बुधवार, 21 मई 2014

गौरक्षा हेतु हनुमान जी से विनती..

गौरक्षा हेतु हनुमान जी से विनती...
हे हनुमान छुपेँ केहि कारन ।
सुरभी संकट करहुँ निबारन ॥

भीर परि गैया अति रोवे ।
तड़पत रहत प्रान निज खोवे ॥

पाद बाँधि गल छुरि चलावे ।
डारि उष्नजल चर्म खिँचावे ॥

दयानिधि साधु रखवारो ।
अबहुँ मौन केहि कारन धारो ॥

लंक उजारि धेनु सुध लीन्हो ।
निज प्रभु काज पवनसुन कीन्हो ॥

बजि चुटकी सब काम सुधारा ।
दुखी धेनु सो नगर उजारा ॥

कहि तुलसी चहुँ जुग रखवारे।
बिसरि सुभाउ धेनु पिआरे ॥

सुन लीजो प्रभु बिनती हमारी ।
दुखी धेनु अब हाय पुकारी ॥

दो॰- तुम संकर गिरिजापति बिस्वनाथ बृषकेतु ।
गुपतरूप बानर बने प्रीत रीत बनि सेतु ॥

जय बजरंगबली।

गौचरणों का दास 
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया 








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