गोसेवा से यम-यातना छूट गयी (सच्ची घटना)
एक मनुष्य ने जीवन भर पाप किये थे | एक रात उसने रास्ते में जाते देखा की एक घायल गाय पड़ी है और उसके शरीर में सडा घाव है, दुर्गन्ध आ रही है और कीड़े पड़ गए हैं | उसे गाय पर दया आ गयी | और उसने एक अंगुली से गाय के कीड़े निकाले और उस अँगुली से रोज घाव पर मलहम
लगाने लगा | धीरे धीरे घाव मिट गया | दुर्गन्ध जाती रही | गाय स्वस्थ्य होकर चलने-फिरने लगी |
मरने के बाद मनुष्य को यमपुरी ले जाया गया | वह अपने दुष्कर्मो का स्मरण करके दुखी हो रहा था और भूख-प्यास से पीड़ित था | यमराज ने पता लगाया तो उसके जीवन में पाप-ही-पाप थे | एक सत्कर्म था अँगुली से गाय के कीड़े निकाले थे और उस घाव पर दवा लगायी थी |
यमराज ने संतुष्ट होकर अँगुली चूसने को कहा | आदेश पाते ही उसने मुहँ में अँगुली लेकर चूसना शुरू किया | अँगुली से रसभरी अमृतमयी दुग्द-धारा निकली और उसका पान करते ही क्षुधा-पिपासा की पीड़ा के साथ ही तमाम पापों से मुक्त हो गया |
लेखक - श्रीभिक्षु गौरीशंकर जी
संपादक - हनुमानप्रसाद पोद्दार, पुस्तक कोड ६५१, गीताप्रेस गोरखपुर, भारत
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