भारतवासीयोको इसकी असली खबर पता तो चले।
आजकल लोग यह भी भूल गए है की कौनसी हमारी देशी गौमाता है और कौनसी विदेशी पशु है , जैसे हम अब हमारी संस्कृति छोड़कर परदेश की संस्कृति जी रहे है कलही ही हमारे एरिया में एक जर्सी जानवर के आकार का advertisement पेपर बाट
आजकल लोग यह भी भूल गए है की कौनसी हमारी देशी गौमाता है और कौनसी विदेशी पशु है , जैसे हम अब हमारी संस्कृति छोड़कर परदेश की संस्कृति जी रहे है कलही ही हमारे एरिया में एक जर्सी जानवर के आकार का advertisement पेपर बाट
रहे थे जो कंपनी अपने दूध की जानकारी दे रहे है , बोलते है अच्छा गाय का दूध है। प्रत्यक्ष में यह जर्सी जानवर का दूध है , गाय का नहीं है ना ? तो सरकार के सहकार्य बिना यह '' जर्सी जानवर हटाओ , और देशी गाय बचाओ '' यह योजना प्रत्यक्ष में कैसे आएगी ? पुरे देश में केवल १०-२० गोशालाए काम कर रही है और उसमेसे भी कोई , वोह भी आजकल जर्सी जानवर पालने का चालु करते दीखते है
तो यह देशी में विदेशी मिलावटी काम भी अब हो रहा है , तो हर एक आदमी जाकर इसकी जाँच नहीं कर सकते की सभी गोशालाए १०० टका देशी गाय के है , बहोतसे गोशालामें २५ देशी गाय और ४-५ विदेशी जानवर ऐसा चित्र भी देखनेको मिलता है ?
अब मुझे लगता है की पत्रकारोंको बोलना पड़ेगा की जैसे कोई बड़ी संस्थाए देशी घी बोलके बेचते है उनकी गोशालाए में जाकर इसकी जाँच कर असली खबर जनता को दिखाए। क्योकि देशी गाय का दूध कम आता है , उपरसे इसके दुधमे मलाई कम होने के कारन
मक्खन काम आता है और उससे बना घी और कम मात्रा में तैयार होता है ,तो जो बड़ी संस्थाए इतने हजारो डिब्बे कौनसे घी के भर रही है ?वोह जर्सी पशु का दूध दही घी बेचे इसके लिए हमें ऐसा आक्षेप नहीं है , लेकिन देशी गाय
का बोलकर विदेशी बेचेंगे तो फिर इसको क्या बोलेंगे ?देशी घी का मतलब हमारे देश में बना है इसलिए देशी घी ऐसा सोचकर कोई ग्राहक
खरीद लेते है , तो जो गोशालाए १०० टक्का असली देशी गाय का घी बनाते है वह मांग करे की बाकि संस्थाए जो केवल विदेशी गाय का दूध बेच रहे है , उनको अलग मार्किंग हो,क्योकि की हम उसको गाय नहीं मानते , यह अलग जानवर का दूध दही घी इत्त्यादि है।
लगता है पुरे भारतीय समाजको अभी तक मालूमही नहीं है की इसमें फर्क क्या है ?कुछ गिने चुने बची संस्थाए और स्वयंसेवक इस देशी गाय बैल के मुद्दे को लेकर काम कर रहे है लेकिन उनको मीडिया का सपोर्ट नहीं है क्या ?, सब ऐसाही सोचते है की इसके तज्ञ (सरकार और दूध संबंधित विभाग ही ) अगर जर्सी जानवर की योजना चला रहे है तो इसका मतलब वही ठीक है
तो फिर क्यों ब्राज़ील जैसा देश हमारे भारतीय गोवंश को लेकर बढ़ा रहा है , कुछ देशोमे इन जर्सी परदेशी वंश के जानवरोंको पूरा हटाने की योजना चल रही है , ऐसी जानकारी गूगलपर मिल रही है , और हमारे देश में वही परदेशी जर्सी पशु बढ़ाने की योजना
क्यों चल रही है? , सभी भारतवासीयोको इसकी असली खबर पता तो चले। अब परदेशी पशु का मूत्र मल भी गोमूत्र और गोमय बोलके बिकेगा तो कैसे पता चलेगा ?गो माने गाय उर उसका मूत्र माने गोमूत्र , परदेशी पशु के मल से बना खाद भी बिक रहा होगा ?
लेकिन उसकी properties में तो फरक रहेगा ना ? आयुर्वेद के हिसाबसे जो गोमय बोला है उसके जगह किसी ऐसे परदेशी पशु का मल औषधीमे चलेगा क्या ? यह भी किसी आयुर्वेदिक वैद्य डॉक्टर को पूछो की उसकी क्या राय है ? हमारा किसीको कुछ प्रोडक्ट बेचने केलिए विरोध नहीं है , लेकिन जो है अपने अपने स्थान में जो है सही सही बताना चाहिए। जर्सी पशु के दूध को
गाय का दूध बोलकर कैसे बेचा जा सकता है ? आप ऐसा दूध बेचो मगर यह जर्सी hf पशु का दूध बोलकर / लिखकर बेचो हमें कोई ऐतराज नहीं है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें