग दूध की सच्चाई@@@

##पैकेजिंग दूध की सच्चाई##
आज हम सब लोग सुबह उठते ही चाय की चुस्की लगाते है। हमने पैकेजिंग दूध की सच्चाई अपने दूध के बारे में नहीं सोचा। १ बार अपनी दूध की थैली भी देख लीजिए। आज हम में से ज्यादातर लोग अमूल गोल्ड या फिर उसके समकक्ष कोई और दूध पिते होगे।
ये दूध खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढाता है जिससे हमारे शरीर में हृदय सम्बंधित बीमारी बढती है। कम आयु में भी हार्ट एटेक होना आज कल हम देख ही रहे है ना। कही ये हमारी लापरवाही का परिणाम तो नहीं है ना? चलो अब जानते है कैसे ये दूध आपके स्वास्थ्य के लिए चुनौती बन रहा है।

जरा ध्यान से अपनी दूध की थैली देखना। उसके ऊपर कुछ इस तरह लिखा मिलेगा।
Fat 6.0 % minimum
SNF 9.0 % minimum

500 ml का 9% के हिसाब से १ थैली में SNF की मात्रा 45 gm होगी। चलो अब जानते है ये SNF किस बला का नाम है।

SNF मतलब Saturated natural fat. हमारे शरीर में कई तरह की चर्बी या फेट पायी जाती है जिसमे से कोई शरीर के लिए लाभदायी है तो कोई शरीर के लिए नुकसानदेह। ये SNF हमारे शरीर को बहोत नुकसान पहुचाता है। American Heart Association की गाईडलाइन के अनुसार स्वस्थ रहने के लिए हमारे आहार में SNF की दैनिक मात्रा १६ ग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे ज्यादा मात्रा में SNF का सेवन करने से कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढती है और ब्लडप्रेशर डायाबिटीस जैसी भयानक बीमारियाँ भी होती है। यही बात WHO ने भी अपनी रिपोर्ट में बताई है। इस बात की पुष्टि के लिए आप निचे दी गई लिंक देख सकते है।
http://www.heart.org/HEARTORG/Conditions/Cholesterol/PreventionTreatmentofHighCholesterol/Know-Your-Fats_UCM_305628_Article.jsp#mainContent

आज पूरी दुनियाभर में कम SNF वाले आहार के लिए जागरूकता बढती जा रही है और हम सब लोग अँधेरे में जी रहे है। ज्यादा SNF वाला दूध ज्यादा पैसा देकर खरीद रहे है और बीमारी को पैसो से आमंत्रित कर रहे है। इसके उपरांत पैकेजिंग वाले दूध में जर्सी, भैंस, बकरी, भेड़ सभी का दूध मिलके हमारे पास पहूचता है। कभी ज्यादा गाढ़ा दिखाने के लिए उसमे विदेशी नस्ल के प्राणी के  दूध का पाउदर भी मिलाके उसे और खतरनाक बना देते है। कभी यूरिया भी डाल तो भी हमे कहा पता चलेगा। क्या यही हमारी अक्लमंदी है की हम ज्यादा पैसा खर्च करके हार्ट एटेक जैसी बीमारी को बुलाये और फिर उसको ठीक करने के लिए और तगड़े पैसे खर्च करके हार्ट की सर्जरी करवाए? क्या इससे अच्छा ये नहीं होगा की हम पहेले से ही पैसा हमारी गायमाता के दूध के पीछे खर्च करे और हमारे स्वास्थ्य को तरोताजा रखे?

आज ना जाने कहा से गोल्ड के नाम पे ज्यादा पैसा खर्च करके हम ज्यादा महँगा दूध पिने की बात गर्व से करते है लेकिन गोल्ड सही माइने में हमे बहुत महँगा पड सकता है। अगर "गोल्ड" ही खाना हे तो गौमाता का दूध पिए। इसमें खरा सोना है जिसकी वजह से तो गायमाता का दूध हल्का पिला रहता है। वैज्ञानिको ने संशोधन में ये बात सिद्ध की है की हमारी गायमाता के दूध में molecule of auram यानी की सुवर्णक्षार पाया जाता है जो की खरा सोना है। अगर हमारे बच्चों की बुद्धिशक्ति बढ़ानी है तो हमें बूस्ट बोर्नविटा हॉर्लिक्स छोडके गाय का दूध पिलाना शुरू करना पड़ेगा। गायमाता का दूध के तो अनगिनत फायदे है जो हम   समय समय पर देखते रहेंगे।
आओ हम सब मिलके इस बात को लोगो तक पहुचाये। स्वस्थ बुद्धिसंपन्न समाज के निर्माण की शुरुआत हमे अपने आप से ही करनी होगी। चलो हम सब निर्धार करे के हमारे भोजन में से पैकेजिंग दूध को छोडकर गायमाता हा दूध ही इस्तेमाल करे। दूध की जरूरत पड़ेगी तो गायमाता की भी जरुरत पड़ेगी और कतलखाने जाती हुई हमारी माँ बचेगी और दूध के रूप में हम सबके घर पहुचेगी।
।। जय गौमाता ।।
निवेदक गोवत्स राधेश्याम रावोरिया
WWW.gokranti.com

"फूट डालो राज करो" की शुरूआत ऐसे हुई थी

"फूट डालो राज करो" की शुरूआत ऐसे हुई थी
=================
1870 से 1894 तक यानी पुरे 24 साल तक गो हत्या बन्दी का सफल आन्दोलन हुआ और इस आन्दोलन की शुरूवात आर्य समाज ने की थी परंम पूजनीय महर्षि दयानन्द से दीक्षा लेकर नौजवान इस आन्दोलन में कूदे थे।

ये आन्दोलन जींद से शुरु हुआ था ......और ये प्रण लिया गया था की गाय को कटने नहीं देंगे और जो अंग्रेज उसे काटेगा उसे हम काटेंगे। जींद से शुरु हुआ  ये आन्दोलन पुरे भारत में फ़ैलगया एक करोड़ से जायदा कार्य कर्ता पुरे देश में विरोध कर रहे थे।

जानते हैं ये विरोध कैसे करते थे .......जहा जहा अंग्रेजो के कत्ल खाने थे उसके आगे ये समूह में लेट जाते थे ....और जो गाडिया पशुओ से भर कर ले जाते थे उससे कहते की पहले हमें मारो फिर गौमाता को मारना इस तरह गाय कटना लगभग बंद हो गया और इन लोगो ने किसानों को समझाना शुरु किया की हम गाय पालते हैं ।अंग्रेज काटते हैं। हम बेचेंगे नहीं तो वो गाय काटेंगे कैसे।।

अब अंग्रेजो की मुश्किल बढती जा रही थी। क्यूंकि वो बिना गो मॉस खाए नहीं रह सकते थे ......धीरे धीरे अंग्रेजो सेना में ही विद्रोह बढ़ने  ........इस तरह मुश्किले बढ़ने लगी थी.....अंग्रेजो के लिए एक तरफ कुआ और एक तरफ खाई की स्तिथि पैदा हो गई थी।

तब अंग्रेज अधिकारी लैंस डाउन ने बिर्टिश संसद को एक पत्र लिखा जिसकी प्रमुख बातें इस प्रकार है
1-भारत के गाँव गाँव में गौरक्षा समिति बन चुकी है
2-हर समिति में 40 से 100 नौजवान है और वो गौ रक्षा के लिए किसी की भी हत्या करने को तैयार हैं
3- कोई भी अंग्रेज नागरिक या अधिकारी यहाँ बिलकुल भी सुरक्षित नहीं हैं 
4-गौरक्षा के लिए सेना में बगावत होने लगी है शासन चलाना लगभग नामुमकिन हो गया है

तब विक्टोरिया ने हस्तक्षेप किया और लेंस डाउन नामक अंग्रेज को पत्र लिखा>>>>

पत्र में लिखा की .........ये जो गाये कटती हैं हमारे लिए ही कटती हैं क्यूंकि भारतवाशी गायें मारना पाप मानते है।यहाँ तक की मुसलमान भी इसे नहीं खाते हैं क्यूंकि उनका मानना हैं की उनके पूर्वज भी हिन्दू ही थे। तो अब जो गाय कटने बंद हुए हैं इसका एक ही उपाय हैं की क़त्ल खाने में गाय काटने के लिए मुस्लिम को ही भर्ती करो (पहले अंग्रेज ही काटते थे) और हिन्दुओ को ये बताओ की तुम्हारी जो गाय कट रहे हैंमुसलमान काट रहे हैं

अब लेंस डाउन ने पत्र पढने के बाद भर्ती करने के लिए मुसलमानों को बुलाया लेकिन कोई मुसलमान तैयार नहीं हुआ तब लैंस डॉउन ने कुरेसी समुदाय को मारकर ,पीटकर , प्रताड़ित कर भर्ती किया मारकर और पीटकर जो गाय कटवाते थे अंग्रेज जाकर प्रचारित करते की देखो मुस्लिम तुम्हारी गाय काट रहे हैं  तो इस तरह शुरू  हुआ फुट डालो शासन करो और इसी तरह 1897 में हिंदू मुस्लिम का पहला दंगा शुरू हुआ
.
अंग्रेजों ने 27 सालों के इस आन्दोलन को एक निति से नष्ट कर दिया जो हिन्दू मुस्लिम साथ साथ मिलकर लड़े थे  अब दुष्प्रचार से विरोधी हो गए थे और इसका फायदा अंग्रेज बखूबी ले रहे थे गाय कटना शुरू हो गया और देश में फुट भी पड़ गई

तब से अब तक गौमाता  अंग्रेजों के लिए ही काटी जा रही है

प्रार्थी आपका मित्र
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया

Join us www.gokranti.com

मंगलवार, 1 जुलाई 2014

गौ हत्यारों सावधान…

गौ हत्यारों सावधान…

ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें ताकि हर उस आदमी तक ये बात पहुँच जाये जो गौ मांस खाता हैं..

"गौ-मांस खाने से कैंसर"

ब्रिटेन के एक अनुसंधान के अनुसार गो-मांस खाने वाले व्यक्तिों को कैंसर होने की संभावना है। अमेरिका के हाॅवर्ड विश्वविद्यायल के अनुसंधान के अनुसार जो औरतें और मर्द गाय का माँस खाते हैं उन्हें छाती का कैंसर ज्यादा होता है। अनुसंधान करने वालों ने यह नतीजा एक लाख व्यक्तियों की जांच करने के बाद निकाला है।