गौ - चिकित्सा .गर्भ समस्या ।
गर्भ सम्बंधी रोग व निदान
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१ - गर्भपात रोग
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कारण व लक्षण - यह एक प्रकार का छूत का रोग है । कभी-कभी कोई गर्भवती मादा पशु आपस में लड़ पड़ती है , उससे गर्भपात हो जाता है । गर्भिणी को अधिक गरम वस्तु खिला देने से और गर्मी में रखने से भी यह रोग हो जाया करता है । उस हालत में कभी कोई साँड़ या बैल या बछड़ा उसके साथ संयोग कर लें तो गर्भपात हो जाता है ।
रोगी गर्भिणी ( गाभिन गाय या भैंस आदि ) के गर्भाशय तथा योनिमार्ग पर सूजन आ जाती है । निश्चित समय के पूर्व ही बच्चा गिर जाता है । गर्भपात के पश्चात् जेर ( झर ) का न गिरना , पेशाब बदबूदार होना आदि इसके लक्ष्ण है । गर्भपात के बाद रोगी मादा पशु को दूसरी बार गर्भ रहे तो ५ माह बाद उसे नीचे लिखी दवा देनी चाहिए , ताकि उक्त बीमारी की आशंका न रहे ।
१ - औषधि - शिवलिंगी के बीज ८ नग ,बछड़े वाली गाय का घी २४० ग्राम , बीजों को महीन पीसकर घी में मिलाकर रोगी गर्भिणी पशु को बोतल द्वारा हिलाकर पिलाया जाय । इसी मात्रा में प्रतिमास रोगी पशु को सुबह के समय यह दवा पिलायी जाय ।
२ - औषधि - गाय के दूध से बनी दही ४८० ग्राम , गँवारपाठा ( घृतकुमारी ) ४८० ग्राम , पानी ७२० ग्राम , गँवारपाठा का गूद्दा निकालकर दही में मिलाकर पान के साथ रोगी पशु को पिलायें ।
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२ - गाय- भैंस का गर्भ धारण न करना
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कारण व लक्षण - साधारणत: अधिक कमज़ोर पशु निश्चित समय पर गर्भ नहीं धारण करते । मादा पशु सयोंग करने की इच्छा नहीं प्रकट करती है और इस ओर से पुर्ण उदास रहती है ।
१ - औषधि - इस प्रकार के पशुओं को" ई" प्रकार का खाद्यान्न पदार्थ विटामिन अधिक मात्रा में खिलाना चाहिए ।उसे खिलाकर मादा पशु को तगड़ा बनाया जाय । हाड़जूड की पिंगरे २ नग , पिगरों को रोटी के साथ दबाकर रोगी पशु को ३ दिन तक रोज़ सुबह खिलायें ।
२ - औषधि - छुवारे ४नग सेंककर उसका बीज निकालकर फेंक दिया जाय । उसके गूदे को रोटी के साथ रोगी पशु को ८ दिन तक रोज़ सुबह खिलाया जायें ।
३ - औषधि - पलास ( ढाक) के पत्तों के पास की गाँठ के २ नग लेकर रोटी में रोगी पशु को ४ दिन तक रोज़ सुबह पिलायें ।
४ - औषधि - भिलावा ४ नग गुड १०० ग्राम , गुड़ के साथ भिलावें को मिलाकर रोगी पशु को ३ दिन तक खिला दिया जाय ।
५ - औषधि - रोगी पशु को मूँगफली का तैल ४८० ग्राम , एक दिन छोड़कर ४ बार पिलायें ।
६ - औषधि - गुँजाफल ( चोहटली ,रत्ती ) ४ नग कुटकर गुड़ में मिलाकर रोगी पशु को रोज़ सुबह ४ दिन तक खिलाये ।
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३ - गाय, भैंस का बार - बार गाभिन होना
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कारण व लक्षण - यदि गाय , भैंस आदि को अधिक मात्रा में गरम चीज़ें खा लेने के कारण उनके शरीर का ताप बढ़ जाता है । और उनमे बार - बार गाभिन होने का रोग पैदा हो जाता है । साँड़ में कोई दोष होने के कारण भी ये रोग पैदा होता है । मादा पशु में अधिक चर्बी होने के कारण भी यह रोग होता है । ऐसी स्थिति में पशु बार- बार गाभिन होती रहती है और गाभिन नहीं रहती है ।
१ - औषधि - मादा पशु जैसै ही गर्भधारण करे याने संयोग करें वैसे ही उसे धीरे से ज़मीन पर गिराकर उसे ४-५ पल्टी दी जाय फिर उसका मुँह ऊपर करके बाँध दिया जाय । और १२ घन्टे तक उस पशु को बैठने नहीं दिया जाय । केवल उसे पानी ही पिलाया जाये और २४ घन्टे तक घास बिलकुल खाने दिया जायें ।
२ - औषधि - गाय का घी २४० ग्राम , कत्था ६० ग्राम , केले की जड़ का रस १२० ग्राम , पहले केले की जड़ को कूट कर उसका रस निकाल कर , घी को गरम करके सभी चीज़ें आपस में मिलाकर रोगी पशु को दोनों समय पिलाया जायें ।
३ - औषधि - असली सिन्दुर ९ ग्राम , गाय का दूध २४० ग्राम , मिट्टी ४० ग्राम , मिट्टी को दूध में घोलकर कपड़छान कर लें । यह दवा केवल एक दिन ही दोनों समय देनी चाहिए ।
४ - औषधि - रोगी पशु के कान काटकर कान मे कगोंरे बना दिये जायें जिससे पशु कमज़ोर होकर गर्भधारण कर लेगा और खान - पान में पशु को उत्तेजक पदार्थ नहीं खिलाना चाहिए ।
आलोक -:- मादा पशु के ज़्यादा तगड़ा होने से वह बार - बार गर्मी ( हीट ) पर आती है । इसलिए गर्भ नहीं ठहरता । अत: उसकी खुराक कम करके उसकी चर्बी घटने से उसको गर्भ ठहर सकेगा ।
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४ - पशुओं में डिलिवरी व हीट समस्या ।
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१ - गाय को हीट पर लाना - गाय को हीट पर लाने के लिए काली तोरई पकने के बाद पेंड से तोड़कर आग मे भून लें ,और ठंडी कर लें तथा ठंडी होने पर तोरई की कुट्टी काट कर गाय को खिला दें । गाय दो से तीन दिन में हीट पर आ जायेगी ,तभी गर्भाधान करा दें तो गाय का गर्भ ठहर जायेगा वह गाभिन रहेगी ।
२ - छुवारे लेकर उनकी गीरी निकालकर छुवारों में गुड़ भरकर और छुवारों को गुड़ में लपेटकर रोटी में दबाकर ७-८ दिन तक गाय को खिलाने से गाय हीट पर आती है ।
३ - छुवारे की आधी गीरी को गुड़ में लपेटकर खिलायें तो गाय जल्दी ही जेर डाल देगी , तथा बाॅस के पत्ते भी खिलाकर जल्दी ही डाल देती है ।
५ - गाय - भैंस को हीट में लाने के लिए -- करन्जवा बीज ३० बीज , चोहटली बीज ( लाल कून्जा बीज ) ३० दाने , लौंग ३० दाने , मुहावले बीज १० दाने , सभी को लेकर कुटकर १५ खुराक बना लें । एक खुराक रोज़ सायं को केवल रोटी में देनी चाहिए ़, दवा गाय को हीट आने तक देवें ।
६ - पशुओं में गर्भधारण के लिए -- जो पशु बार-बार हीट पर आने पर भी गर्भ नही ठहरता इसके लिए सिंहराज पत्थर १५० ग्राम , जलजमनी के बीज १५० ग्राम , खाण्ड २५० ग्राम , खाण्ड को छोड़कर अन्य सभी दवाईयों को कूटकर तीनों दवाईयों को आपस में मिला लें और तीन खुराक बनालें , एक खुराक नई होने ( गर्भाधान ) कराने के तुरन्त बाद , दवाई में थोड़ा सा पानी मिलाकर लड्डू बनाकर गाय को खिला देना चाहिए ।५-५ घंटे के अन्तर पर तीनों खुराक देवें । गाय गर्भधारण करेगी ।
५ - - गर्भाधान के बाद गाय अवश्य गाभिन रहे इसके लिए -
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औषधि - गर्भाधान से पहले गाय की योनि में किसी पलास्टीक के पतले पाईप मे ५ ग्राम सुँघने वाला तम्बाकू पीसकर भर लें और पाईप को योनि में अन्दर डालकर ज़ोर से फूँक मार दें, जिससे वह तम्बाकू योनि में अन्दर चला जायें,फिर गर्भाधान कराये तो गाय अवश्य ही गाभिन रहेगी ।
६ - गाय - भैंस डिलिवरी के बाद यदि जेर नहीं डालती तो उसका उपचार
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१ - औषधि - चिरचिटा ( अपामार्ग ) के पत्ते तोड़कर उन्हें रगड़कर बत्ती बनाकर गाय - भैंस के सींग व कानों के बीच में इस बत्ती को फँसा कर ,माथे के ऊपर से लेकर कान व सींगों के बीच से कपड़ा लेते हुए सिर के ऊपर गाँठ बाँध देवें , गाय तीन चार घंटे में ही जेर डाल देगी ।
२- औषधि - यदि ५-६ घंटे से ज़्यादा हो गये है तो चिरचिटा की जड़ ५०० ग्राम पानी में पकाकर , ५० ग्राम चीनी मिलाकर देने से लाभ होगा ।
३- औषधि - यदि ८-९ घण्टे हो गये है तो जवाॅखार १० ग्राम , गूगल १० ग्राम , असली ऐलवा १० ग्राम , इन सभी दवाईयों को कूटकर तीन खुराक बना लें ।१-१ घण्टे के अन्तर पर रोटी में रखकर यह खुराक देवें।
४- औषधि - यदि गाय को ७२ घण्टे बाद इस प्रकार उपचार करें-- कैमरी की गूलरी ५०० ग्राम , या गूलर की गूलरी ३०० ग्राम , अजवायन १०० ग्राम , खुरासानी अजवायन ५० ग्राम , सज्जी ७० ग्राम , ऐलवा असली ३० ग्राम , इन सभी दवाओं को लेकर कूटकर ५०-५० ग्राम की खुराक बना लें । ५०० ग्राम गाय के दूध से बना मट्ठा ( छाछ ) में एक उबाल देकर दवाईयों को मट्ठे में ही हाथ से मथकर पशु को नाल से दें दें । बाक़ी खुराक सुबह -सायं देते रहे ।
७ - जेर ( बेल ) डालने के लिए ।
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१ - औषधि - डिलिवरी के बाद जब गाय का बच्चा अपने पैरों पर खड़ा हो जाये , तब गाय का दूध निकाले और उसमें से एक चौथाई दूध को गाय को ही पीला दें ,और बाद मे बाजरा , कच्चा जौं , कच्चा बिनौला , आपस में मिलाकर गाय के सामने रखें इस आनाज को खाने के २-३ घंटे के अन्दर ही गाय जेर डाल देगी और उसका पेट भी साफ़ हो जायेगा ।
८ - रोग - गाय के ब्याने के बाद उसका पिछला हिस्सा ठण्डे पानी से धोने के कारण , गाय का
शरीर जूड़ जाने पर ।
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१ - औषधि - अलसी के बीज १५० ग्राम को कढ़ाई में भूनकर , १५० ग्राम गुड में मिलाकर गाय को खिलाने से वह गाय जो अकड़ गयी थी वह खड़ी हो जायेगी तीसरे दिन फिर से एक खुराक देना चाहिए । बाद उसका पिछला हिस्सा ठण्डे पानी से धोने के कारण , गाय का शरीर जूड़ जाने पर ।
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