श्री गौ माता प्राकट्य दिवस, गौपूजन एवं श्री गौ नवरात्रि महोत्स्व”
श्री कार्तिक अमावस्या ( दीपावली ) की सुबह श्री गौ माता का प्राकट्य हुआ था. उसके बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर अक्षय नवमी तक गौ नवरात्रि होती है।
आईये हम सब दीपावली की सुबह गौ माता का जन्मदिवस मनाएं.
दिपावली मे गौ माता की पूजा....!!
आत्मिय जनों विदित् हो की दिनाकं 23 अक्टूबर को दिपावली का पर्व है।
समग्र सनातन धर्मी सदा से यह पर्व मनाते आ रहे है।
जिसमे हम लोग श्री लक्ष्मी जी सरस्वती जी एवं गणेश जी का पूजन करते है।
यह बात तो सबको मालूम है, किंतु हमारे शास्त्रों के आधार पर एवं प्राचिन भारत की परमपरा का अवलोकन करने पर ज्ञात होता है की दिपावली का पर्व केवल गौमाता का ही पर्व है।
यह जानकर आपको आश्चर्य अवश्य होगा किंतु यह सत्य है।
बुंदेलखण्ड़ की ओर यह प्रथा आज भी जीवित है।
वहा दिपावली के दिन गाय माता की हि पूजा की जाती है।
हमारे शास्त्रों मे भी लिखा है की कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन गौमाता की पूजा करने से माता लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है।
आप यह ना सोचे की हम लक्ष्मी माता की पूजा को छोडकर भला गाय की पूजा क्यों करे।
अपितु यह समझे की शास्त्रिय तथा वैज्ञानिक दृष्टि से गाय हि साक्षात माता लक्ष्मी है।
गौमाता के पूजन से धन (लक्ष्मी जी), सदबुद्धि (सरस्वती जी) विधा एवं शुभ (गणेश जी) तथा समस्त कामनाओ की प्राप्ती होती है।
गोवंश के बिना पृथ्वी का अस्तिव संभव नही है।
आज लगातार गोवंश तथा गोबर खाद आदि की उपेक्षा से पूरी धरती की उर्बरा क्षमता नष्ट होती जा रही है।
यदि ऐसा ही चलता रहा तो कुछ हि वर्षो मे भारत की भूमी बंजर हो जायेगी।
इसलिये गाय तथा गोवंश का संरक्षण हि सारी समस्या का निदान है।
हमारे शास्त्रों मे गाय को साक्षात् भगवान हि बतलाया गया है।
सभी देवी-देवता गाय माता के शरीर मे वास करते है।
साक्षात भगवान भी गाय माता की सेवा करते है।
इसलिये उनका नाम गोपाल, गोविंद हुआ।
किंतु आज का हमारा समाज गोपाल को तो पूजता है लेकिन गोपाल की भी प्यारी गौ माता को लवारिस छोड देता है , और यहि गौहत्या का मूल कारण है।
शास्त्र कहते है की यदि कोई मनुष्य निस्वार्थ भाव से गौमाता की पूजा एवं सेवा करे तो उसके लिये विश्व मे कुछ भी दुर्लभ नही है।
गौमाता की सेवा से नव गृह दोष भी नष्ट हो जाते है।
जो दिपावली के दिन गौमाता की पूजा करता है उसे समस्त रिद्धि सिद्धियों की प्राप्ती होती है।
अतः नित्य गौ ग्रास अवश्य निकाले एवं गौसेवा अवश्य करे।
दिपावली के दिन गौपूजा अवश्य करे......
दिपावली गौपूजन समय : दोपहर 02 बजे से गौधूलिबेला तक।
पूजन सामग्रि : गुड़, ताजा रोटी, हरा चारा, चंदन, धूप-दीप, रोली-मोली आदि।
सर्व देवमयिदेवीं गावो विश्वश्य मातरः
अतः गौमाता हमारे सनातन धर्म रूपी वृक्ष का मूल(जड़) हैं, और मूल मे पानी देने के बाद तनों पत्तो मे पानी देने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
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