बुधवार, 9 जुलाई 2014

सामुहिक गौशाला........!!

सामुहिक गौशाला............!!

यदि आप कालोनी में या शहर में रहते हैं...
आपका दो कमरे का मकान है...
या आप कहीं चौथी मंजिल पर रहते हैं, तो भी आप गौपालन कर सकते हैं।

भारतीय गौवंश के संरक्षण में आप भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं...
यह काम आर्थिक सांस्कृतिक और
आध्यात्मिक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही...
स्वास्थ्य रक्षण का बेहतरीन काम भी सामुहिक रूप से गौशाला खोलकर
किया जा सकता है...

सामुहिक गौशाला खोलिये:-

आज जब आदमी 40-50 हजार रु. की मोटर सायकल या लाखो रु. की कार खरीद रहा है तब कुछ लोग थोड़ी- थोड़ी रकम लगाकर 10- 15 देशी गाय खरीदकर सामुहिक रूप से एक जगह उनका पालन- पोषण नही कर सकते हैं क्या।

अलग- अलग गाय पालने से यह बेहतर है।
गौसेवा का पुण्य मिलेगा, शुद्ध दूध भी मिलेगा, आप एक परिवार को रोजगार भी दे सकेंगे और चाहे तो गोबर एवं गौ मूत्र से अन्य छोटे उद्योग भी चलाए जा सकते हैं।

यह सामुहिक प्रयास समाज में सहकारिता, सहयोग और पारिवारिक भावना बढ़ाने वाला भी होगा...

तब क्या विचार है आपके सामुहिक गौशाला के बारे मे आपके...??

एक बात..सौ टके की...
भारतीय नस्ल की गाय विश्व में सर्वोत्तम मानी जाती है।
पुराणों में और आयुर्वेद में दूध के जो श्रेष्ठ गुण वर्णित हैं, उनका संबंध कामधेनु कहलाने वाली भारतीय नस्ल की गायें से ही है।
मां के दुध के पश्चात् सर्वाधिक लाभदायक, रोगों से लड़ने की शक्ति देने वाला, सुपाच्य, कम वसा युक्त, दैवी संस्कारों से युक्त तथा
कैरोटीन युक्त दूध केवल भारतीय नस्ल की गाय ही देती है।
इसी के दही, छाछ और घी का महत्व वर्णन किया जाता है।

भैंस का, जर्सी या संकर गायों का, सोयाबीन का या रासायनिक दूध, वह दूध नही है जिससे सही अर्थों में हमारा तन-मन स्वास्थ रह सके।

मगर बाजार में तो यही सब मिल रहा है और मजबूरी में सब इसे ही ले भी रहे हैं।
अब तो प्लास्टिक थैली में पैक दूध और पावडर दूध चलन में है जिसकी गुणवत्ता के बारे में कुछ कहना ही बेकार है।

सामुहिक गौशाला के बारे मे आपके विचारो का स्वागत है।
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