॥ श्री सुरभ्यै नमः ॥
॥ श्री गोमाता भजन ॥
गौ सेवा में थोङा लगा ले प्राणी ध्यान रे॥
झूठी जग की माया प्रभु का ही सच्चा नाम।
गौ माता की सेवा ही सबसे बढ़कर काम है।
गौ माता की सेवा से खुश होते भगवान रे॥
गौ सेवा में .................॥
गौ माता की सेवा ही सबसे बढ़कर काम है।
गौ माता की सेवा से खुश होते भगवान रे॥
गौ सेवा में .................॥
मोटर बग्घी बंगला न साथ तेरे जा पाएँगे।
सखा भ्रात सुत नाती इस धन को व्यर्थ गवाएंगे।
इस दौलत को प्यारे तूँ क्यों करता बेकार रे॥
गौ सेवा में...................॥
सखा भ्रात सुत नाती इस धन को व्यर्थ गवाएंगे।
इस दौलत को प्यारे तूँ क्यों करता बेकार रे॥
गौ सेवा में...................॥
न साथ में कुछ तूँ लाया, न साथ में कुछ ले जायेगा।
मुट्ठी बांधे आया है ओर हाथ पसारे जायेगा।
पूंछ पकङकर गौ की कर वैतरणी पार रे॥
गौ सेवा में..............॥
मुट्ठी बांधे आया है ओर हाथ पसारे जायेगा।
पूंछ पकङकर गौ की कर वैतरणी पार रे॥
गौ सेवा में..............॥
जनम मनुष्य का पाया, नेक काम कोई तूं कर ले।
कहता है ये गौ प्रेमी, तू नेह गऊ से कर ले।
गौ माता की सेवा से भरते हैं भण्डार रे॥
गौ सेवा में.............॥
कहता है ये गौ प्रेमी, तू नेह गऊ से कर ले।
गौ माता की सेवा से भरते हैं भण्डार रे॥
गौ सेवा में.............॥
श्री सुरभी मईयाँ की जय.........
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