"देसी गाय के घी में है अद्भुत, विलक्षण एवं औषधीय जीवनी शक्ति".
आईये जाने:-
देसी गाय की जितनी भी नस्ल होती हैं उन सभी के कंधाड़ ऊपर की ओर गोल-गोल निकले होते हैं. जो लोगअपने जीवन में वनस्पति तेल एवं डालडा आदि का सेवन न करते हुए सिर्फ देसी गाय के दूध एवं घी का ही सेवन करते हैं उनके जीवन में कभी किसी प्रकार के रोग नहीं होते हैं. भैंस के दूध एवं घी में किसी भी प्रकार के औषधीय गुण नहीं होते हैं व यह पचने में भी गरिष्ठ एवं हानिकारक ही होता है अतः भैंस के दूध/घी का सेवन भी न करना ही श्रेयस्कर है जबकि बिना कंधाड़ वाली, सपाट, जर्सी गायों के दूध एवं घी का तो भूलकर, गलती से भी सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये शरीर के लिए अत्यंत रोगजनक एवं नुकसान दायक होते हैं.
१/. देसी गाय के घी की दो-दो बूँद दोनों नासिकाओं में सुबह-शाम डालने सेहोने वाले अद्भुत लाभ इस प्रकार हैं:
माईग्रेन दर्द ठीक होता है;
एलर्जी खत्म हो जाती है;
कान का पर्दा बिना ऑपरेशन के ही ठीक हो जाता है;
लकवा-रोग में लाभ मिलता है;
नाक की खुश्की दूर होती है;
पागलपन दूर होता है;
कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लौट आती है;
मानसिक शांति मिलती है,
याददाश्त तेज होती है और दिमाग तरोताजा हो जाता है.
बाल झड़ना समाप्त होकर नए काले बाल आने लगते हैं.
देसी गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार, नाक में प्रयोग करने से शरीर के अन्दर त्रिदोष यानि वात, पित्त और कफ में संतुलन हो जाता है.
२/. हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी.
३/. अन्य वनस्पति तेल एवं डालडा आदि का सेवन बंद कर अगर उनके स्थान पर देसी गाय के घी का नियमित रूप सेवन किया जाए तो एसिडिटी व कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है, बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है. अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास देसी गाय के दूध में एक चम्मच देसी गाय का घी और मिश्री डालकर पिएँ तुरंत राहत महसूस होगी.
४/. ध्यान रखें देसी गाय के घी के सेवन से न तो कॉलेस्ट्रॉल बढ़ता है और न ही वजन बढ़ता है, बल्कि देशी गाय का घी शरीर के वजन को संतुलित करता है यानि कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम
होता है.
५/. देसी गाय के घी में स्वास्थ्य के लिय फायदा पहुँचाने वाला अच्छा कोलेस्ट्रॉल अर्थात (HDL) पाया जाता है साथ ही साथ देसी गाय का घी शरीर में गंदे कोलेस्ट्रॉल अर्थात (LDL) को जमा नहीं होने देता है जिससे मनुष्य के शरीर के अन्दर उच्च-रक्तचाप एवं ह्रदय के ब्लाकेज संबंधित संभावनाएँ समाप्त हो जाती हैं. उच्च-कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को तथा सभी स्वस्थ लोगों को भी रिफाईंड तेल एवं डालडा आदि का सेवन बंद करके यथासंभव, जरूरतपूर्ता, देसी गाय के घी का ही सेवन करना चाहिए, क्योंकि यह मनुष्य के लिए न सिर्फ एक बहुत अच्छा टॉनिक ही है बल्कि यह दैविक गुणों से भरपूर एक अद्वित्तीय अमृततुली औषधि भी है. जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाई खाने की मनाही है, ऐसा व्यक्ति भी अगर देसी गाय के घी का सेवन करे तो उसका ह्रदय भी शनैः शनैः रोगमुक्त होकर मज़बूत होता जाता है.
६/. एक चम्मच देसी गाय के शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से
देसी गाय का ही शहद मिला हुआ कुनकुना दूध पीने से आँखों की ज्योति तेजी से बढ़ती है.
७/. सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करें, सरदर्द ठीक हो जायेगा. इसी प्रकार हथेली और पाँव के तलुओं में जलन होने की स्थिति में देसी गाय के घी में थोड़ा ठंडा पानी मिलाकर उनकी मालिश करने से तुरंत लाभ मिलता है.
८/. देसी गाय के पुराने घी से बच्चों की छाती और पीठ पर मालिश करने से बच्चों की कफ़ की शिकायत दूर हो जाती है.
९/. देसी गाय के 20-25 ग्राम घी को मिश्री के साथ मिलाकर खिलाने से शराब, भाँग व गांजे के नशे का प्रकोप कम हो जाता है.
१०/. सर्प के काटने पर उल व्यक्ति को 100-150 ग्राम देसी गाय का घी तुरंत पिलायें व ऊपर से जितना ज्यादा से ज्यादा गुनगुना पानी पिला सकें पिलायें. ऐसा करने से ग्रस्त व्यक्ति को उल्टी और दस्त तो लगेंगे लेकिन इनके साथ ही साँप का विष भी शरीर में से कम हो जायेगा.
११/. देसी गाय का घी न सिर्फ स्वस्थ व्यक्ति के अन्दर के अन्दर कैंसर पैदा होने की संभावनाओंको हीसमाप्तकरता है बल्कि यदि कैंसरग्रस्त रोगी को भी अगर देसी गाय के घी का सेवन कराना आरंभ किया जाए तो यह इस बीमारी के फैलने
को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है. देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक
क्षमता होती है. इसके सेवन से स्तन तथा आँत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है.
घर घर गाय पले
आपका मित्र
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया
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