शनिवार, 8 सितंबर 2018

अभी नहीं तो कभी नहीं गौ तस्करी, गौ-हत्या और गौ-मांस के निर्यात को देखते हुए गौ-रक्षा के लिए “अभी नहीं तो कभी नहीं” वाली चुनौती हमारे सम्मुख है। इसके लिए व्यापक जनजागरण की आवश्यकता है। गौ-पालन के लाभ को अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाना होगा। घाटे में चल रही कृषि व्यवसाय, जिनसे करोड़ों किसान जुड़े हैं; उन्हें गौ-पालन से अधिकाधिक लाभ कैसे प्राप्त किया जा सकता है, इस सम्बन्ध में जानकारी और प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। गौ-रक्षा का कार्य गोशालाओं के द्वारा संभव है। गोशालाओं में गायें उम्र भर सुरक्षित ढंग से रखी जा सकती हैं। वहां अनेक उत्पादक कार्यों में गोवंश का प्रभावी ढंग से उपयोग हो सकता है और कई गोशालाओं में यह हो भी रहा है। इसलिए उत्तम सुविधाओं से युक्त गोशालाओं के निर्माण पर जोर देना होगा। प्रत्येक ग्राम में कम से कम एक गोशाला हो और प्रत्येक घर में गाय हो, इस दृष्टि से व्यापक अभियान चलाना होगा। प्रत्येक गांव में पर्याप्त मात्र में गोचर भूमि हो। इसके लिए शासन और ग्रामवासियों को मिलकर योजना बनानी होगी।

अभी नहीं तो कभी नहीं

गौ तस्करी, गौ-हत्या और गौ-मांस के निर्यात को देखते हुए गौ-रक्षा के लिए “अभी नहीं तो कभी नहीं” वाली चुनौती हमारे सम्मुख है। इसके लिए व्यापक जनजागरण की आवश्यकता है। गौ-पालन के लाभ को अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाना होगा। घाटे में चल रही कृषि व्यवसाय, जिनसे करोड़ों किसान जुड़े हैं; उन्हें गौ-पालन से अधिकाधिक लाभ कैसे प्राप्त किया जा सकता है, इस सम्बन्ध में जानकारी और प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है।

गौ-रक्षा का कार्य गोशालाओं के द्वारा संभव है। गोशालाओं में गायें उम्र भर सुरक्षित ढंग से रखी जा सकती हैं। वहां अनेक उत्पादक कार्यों में गोवंश का प्रभावी ढंग से उपयोग हो सकता है और कई गोशालाओं में यह हो भी रहा है। इसलिए उत्तम सुविधाओं से युक्त गोशालाओं के निर्माण पर जोर देना होगा। प्रत्येक ग्राम में कम से कम एक गोशाला हो और प्रत्येक घर में गाय हो, इस दृष्टि से व्यापक अभियान चलाना होगा। प्रत्येक गांव में पर्याप्त मात्र में गोचर भूमि हो। इसके लिए शासन और ग्रामवासियों को मिलकर योजना बनानी होगी।

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