हे मेरे नाथ, आप अपनी सुधामयी, सर्वसमर्थ, पतितपावनी, अहैतुकी कृपा से दुःखी प्राणियों के हृदय में त्याग का बल एवं सुखी प्राणियों के हृदय में गोसेवा का बल प्रदान करें। जिससे वे सुख-दुख के बन्धन से मुक्त हो आपके पवित्र प्रेम का आस्वादन कर कृत-कृत्य हो जायें, कृत-कृत्य हो जायें,
कृत-कृत्य हो जायें। धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो, विष्व का कल्याण हो, गोमाता की जय हो ! हर हर हर महादेव !
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