गौरक्षा हेतु हनुमान जी से विनती...
हे हनुमान छुपेँ केहि कारन ।
सुरभी संकट करहुँ निबारन ॥
भीर परि गैया अति रोवे ।
तड़पत रहत प्रान निज खोवे ॥
पाद बाँधि गल छुरि चलावे ।
डारि उष्नजल चर्म खिँचावे ॥
दयानिधि साधु रखवारो ।
अबहुँ मौन केहि कारन धारो ॥
लंक उजारि धेनु सुध लीन्हो ।
निज प्रभु काज पवनसुन कीन्हो ॥
बजि चुटकी सब काम सुधारा ।
दुखी धेनु सो नगर उजारा ॥
कहि तुलसी चहुँ जुग रखवारे।
बिसरि सुभाउ धेनु पिआरे ॥
सुन लीजो प्रभु बिनती हमारी ।
दुखी धेनु अब हाय पुकारी ॥
दो॰- तुम संकर गिरिजापति बिस्वनाथ बृषकेतु ।
गुपतरूप बानर बने प्रीत रीत बनि सेतु ॥
जय बजरंगबली।
गौचरणों का दास
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया
हे हनुमान छुपेँ केहि कारन ।
सुरभी संकट करहुँ निबारन ॥
भीर परि गैया अति रोवे ।
तड़पत रहत प्रान निज खोवे ॥
पाद बाँधि गल छुरि चलावे ।
डारि उष्नजल चर्म खिँचावे ॥
दयानिधि साधु रखवारो ।
अबहुँ मौन केहि कारन धारो ॥
लंक उजारि धेनु सुध लीन्हो ।
निज प्रभु काज पवनसुन कीन्हो ॥
बजि चुटकी सब काम सुधारा ।
दुखी धेनु सो नगर उजारा ॥
कहि तुलसी चहुँ जुग रखवारे।
बिसरि सुभाउ धेनु पिआरे ॥
सुन लीजो प्रभु बिनती हमारी ।
दुखी धेनु अब हाय पुकारी ॥
दो॰- तुम संकर गिरिजापति बिस्वनाथ बृषकेतु ।
गुपतरूप बानर बने प्रीत रीत बनि सेतु ॥
जय बजरंगबली।
गौचरणों का दास
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया
बहुत सुन्दर
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