(२9)- गौ- चिकित्सा - आँखों के रोग।
पशुओं में आँखों के रोग होना
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१ - आँखों में जाला पड़ना ( दृष्टिमांद्य )
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कारण व लक्षण - पशुओं की आँख के अन्दर जो नीले रंग की पुतली दिखाई देती हैं और जब वह सफ़ेद रंग की या मैटमेले रंग से ढक जाती हैं तब अन्य प्राणियों के समान ही पशुओं को भी दृष्टिमांद्य हो जाता हैं इस रोग को ही गाँव के लोग आँख में जाला आना बोलते हैं । इस रोग में पशु को कम दिखाई देने लगता है बहुत पुरान होने पर दिखाई देना भी बन्द हो जाता है इसलिए इसका उपचार अनिवार्य रूप से करना चाहिए ।
१ - औषधि - हाथी के नाख़ून को तीन साफ़ पत्थर पर २-२ बून्द पानी की डालकर नाख़ून को चन्दन की तरह घिसकर तैयार कर लें और रोगी पशु की आँख में आँज दें ( आँख में लगाना ) यह दवा ३-४ हफ़्ते तक लगाने से पशु की आँख ठीक हो जाती हैं ।
२ - औषधि - गुम्मा ( द्रोणपुष्पी ) के पत्तों का रस निकालकर कपड़े में छानकर रोगी पशु की आँख में पाँच- पाँच बून्द २-३ बार डालने से ही लाभ हो जाता हैं । और यह औषंधि आँखों के हरप्रकार की बिमारी में चमत्कारी सिद्ध होता हैं ।
३ - औषधि - शोरा मीठा १० ग्राम ,तथा गेरू १० ग्राम - दोनों को बारीक पीसकर रख लें और प्रतिदिन कोई काग़ज़ की ६ इंच लम्बी व आधा इंच मोटी नली बनाकर उसमे २ ग्राम पावडर भरकर पशु की आँख के पास लेजाकर नली में ज़ोर से फूँक मार दें जिससे दवाई पशु की आँख में चली जाये ,ठीक होने तक करना होगा ।
४ - औषधि - कटैरी ( कण्टकारी ) ज़मीन पर फैलती है छोटे- छोटे टमाटर जैसे सफ़ेद फल लगते है और पककर फल पीले हो जाते है तथा इसके पत्तों पर काँटे होते है इसको लेकर पलों का रस निचोड़ लें । इस रस को रोगी पशु की आँख में ५-५ बून्द प्रतिदिन टपकाने से उसकी आँख का जाला जड़ से जाता रहता हैं किन्तु यह दवा आँख में डालने के बाद पशु की आँख लाल होकर उसमें सूजन आ जाती हैं लेकिन धीरे-धीरे सूजन उतर जाती हैं और पशु की आँख ठीक अवश्य हो जाती हैं ।
५ - औषधि - शिंगरफ और मिश्री समान मात्रा में लेकर एक नींबू के रस में खरल करकें रख लें और प्रतिदिन मुर्ग़े के पंख से इस दवा को पशु की आँख में प्रतिदिन लगाने से आराम आता हैं और जाला नष्ट हो जाता हैं ।
६ - औषधि - ममीरा व नीला थोथा और सिन्दुर को सममात्रा में लेकर काग़ज़ी नींबू का रस में ख़ूब घोटकर नैत्रो में अंजन करते रहने से ही लाभ हो जाता हैं ।
२ - आँख में फूली अथवा फूल पड़ना ' ढेढर ( आँख में चोट लगने के कारण भी )
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५ - औषधि - अधिक दिनों तक आँखों के दुखते रहना तथा समुचित इलाज न किये जाने के कारण कभी- कभी पशुओं की आँख में घाव हो जाता हैं आँख की पुतली पर सफ़ेद - सफ़ेद जाला सा आ जाता हैं तथा उसे कम दिखाई देने लगता हैं और आँखों से हर समय पानी और कीचड़ बहता रहता हैं और अन्त में आँख मे फफोला सा पड़ जाता हैं । यदि शीघ्र इलाज नहीं किया तो ऐसा रोगी पशु अन्धा हो जाता हैं ।
# - कभी- कभी पशु की आँख पर चोट लगने से भी फूली पड़ जाती है और पानी बहता रहता है ।
१ - औषधि - गुम्मा ( द्रोणपुष्पी ) की पत्तियों का रस आँख में डालना लाभकारी सिद्ध होता हैं । यह औषधि आँख की समस्त प्रकार के रोगों का निदान करती हैं यह रामबाण औषधि हैं ।
२ - औषधि - सरसों का शुद्ध तेल भी आँख में डालना हितकारी रहता हैं ।
३ - औषध - चीनीपत्थर के कटोरे में नींबू का रस निकालकर चुटकी भर सादा नमक डालकर लोहे की मूसली या किसी वस्तु से घोटकर आँख में डालना उपयोगी रहता हैं ।
४ - औषधि - गाय घी १ छटांक , आधा छटांक फिटकरी , अफ़ीम १ रत्ती लेंकर पहले घी को आग में गरम करे और गरम होने पर इसमें फिटकरी का चूर्ण डाल दें ( इसको डालते ही घी में झाग उठने लगेंगे और अफ़ीम डालते ही बन्द हो जायेंगे ) इसके बाद उसे ठन्डा करके दिन में ३-४ बार आँख में प्रतिदिन लगाने से आँख ठीक हो जाती हैं ।
५ - औषधि - मिट्टी के ढक्कन दार बर्तन में मदार ( आक ) का दूध डालकर उसमे साठी के चावल भिगोवें । उस बर्तन के मुख को कच्ची मिट्टी का गारा बनाकर उससे मुँह बन्द कर दें और आँच पर चढ़ा दें । जब चावल ख़ूब जल जायें तब ठन्डा करके पीसकर कपडछान करके रखें और प्रतिदिन पशु की आँख मे आँजना लाभकारी सिद्ध होता हैं ।
६ - औषधि - काला सूरमा १ तौला , चाकसू ६ माशा , ( ऐसा चाकसू जिसे इमली के पत्तों में पकाकर उसका छिल्का उतार कर रख लिया हो ) तथा कलमीशोरा - सभी को काग़ज़ी नींबू के रस में डालकर एक दिन लगातार खरल करके चने के बराबर गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रख लें । और एक गोली प्रतिदिन सफ़ेद पत्थर पर दो बून्द पानी डालकर ,घीसकर पेस्ट बनालें ओर इस पेस्ट को पशु की आँख में लगाने से कुछ दिनों में आँख का जाला , फोले , धुन्ध आदि कटकर दृष्टि साफ़ हो जाती हैं ।
७ - औषधि - शीतल चीनी १ रत्ती , लौंग २ रत्ती , बड़ी इलायची डेढ़ माशा , त्रिफला चूर्ण डेढ़ माशा , कालीमिर्च १ रत्ती , महीन पीसकर कपडछान करके नीम का रस ५ छटांक , डालकर अच्छी तरह से घोट लें । फिर इसमें कपूर पावडर ६ रत्ती , पिपरमेन्ट पावडर २ रत्ती मिलाकर एक शीशी में भरकर रखँ लें तथा प्रतिदिन सलाईँ द्वारा पशु की आँख में लगाने से जाला , फोला , धुन्ध , मोतियाँ बिन्द आदि समस्त नेत्र रोगों में लाभ होता हैं तथा दृष्टि तेज व साफ़ होती हैं ।
८ - औषधि - पशु की आँख में चोट लगने पर -- घरेलू पालतू कबुतर की बीट को पत्थर पर दो बून्द पानी डालकर घीसकर पेस्ट बनाकर पशु की आँख में लगाने से पशु की आँख की पीड़ा चली जाती हैं । कबूतर की बीट में चोट की पीड़ा हरने की बड़ी क्षमता होती हैं ।
९ - औषधि - मदार ( आक ) १० ग्राम , गन्ने के शीरे की सात बून्द डालकर मिला लें ।रविवार के दिन दूध में अंगुली भिगोकर भीगी हूई अंगुली से पशु की आँख के चारों ओर अंगुली से सात चक्कर बना दे । ध्यान रहे चक्कर बनाते समय अंगुली न उठे । इस प्रकार दवा लगाने से जहाँ चक्कर बनाये थे वहाँ से बाल व खाल उड़ जायेंगे और फूली में आराम आ जायेगा ।
१० - औषधि - काँच की हरी चूड़ियों १० ग्राम ,को खरल में डालकर बहुत महीन पीसकर कपडछान कर लें । इसके बाद सिरस के पत्तों का रस १० ग्राम , लेकर खरल में डालकर बहुत खरल करें जिससे घुटकर काजल व सूरमे की भाँति चिकना हो जायें फिर किसी शीशी में भरकर रख लें और प्रतिदिन एक चुटकी दवा लेकर रोगी पशु की आँख में लगाने से पशु की आँख की फूली या ढेढर बिलकुल ठीक हो जायेगी
३ - आँख की फूली
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कारण व लक्षण - गाय- भैंस व अन्य पशु की आँख आ जाने से ( किसी पशु की दोनों आँखें एक साथ आ जाती हैं और किसी पशु की एक आँख आती है ) और अचानक चोट लग जाने से फूली बन जाती है । पहले पशु आँख बन्द रखता है और उसकी आँख से पानी बहता है, फिर पशु की आँख में सफ़ेद झिल्ली की टीकिया बन जाती है। उसके बाद पशु को आँख से नहीं दिखता । उसकी आँख बिलकुल ख़राब हो जाती है। आँख में फूली पड़ते ही इसका इलाज जल्दी होना चाहिए , वरना बाद में इलाज होना कठिन है ।
१ - औषधि --फूली बनते ही पशु की आँख को कनपटी पर चाक़ू द्वारा लगभग अठन्नी की जगह भर, चौथाई हिस्से के बाल खुरचकर निकाल देने चाहिए। इससे वहाँ की जगह लाल हो जायेगी। इसके बाद थोड़ी - सी रूई लेकर उसमें २-३ भिलावें कूट लो । उसका तैल रूई द्वारा सोख लिया जायेगा। भिलावें का बचा हुआ कचरा गिरा देना चाहिए। फिर तैल युक्त रूई लेकर कनपटी पर खुरची हुई जगह पर दोनों तरफ़ की कनपटी पर बार लगा देनी चाहिए , ८ दिन में ज़ख़्म आराम हो जायेगा ।
आलोक-- जिस पशु को यह दवा लगायी जाय, उसे लगभग ८ दिन तक गर्मी में न जाने दिया जाय, क्योंकि सूर्य का प्रकाश वह सहन नहीं कर सकता है। पानी बरसे तो उसको घर बाँधकर रखना चाहिए। पशु यदि पानी में भीगेगा तो दवा रोग पर काम नहीं करेगी ।
२ - औषधि-- पहले बताये गये अनुसार पशु की दोनों कनपटी के बाल उखाड़कर चम्पाथुवर का दूध ( डंडाथुवर ) रूई द्वारा लगभग ८ दिन तक एक समय लगाया जाय।
३ -औषधि-- रोगी पशु की आँख में आगे लिखा हुआ घोल लगभग ८ दिन तक छिड़कना चाहिए-घोल बनाने के लिए , पानी ९६० ग्राम , तम्बाकू ९ ग्राम , चूना डेढ़ ग्राम ,नमक १२ ग्राम , सबको महीन पीसकर पानी में डालकर उबाल लेना चाहिए। फिर छानकर कुनकुना पानी आँखों में छिड़कना चाहिए ।
४ - औषधि -- पानी में घीसा हुआ साभँर ( बारहसिंगा ) का सिंग ३ ग्राम , नींबू का रस ३ ग्राम , ३ ग्राम , मक्खन ३ ग्राम , कामिया सिंदूर ( असली सिंदूर ) ३ ग्राम , सबको मिलाकर तथा मरहम बनाकर रोगी पशु की आँख में ८-१० दिन दोनों समय लगाना चाहिए।
५ - औषधि -- गुराड़ ( सफ़ेद शिरस ) के पौधे की जड़ लाकर तथा पानी द्वारा धोकर उसे गोमूत्र के साथ घिसना चाहिए। इस प्रकार बना हुआ मरहम रोगी की आँख में दोनों समय लगभग १० दिन तक लगाना चाहिए।
६ - औषधि -- गाय का घी और नमक का मरहम बनाकर ८ दिन लगायें पशु की आँख में लगाते रहे ।
७ - औषधि -- गुराड़ सफ़ेद सिरश के पौधे की जड़ को गोघृत के साथ घिसकर दोनों समय २० दिन तक लगाना चाहिए ।
८ - औषधि -- जिस पशु की आँख आ जायें ( किसी पशु की एक और किसी पशु की दोनों आँखे आ जाती हैं ) तो उसे मीठे प्याज़ का रस ९ ग्राम , फिटकरी साढ़े चार ग्राम , आबाँहल्दी भी साढ़े चार ग्राम , लेकर । फिटकरी व आबाँहल्दी को महीन पीसकर उसे प्याज़ के रस में मिलाकर अंजन बना लें। उसे रोगी पशु को रोज़ाना दोनों समय आराम होने तक लगाया जायें ।
९ - औषधि -- अच्छा होने तक रोगी पशु के दोनों सींगों की जड़ के चारों ओर लगभग २० ग्राम , ताज़े नींबू का रस दोनों समय मला जाय। यह आँख आने पर तथा आँख में फूली होने पर भी लाभ करता है।
४ - रोग - आँख में सफ़ेद कीचड़ सा ( क्लेद ) आना
१ - औषधि - गाय का ताज़ा मक्खन -- गाय या भैंस की आँखों में जब सफ़ेद कीचड़ सा आये तो गाय का ताज़ा मक्खन लेकर थोड़ा - थोड़ा हाथ में लेकर बिमार पशु के सींग की जड़ में मक्खन की मालिश करें । यह क्रिया दो - तीन दिन तक करनी चाहिए रोगी पशु स्वस्थ हो जायेंगे तथा आँख में कीचड़ आना बन्द हो जायेगा ।
२ - गाय की आँख मे ढीड़ आना -- ताज़े पानी में नमक मिलाकर , पानी की घूँट भर कर गाय की आँख के ऊपर कुल्ला करें । दिन में तीन चार बार करें,२-३ दिन में ठीक हो जायेगा ।
५ - आँख में भिलावा लगना
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कारण व लक्षण - कभी- कभी पशु की आँखों में भिलावा लग जाता हैं । भिलावा तेज़ विष औषधि हैं इसके लग जाने से आँखों में सूजन आ जाती हैं लाल हो जाती है है क्योंकि इसमें तेल होता हैं वह त्वचा पर जहाँ लग जाता है वहाँ जला देता है ।
१ - औषधि - कुटकी २ छटांक लेकर पीस कर कपडछान करके रोगी पशु की आँख में लगाने से लाभ होने लगता हैं ।
६ - आँख उठना , आँखें लाल होकर दूखना
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कारण व लक्षण - आँख में चोट लगने से अथवा धूल पड़ने से पशुओं की भी आँखें उठ जाती हैं । इस रोग में - आँखें लाल हो जाती हैं । हर समय आँखों से पानी बहता रहता है तथा पशु को कम दिखाई देने लगता हैं । इस रोग की यदि शीघ्र समुचित चिकित्सा नहीं की जाती हैं तो पशु की आँखो में फूली हो जाती हैं ।
# - औषधि - सबसे पहले फिटकरी के पानी से पशु की आँखों की धुलाई व सफ़ाई करनी चाहिए । इसके बाद इन दवाओं का प्रयोग करना चाहिए ।
१ - औषधि - छोटी हरड़ को गाय के घी में भूनकर इसके बाद उसे थोड़े से साजे नमक के साथ मिलाकर तीन- चार बून्द पानी डालकर घोटकर लेप बना लें फिर उसको पशु की आँख के चारों ओर लगा देना चाहिए । यह क्रिया दिनभर में ३-४ बार करनी चाहिए । लाभ अवश्य होगा ।
२ - औषधि - लाल चन्दन , हल्दी , अफ़ीम , १-१ छटांक , आम ३-४ पत्तियाँ , कुटपीसकर । सेहुड़ का दूध २ छटांक लेकर उसमें मिलाकर आँख के चारों तरफ़ सावधानी से लगाये । ध्यान रहे की दवाई पशु की आँख में अन्दर नहीं जानी चाहिए । क्योंकि सेहुड़ का दूध आँख में लगने से पशु अन्धा हो जाता हैं ।
७ - आँखें दूखना ( आँख मे तिनका पड़ने से या किसी कीट के काटने पर )
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कारण व लक्षण - पशु की आँख में चोट लगने व आँख में तिनका गिर जाने व ज़हरीले कीट के गिर जाने व उसके काट लेने के कारण आँखें लाल होकर सूज जाती है । आँख से दिन मे पानी बहता रहता हैं और रात में कीचड़ आ जाता हैं रोगी पशु हर समय आँखें बन्द किये रहता हैं ।
१ - औषधि - यदि किसी चीज़ के आँख में पड़ जाने के कारण आँख दुखने लगी हैं तो आँख के अन्दर से उस चीज़ को सावधानी पूर्वक निकलना चाहिए । और बाद मे २-२ बून्द अरण्डी के तेल की आँखों में डालनी चाहिए । इसके बाद गुलाबी फिटकरी १० रत्ती , को आधा छटांक गुलाब जल में घोलकर इस लोन की बून्दे आँखों में टपकाना चाहिए ।
२ - औषधि - यदि पशु की आँख में सूजन हो तो खशखश के छिलके पानी में पकाकर साफ़ रूई से सेंक करें । पहली अवस्था में रूई तर करके बाँध देने से भी आराम हो जाता हैं । किन्तु २-४ दिन के बाद सेंक ही करना पड़ेगा ।
३ - औषधि - यदि मक्खी - मच्छर या कीट आदि ने काटा हो तो पशु की आँख से पानी व कीचड़ आता हैं । मिश्री , सेंधानमक , फिटकरी , प्रत्येक १-१ तौला लेकर , नीला थोथा ४ रत्ती , रसौत ६ माशा , गुलाबजल या उबला हूआ पानी १ लीटर ठन्डा करके , सभी दवाओं को पीसछानकर गुलाबजल या पानी में घोल लें इससे रोगी पशु की आँखों में छबके मारने चाहिए और दो- चार बून्द आँखों में भी डालनी चाहिए । यह क्रिया दिन मे ३-४ बार करनी चाहिए ।
टोटका :-
१ - थोड़ी सी मात्रा में पशु को सुअर की विष्टा देने से भी आँखों का दूखना ठीक हो जाता हैं ।
२ - आटे की लोई में भुजायल पक्षी के पंख को रखकर रोगी पशु को खिलाने से भी रोग जाता रहता हैं । और आँखें ठीक हो जाती हैं ।
३ - मंगलवार या रविवार के दिन रजस्वला स्त्री ( ऐसी महिला जिसको M c - मासिक धर्म ) हो रहा हो । ऐसी महिला के ख़ून में भीगा हुआ कपड़े का थोड़ा सा टुकड़ा लेकर पशु को खिला देने से रोग समाप्त होसजाता हैं ।
४ - गुम्मा का रस आँख में डालने से भी यह रोग जाता रहता है ।
८ - रतौंधी ( Night blindness )
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कारण व लक्षण - यह रोग पशुओं में प्राय : दिमाग़ की कमज़ोरी से होता हैं । इसमें पशु को दिन में तो साफ़ दिखाई देता हैं किन्तु सांय होते- होते ही ( सूरज ढलने के बाद ) उसे कुछ भी दिखाईं नहीं देता हैं । इस रोग का यदि प्रारम्भ में ही ठीक प्रकार से इलाज हो जाये तो ठीक हो जाता है वरना बाद में पशु अन्धा हो जाता हैं चूँकि इस रोग में दिन में दिखाई देता है और रात में नहीं दिखाई देता इसलिए इस रोग को ( रात + अन्ध =रातअन्ध , रात का अन्धा ) रतौंधी कहते हैं ।
१ - औषधि - हुक्के का मैल पानी में पीसकर आँखों में लगाने से रतौंधी में लाभ होता हैं ।
२ - औषधि - अलसी या अरण्डी का तेल पशु के सिर के ऊपर मालिश करना भी गुणकारी सिद्ध होता हैं ।
३ - औषधि - चिरमिटी के पत्तों का रस पशु की आँखों में लगाने से भी लाभ होता हैं ।
४ - औषधि - मछली के पित्ता ४ छटांक , व शुद्ध शहद ४ छटांक , दोनों को मिलाकर ५-६ दिन तक आँखो में डालने से पशु का रतौंधी रोग ठीक हो जाता हैं ।
५ - औषधि - गाय के गोबर में एक साफ़ रूमाल को उसके अन्दर दबाकर ५ -१० मिनट के लिए छोड़ दें उसके बाद कपड़ा निकालकर एक बर्तन में निचोड़ ले और इस गोबर के रस की ४-५ बून्दे आँख में डालने बिलकुल ठीक हो जाता हैं ।=
९ - आँख कोया निकलना
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कारण व लक्षण - आँख का कोया निकल जाने के तीन कारण है ।-१ - वज़न खींचते समय झटका लग जाना । २ - पशुओ का आपस में लड़ जाना । ३ -पशु का पैर अचानक गड्ढे में गिर जाना । इन कारणों से पशु की यह बिमारी होती है । आँख का कोया जब बाहर आता है तो आँख में लाल -लाल दिखाई देता है ।
१ -औषधि - बासी पानी ( रात का बचा हुआ पानी ) ९६०ग्राम , सादा नमक २४ ग्राम , नमक को लेकर पीसकर पानी में डालकर पानी को गर्म किया जाये । फिर उसे छानकर कुनकुना होनेपर रोगी पशु की खुलीआँखों में दोनों समय अच्छा होने तक पानी को मुँह में भरकर आँख पर कुल्ला करें या अंजुली भर कर आँख पर छींटें मारे ।
२ - औषधि - सादा नमक १२ ग्राम , गुनगुना पानी ९६० ग्राम , दोनों को लेकर छान लें । और रोगी पशु की आँख पर हाथ से छींटना चाहिए । आँख का कोया बैठ जायगा और पशु को आराम हो जायेगा । दोनों समय ७-८ दिन तक एेसा करना चाहिए । यह दवाई गाय के शरीर जैसा बड़ा या छोटा । हो वैसे ही खुराक बढ़ा व घटा सकते है ।
१० - आँख में चिर्मियाँ होना
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कारण व लक्षण - जाला , ये एक प्रकार के महीन कीड़े है , जो पशु की आँख को अन्दर ही अन्दर खाया करते है । ग़ौर से देखने पर हमें रोगी पशु की आँख में वे दिखाई देते है । ये कीड़े रंग में सफ़ेद , लम्बे , बारीक होते हैं और ये आँख में इधर से उधर घुमा करते है , भीगी रूई से निकालने से वे निकल भी जाते है । पशु की आँख से पानी बहता रहता है । उसमें कीचड़ आ जाता है , जिससे पशु आँख बन्द रखता है ।
१ - औषधि - सेंधानमक २ तोला या २४ ग्राम पानी ८० तोला या ९६० ग्राम नमक को पीसकर ४० तोला पानी में उबालना चाहिए । िफर उसे छानकर कुनकुना पानी रोगी पशु की आँख पर दोनों समय अच्छे होने तक छिड़कना चाहिए ।
२ - औषधि - नीम की पत्ती १२ ग्राम , पानी ९६० ग्राम , नमक २४ ग्राम , नीम की पत्ती व नमक को पीसकर पानी में उबालना चाहिए । फिर उसे छानकर गुनगुने पानी को हाथ की अंजुली में लेकर पशु की आँख पर सुबह-सायं छींटें मारने चाहिए यह उपाय आँख ठीक होने तक करना चाहिए ।
३ - औषधि - पानी ९६० ग्राम , तम्बाकू १२ ग्राम , नमक १२ ग्राम , नमक व तम्बाकू को महीन पीसकर पानी में डालकर गरम किया जाय । फिर छानकर गुनगुना पानी पशु की की आँख में ठीक होने तक दोनों समय हाथ से छींटें मारने चाहिए ।
४ - औषधि - गाय की दही २४ ग्राम , अफिम २ ग्राम , अफिम को पानी में घिस लें और दही में मिलाकर अंजन बना लें । रोगी पशु की की आँख में सुबह -सायं यही अंजन रोज़ाना बना कर लगाते रहे , अच्छा होने तक लगाया जायें।
५ - औषधि - वराहीकन्द को पानी में घीसकर क्रीम जैसा बनाकर रोगी पशु की आँख में दोनों समय अंजन बनाकर अच्छा होने तक लगाया जाय।
६ - औषधि - मीठे प्याज़ का रस १० ग्राम , लेकर रोगी पशु की आँख में दोनों समय डालते रहे, अच्छा होने तक इस क्रिया को करते रहें ।
११ - अन्धा हो जाना
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कारण व लक्षण - कभी - कभी पशुओं को चरते समय खरगोश और गोच आदि जानवर आँख में फूँक मार देते है , जिससे पशु अक्सर अन्धे हो जाते है ।
१ - रोगी पशु की आँख में रोज़ सुबह - सायं दोनों समय ५-५ बूँद नींबू का रस छानकर अच्छा होने तक डालना चाहिए ।
२ - कचनार के छोटे पौधे की जड़ लाकर उसे धोकर गोमूत्र के साथ पत्थर पर खड़ी घिसना चाहिए फिर उसे छान लीजिए । और सुबह- सायं ठीक होने तक आँख में आंजना चाहिए ।
पशुओं में आँखों के रोग होना
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१ - आँखों में जाला पड़ना ( दृष्टिमांद्य )
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कारण व लक्षण - पशुओं की आँख के अन्दर जो नीले रंग की पुतली दिखाई देती हैं और जब वह सफ़ेद रंग की या मैटमेले रंग से ढक जाती हैं तब अन्य प्राणियों के समान ही पशुओं को भी दृष्टिमांद्य हो जाता हैं इस रोग को ही गाँव के लोग आँख में जाला आना बोलते हैं । इस रोग में पशु को कम दिखाई देने लगता है बहुत पुरान होने पर दिखाई देना भी बन्द हो जाता है इसलिए इसका उपचार अनिवार्य रूप से करना चाहिए ।
१ - औषधि - हाथी के नाख़ून को तीन साफ़ पत्थर पर २-२ बून्द पानी की डालकर नाख़ून को चन्दन की तरह घिसकर तैयार कर लें और रोगी पशु की आँख में आँज दें ( आँख में लगाना ) यह दवा ३-४ हफ़्ते तक लगाने से पशु की आँख ठीक हो जाती हैं ।
२ - औषधि - गुम्मा ( द्रोणपुष्पी ) के पत्तों का रस निकालकर कपड़े में छानकर रोगी पशु की आँख में पाँच- पाँच बून्द २-३ बार डालने से ही लाभ हो जाता हैं । और यह औषंधि आँखों के हरप्रकार की बिमारी में चमत्कारी सिद्ध होता हैं ।
३ - औषधि - शोरा मीठा १० ग्राम ,तथा गेरू १० ग्राम - दोनों को बारीक पीसकर रख लें और प्रतिदिन कोई काग़ज़ की ६ इंच लम्बी व आधा इंच मोटी नली बनाकर उसमे २ ग्राम पावडर भरकर पशु की आँख के पास लेजाकर नली में ज़ोर से फूँक मार दें जिससे दवाई पशु की आँख में चली जाये ,ठीक होने तक करना होगा ।
४ - औषधि - कटैरी ( कण्टकारी ) ज़मीन पर फैलती है छोटे- छोटे टमाटर जैसे सफ़ेद फल लगते है और पककर फल पीले हो जाते है तथा इसके पत्तों पर काँटे होते है इसको लेकर पलों का रस निचोड़ लें । इस रस को रोगी पशु की आँख में ५-५ बून्द प्रतिदिन टपकाने से उसकी आँख का जाला जड़ से जाता रहता हैं किन्तु यह दवा आँख में डालने के बाद पशु की आँख लाल होकर उसमें सूजन आ जाती हैं लेकिन धीरे-धीरे सूजन उतर जाती हैं और पशु की आँख ठीक अवश्य हो जाती हैं ।
५ - औषधि - शिंगरफ और मिश्री समान मात्रा में लेकर एक नींबू के रस में खरल करकें रख लें और प्रतिदिन मुर्ग़े के पंख से इस दवा को पशु की आँख में प्रतिदिन लगाने से आराम आता हैं और जाला नष्ट हो जाता हैं ।
६ - औषधि - ममीरा व नीला थोथा और सिन्दुर को सममात्रा में लेकर काग़ज़ी नींबू का रस में ख़ूब घोटकर नैत्रो में अंजन करते रहने से ही लाभ हो जाता हैं ।
२ - आँख में फूली अथवा फूल पड़ना ' ढेढर ( आँख में चोट लगने के कारण भी )
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५ - औषधि - अधिक दिनों तक आँखों के दुखते रहना तथा समुचित इलाज न किये जाने के कारण कभी- कभी पशुओं की आँख में घाव हो जाता हैं आँख की पुतली पर सफ़ेद - सफ़ेद जाला सा आ जाता हैं तथा उसे कम दिखाई देने लगता हैं और आँखों से हर समय पानी और कीचड़ बहता रहता हैं और अन्त में आँख मे फफोला सा पड़ जाता हैं । यदि शीघ्र इलाज नहीं किया तो ऐसा रोगी पशु अन्धा हो जाता हैं ।
# - कभी- कभी पशु की आँख पर चोट लगने से भी फूली पड़ जाती है और पानी बहता रहता है ।
१ - औषधि - गुम्मा ( द्रोणपुष्पी ) की पत्तियों का रस आँख में डालना लाभकारी सिद्ध होता हैं । यह औषधि आँख की समस्त प्रकार के रोगों का निदान करती हैं यह रामबाण औषधि हैं ।
२ - औषधि - सरसों का शुद्ध तेल भी आँख में डालना हितकारी रहता हैं ।
३ - औषध - चीनीपत्थर के कटोरे में नींबू का रस निकालकर चुटकी भर सादा नमक डालकर लोहे की मूसली या किसी वस्तु से घोटकर आँख में डालना उपयोगी रहता हैं ।
४ - औषधि - गाय घी १ छटांक , आधा छटांक फिटकरी , अफ़ीम १ रत्ती लेंकर पहले घी को आग में गरम करे और गरम होने पर इसमें फिटकरी का चूर्ण डाल दें ( इसको डालते ही घी में झाग उठने लगेंगे और अफ़ीम डालते ही बन्द हो जायेंगे ) इसके बाद उसे ठन्डा करके दिन में ३-४ बार आँख में प्रतिदिन लगाने से आँख ठीक हो जाती हैं ।
५ - औषधि - मिट्टी के ढक्कन दार बर्तन में मदार ( आक ) का दूध डालकर उसमे साठी के चावल भिगोवें । उस बर्तन के मुख को कच्ची मिट्टी का गारा बनाकर उससे मुँह बन्द कर दें और आँच पर चढ़ा दें । जब चावल ख़ूब जल जायें तब ठन्डा करके पीसकर कपडछान करके रखें और प्रतिदिन पशु की आँख मे आँजना लाभकारी सिद्ध होता हैं ।
६ - औषधि - काला सूरमा १ तौला , चाकसू ६ माशा , ( ऐसा चाकसू जिसे इमली के पत्तों में पकाकर उसका छिल्का उतार कर रख लिया हो ) तथा कलमीशोरा - सभी को काग़ज़ी नींबू के रस में डालकर एक दिन लगातार खरल करके चने के बराबर गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रख लें । और एक गोली प्रतिदिन सफ़ेद पत्थर पर दो बून्द पानी डालकर ,घीसकर पेस्ट बनालें ओर इस पेस्ट को पशु की आँख में लगाने से कुछ दिनों में आँख का जाला , फोले , धुन्ध आदि कटकर दृष्टि साफ़ हो जाती हैं ।
७ - औषधि - शीतल चीनी १ रत्ती , लौंग २ रत्ती , बड़ी इलायची डेढ़ माशा , त्रिफला चूर्ण डेढ़ माशा , कालीमिर्च १ रत्ती , महीन पीसकर कपडछान करके नीम का रस ५ छटांक , डालकर अच्छी तरह से घोट लें । फिर इसमें कपूर पावडर ६ रत्ती , पिपरमेन्ट पावडर २ रत्ती मिलाकर एक शीशी में भरकर रखँ लें तथा प्रतिदिन सलाईँ द्वारा पशु की आँख में लगाने से जाला , फोला , धुन्ध , मोतियाँ बिन्द आदि समस्त नेत्र रोगों में लाभ होता हैं तथा दृष्टि तेज व साफ़ होती हैं ।
८ - औषधि - पशु की आँख में चोट लगने पर -- घरेलू पालतू कबुतर की बीट को पत्थर पर दो बून्द पानी डालकर घीसकर पेस्ट बनाकर पशु की आँख में लगाने से पशु की आँख की पीड़ा चली जाती हैं । कबूतर की बीट में चोट की पीड़ा हरने की बड़ी क्षमता होती हैं ।
९ - औषधि - मदार ( आक ) १० ग्राम , गन्ने के शीरे की सात बून्द डालकर मिला लें ।रविवार के दिन दूध में अंगुली भिगोकर भीगी हूई अंगुली से पशु की आँख के चारों ओर अंगुली से सात चक्कर बना दे । ध्यान रहे चक्कर बनाते समय अंगुली न उठे । इस प्रकार दवा लगाने से जहाँ चक्कर बनाये थे वहाँ से बाल व खाल उड़ जायेंगे और फूली में आराम आ जायेगा ।
१० - औषधि - काँच की हरी चूड़ियों १० ग्राम ,को खरल में डालकर बहुत महीन पीसकर कपडछान कर लें । इसके बाद सिरस के पत्तों का रस १० ग्राम , लेकर खरल में डालकर बहुत खरल करें जिससे घुटकर काजल व सूरमे की भाँति चिकना हो जायें फिर किसी शीशी में भरकर रख लें और प्रतिदिन एक चुटकी दवा लेकर रोगी पशु की आँख में लगाने से पशु की आँख की फूली या ढेढर बिलकुल ठीक हो जायेगी
३ - आँख की फूली
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कारण व लक्षण - गाय- भैंस व अन्य पशु की आँख आ जाने से ( किसी पशु की दोनों आँखें एक साथ आ जाती हैं और किसी पशु की एक आँख आती है ) और अचानक चोट लग जाने से फूली बन जाती है । पहले पशु आँख बन्द रखता है और उसकी आँख से पानी बहता है, फिर पशु की आँख में सफ़ेद झिल्ली की टीकिया बन जाती है। उसके बाद पशु को आँख से नहीं दिखता । उसकी आँख बिलकुल ख़राब हो जाती है। आँख में फूली पड़ते ही इसका इलाज जल्दी होना चाहिए , वरना बाद में इलाज होना कठिन है ।
१ - औषधि --फूली बनते ही पशु की आँख को कनपटी पर चाक़ू द्वारा लगभग अठन्नी की जगह भर, चौथाई हिस्से के बाल खुरचकर निकाल देने चाहिए। इससे वहाँ की जगह लाल हो जायेगी। इसके बाद थोड़ी - सी रूई लेकर उसमें २-३ भिलावें कूट लो । उसका तैल रूई द्वारा सोख लिया जायेगा। भिलावें का बचा हुआ कचरा गिरा देना चाहिए। फिर तैल युक्त रूई लेकर कनपटी पर खुरची हुई जगह पर दोनों तरफ़ की कनपटी पर बार लगा देनी चाहिए , ८ दिन में ज़ख़्म आराम हो जायेगा ।
आलोक-- जिस पशु को यह दवा लगायी जाय, उसे लगभग ८ दिन तक गर्मी में न जाने दिया जाय, क्योंकि सूर्य का प्रकाश वह सहन नहीं कर सकता है। पानी बरसे तो उसको घर बाँधकर रखना चाहिए। पशु यदि पानी में भीगेगा तो दवा रोग पर काम नहीं करेगी ।
२ - औषधि-- पहले बताये गये अनुसार पशु की दोनों कनपटी के बाल उखाड़कर चम्पाथुवर का दूध ( डंडाथुवर ) रूई द्वारा लगभग ८ दिन तक एक समय लगाया जाय।
३ -औषधि-- रोगी पशु की आँख में आगे लिखा हुआ घोल लगभग ८ दिन तक छिड़कना चाहिए-घोल बनाने के लिए , पानी ९६० ग्राम , तम्बाकू ९ ग्राम , चूना डेढ़ ग्राम ,नमक १२ ग्राम , सबको महीन पीसकर पानी में डालकर उबाल लेना चाहिए। फिर छानकर कुनकुना पानी आँखों में छिड़कना चाहिए ।
४ - औषधि -- पानी में घीसा हुआ साभँर ( बारहसिंगा ) का सिंग ३ ग्राम , नींबू का रस ३ ग्राम , ३ ग्राम , मक्खन ३ ग्राम , कामिया सिंदूर ( असली सिंदूर ) ३ ग्राम , सबको मिलाकर तथा मरहम बनाकर रोगी पशु की आँख में ८-१० दिन दोनों समय लगाना चाहिए।
५ - औषधि -- गुराड़ ( सफ़ेद शिरस ) के पौधे की जड़ लाकर तथा पानी द्वारा धोकर उसे गोमूत्र के साथ घिसना चाहिए। इस प्रकार बना हुआ मरहम रोगी की आँख में दोनों समय लगभग १० दिन तक लगाना चाहिए।
६ - औषधि -- गाय का घी और नमक का मरहम बनाकर ८ दिन लगायें पशु की आँख में लगाते रहे ।
७ - औषधि -- गुराड़ सफ़ेद सिरश के पौधे की जड़ को गोघृत के साथ घिसकर दोनों समय २० दिन तक लगाना चाहिए ।
८ - औषधि -- जिस पशु की आँख आ जायें ( किसी पशु की एक और किसी पशु की दोनों आँखे आ जाती हैं ) तो उसे मीठे प्याज़ का रस ९ ग्राम , फिटकरी साढ़े चार ग्राम , आबाँहल्दी भी साढ़े चार ग्राम , लेकर । फिटकरी व आबाँहल्दी को महीन पीसकर उसे प्याज़ के रस में मिलाकर अंजन बना लें। उसे रोगी पशु को रोज़ाना दोनों समय आराम होने तक लगाया जायें ।
९ - औषधि -- अच्छा होने तक रोगी पशु के दोनों सींगों की जड़ के चारों ओर लगभग २० ग्राम , ताज़े नींबू का रस दोनों समय मला जाय। यह आँख आने पर तथा आँख में फूली होने पर भी लाभ करता है।
४ - रोग - आँख में सफ़ेद कीचड़ सा ( क्लेद ) आना
१ - औषधि - गाय का ताज़ा मक्खन -- गाय या भैंस की आँखों में जब सफ़ेद कीचड़ सा आये तो गाय का ताज़ा मक्खन लेकर थोड़ा - थोड़ा हाथ में लेकर बिमार पशु के सींग की जड़ में मक्खन की मालिश करें । यह क्रिया दो - तीन दिन तक करनी चाहिए रोगी पशु स्वस्थ हो जायेंगे तथा आँख में कीचड़ आना बन्द हो जायेगा ।
२ - गाय की आँख मे ढीड़ आना -- ताज़े पानी में नमक मिलाकर , पानी की घूँट भर कर गाय की आँख के ऊपर कुल्ला करें । दिन में तीन चार बार करें,२-३ दिन में ठीक हो जायेगा ।
५ - आँख में भिलावा लगना
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कारण व लक्षण - कभी- कभी पशु की आँखों में भिलावा लग जाता हैं । भिलावा तेज़ विष औषधि हैं इसके लग जाने से आँखों में सूजन आ जाती हैं लाल हो जाती है है क्योंकि इसमें तेल होता हैं वह त्वचा पर जहाँ लग जाता है वहाँ जला देता है ।
१ - औषधि - कुटकी २ छटांक लेकर पीस कर कपडछान करके रोगी पशु की आँख में लगाने से लाभ होने लगता हैं ।
६ - आँख उठना , आँखें लाल होकर दूखना
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कारण व लक्षण - आँख में चोट लगने से अथवा धूल पड़ने से पशुओं की भी आँखें उठ जाती हैं । इस रोग में - आँखें लाल हो जाती हैं । हर समय आँखों से पानी बहता रहता है तथा पशु को कम दिखाई देने लगता हैं । इस रोग की यदि शीघ्र समुचित चिकित्सा नहीं की जाती हैं तो पशु की आँखो में फूली हो जाती हैं ।
# - औषधि - सबसे पहले फिटकरी के पानी से पशु की आँखों की धुलाई व सफ़ाई करनी चाहिए । इसके बाद इन दवाओं का प्रयोग करना चाहिए ।
१ - औषधि - छोटी हरड़ को गाय के घी में भूनकर इसके बाद उसे थोड़े से साजे नमक के साथ मिलाकर तीन- चार बून्द पानी डालकर घोटकर लेप बना लें फिर उसको पशु की आँख के चारों ओर लगा देना चाहिए । यह क्रिया दिनभर में ३-४ बार करनी चाहिए । लाभ अवश्य होगा ।
२ - औषधि - लाल चन्दन , हल्दी , अफ़ीम , १-१ छटांक , आम ३-४ पत्तियाँ , कुटपीसकर । सेहुड़ का दूध २ छटांक लेकर उसमें मिलाकर आँख के चारों तरफ़ सावधानी से लगाये । ध्यान रहे की दवाई पशु की आँख में अन्दर नहीं जानी चाहिए । क्योंकि सेहुड़ का दूध आँख में लगने से पशु अन्धा हो जाता हैं ।
७ - आँखें दूखना ( आँख मे तिनका पड़ने से या किसी कीट के काटने पर )
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कारण व लक्षण - पशु की आँख में चोट लगने व आँख में तिनका गिर जाने व ज़हरीले कीट के गिर जाने व उसके काट लेने के कारण आँखें लाल होकर सूज जाती है । आँख से दिन मे पानी बहता रहता हैं और रात में कीचड़ आ जाता हैं रोगी पशु हर समय आँखें बन्द किये रहता हैं ।
१ - औषधि - यदि किसी चीज़ के आँख में पड़ जाने के कारण आँख दुखने लगी हैं तो आँख के अन्दर से उस चीज़ को सावधानी पूर्वक निकलना चाहिए । और बाद मे २-२ बून्द अरण्डी के तेल की आँखों में डालनी चाहिए । इसके बाद गुलाबी फिटकरी १० रत्ती , को आधा छटांक गुलाब जल में घोलकर इस लोन की बून्दे आँखों में टपकाना चाहिए ।
२ - औषधि - यदि पशु की आँख में सूजन हो तो खशखश के छिलके पानी में पकाकर साफ़ रूई से सेंक करें । पहली अवस्था में रूई तर करके बाँध देने से भी आराम हो जाता हैं । किन्तु २-४ दिन के बाद सेंक ही करना पड़ेगा ।
३ - औषधि - यदि मक्खी - मच्छर या कीट आदि ने काटा हो तो पशु की आँख से पानी व कीचड़ आता हैं । मिश्री , सेंधानमक , फिटकरी , प्रत्येक १-१ तौला लेकर , नीला थोथा ४ रत्ती , रसौत ६ माशा , गुलाबजल या उबला हूआ पानी १ लीटर ठन्डा करके , सभी दवाओं को पीसछानकर गुलाबजल या पानी में घोल लें इससे रोगी पशु की आँखों में छबके मारने चाहिए और दो- चार बून्द आँखों में भी डालनी चाहिए । यह क्रिया दिन मे ३-४ बार करनी चाहिए ।
टोटका :-
१ - थोड़ी सी मात्रा में पशु को सुअर की विष्टा देने से भी आँखों का दूखना ठीक हो जाता हैं ।
२ - आटे की लोई में भुजायल पक्षी के पंख को रखकर रोगी पशु को खिलाने से भी रोग जाता रहता हैं । और आँखें ठीक हो जाती हैं ।
३ - मंगलवार या रविवार के दिन रजस्वला स्त्री ( ऐसी महिला जिसको M c - मासिक धर्म ) हो रहा हो । ऐसी महिला के ख़ून में भीगा हुआ कपड़े का थोड़ा सा टुकड़ा लेकर पशु को खिला देने से रोग समाप्त होसजाता हैं ।
४ - गुम्मा का रस आँख में डालने से भी यह रोग जाता रहता है ।
८ - रतौंधी ( Night blindness )
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कारण व लक्षण - यह रोग पशुओं में प्राय : दिमाग़ की कमज़ोरी से होता हैं । इसमें पशु को दिन में तो साफ़ दिखाई देता हैं किन्तु सांय होते- होते ही ( सूरज ढलने के बाद ) उसे कुछ भी दिखाईं नहीं देता हैं । इस रोग का यदि प्रारम्भ में ही ठीक प्रकार से इलाज हो जाये तो ठीक हो जाता है वरना बाद में पशु अन्धा हो जाता हैं चूँकि इस रोग में दिन में दिखाई देता है और रात में नहीं दिखाई देता इसलिए इस रोग को ( रात + अन्ध =रातअन्ध , रात का अन्धा ) रतौंधी कहते हैं ।
१ - औषधि - हुक्के का मैल पानी में पीसकर आँखों में लगाने से रतौंधी में लाभ होता हैं ।
२ - औषधि - अलसी या अरण्डी का तेल पशु के सिर के ऊपर मालिश करना भी गुणकारी सिद्ध होता हैं ।
३ - औषधि - चिरमिटी के पत्तों का रस पशु की आँखों में लगाने से भी लाभ होता हैं ।
४ - औषधि - मछली के पित्ता ४ छटांक , व शुद्ध शहद ४ छटांक , दोनों को मिलाकर ५-६ दिन तक आँखो में डालने से पशु का रतौंधी रोग ठीक हो जाता हैं ।
५ - औषधि - गाय के गोबर में एक साफ़ रूमाल को उसके अन्दर दबाकर ५ -१० मिनट के लिए छोड़ दें उसके बाद कपड़ा निकालकर एक बर्तन में निचोड़ ले और इस गोबर के रस की ४-५ बून्दे आँख में डालने बिलकुल ठीक हो जाता हैं ।=
९ - आँख कोया निकलना
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कारण व लक्षण - आँख का कोया निकल जाने के तीन कारण है ।-१ - वज़न खींचते समय झटका लग जाना । २ - पशुओ का आपस में लड़ जाना । ३ -पशु का पैर अचानक गड्ढे में गिर जाना । इन कारणों से पशु की यह बिमारी होती है । आँख का कोया जब बाहर आता है तो आँख में लाल -लाल दिखाई देता है ।
१ -औषधि - बासी पानी ( रात का बचा हुआ पानी ) ९६०ग्राम , सादा नमक २४ ग्राम , नमक को लेकर पीसकर पानी में डालकर पानी को गर्म किया जाये । फिर उसे छानकर कुनकुना होनेपर रोगी पशु की खुलीआँखों में दोनों समय अच्छा होने तक पानी को मुँह में भरकर आँख पर कुल्ला करें या अंजुली भर कर आँख पर छींटें मारे ।
२ - औषधि - सादा नमक १२ ग्राम , गुनगुना पानी ९६० ग्राम , दोनों को लेकर छान लें । और रोगी पशु की आँख पर हाथ से छींटना चाहिए । आँख का कोया बैठ जायगा और पशु को आराम हो जायेगा । दोनों समय ७-८ दिन तक एेसा करना चाहिए । यह दवाई गाय के शरीर जैसा बड़ा या छोटा । हो वैसे ही खुराक बढ़ा व घटा सकते है ।
१० - आँख में चिर्मियाँ होना
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कारण व लक्षण - जाला , ये एक प्रकार के महीन कीड़े है , जो पशु की आँख को अन्दर ही अन्दर खाया करते है । ग़ौर से देखने पर हमें रोगी पशु की आँख में वे दिखाई देते है । ये कीड़े रंग में सफ़ेद , लम्बे , बारीक होते हैं और ये आँख में इधर से उधर घुमा करते है , भीगी रूई से निकालने से वे निकल भी जाते है । पशु की आँख से पानी बहता रहता है । उसमें कीचड़ आ जाता है , जिससे पशु आँख बन्द रखता है ।
१ - औषधि - सेंधानमक २ तोला या २४ ग्राम पानी ८० तोला या ९६० ग्राम नमक को पीसकर ४० तोला पानी में उबालना चाहिए । िफर उसे छानकर कुनकुना पानी रोगी पशु की आँख पर दोनों समय अच्छे होने तक छिड़कना चाहिए ।
२ - औषधि - नीम की पत्ती १२ ग्राम , पानी ९६० ग्राम , नमक २४ ग्राम , नीम की पत्ती व नमक को पीसकर पानी में उबालना चाहिए । फिर उसे छानकर गुनगुने पानी को हाथ की अंजुली में लेकर पशु की आँख पर सुबह-सायं छींटें मारने चाहिए यह उपाय आँख ठीक होने तक करना चाहिए ।
३ - औषधि - पानी ९६० ग्राम , तम्बाकू १२ ग्राम , नमक १२ ग्राम , नमक व तम्बाकू को महीन पीसकर पानी में डालकर गरम किया जाय । फिर छानकर गुनगुना पानी पशु की की आँख में ठीक होने तक दोनों समय हाथ से छींटें मारने चाहिए ।
४ - औषधि - गाय की दही २४ ग्राम , अफिम २ ग्राम , अफिम को पानी में घिस लें और दही में मिलाकर अंजन बना लें । रोगी पशु की की आँख में सुबह -सायं यही अंजन रोज़ाना बना कर लगाते रहे , अच्छा होने तक लगाया जायें।
५ - औषधि - वराहीकन्द को पानी में घीसकर क्रीम जैसा बनाकर रोगी पशु की आँख में दोनों समय अंजन बनाकर अच्छा होने तक लगाया जाय।
६ - औषधि - मीठे प्याज़ का रस १० ग्राम , लेकर रोगी पशु की आँख में दोनों समय डालते रहे, अच्छा होने तक इस क्रिया को करते रहें ।
११ - अन्धा हो जाना
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कारण व लक्षण - कभी - कभी पशुओं को चरते समय खरगोश और गोच आदि जानवर आँख में फूँक मार देते है , जिससे पशु अक्सर अन्धे हो जाते है ।
१ - रोगी पशु की आँख में रोज़ सुबह - सायं दोनों समय ५-५ बूँद नींबू का रस छानकर अच्छा होने तक डालना चाहिए ।
२ - कचनार के छोटे पौधे की जड़ लाकर उसे धोकर गोमूत्र के साथ पत्थर पर खड़ी घिसना चाहिए फिर उसे छान लीजिए । और सुबह- सायं ठीक होने तक आँख में आंजना चाहिए ।
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