देशी गौमाता एवम् जर्सी काउ मे अंतर
देशी गौमाता एवम् जर्सी काउ मे अंतर
देशी गौमाता
- समुंद्र मंथन से निकलने वाले १४ रत्नो मे से एक रत्न गौमाता है|
- पीठ पर उभरा हुआ कूकांद होता है जिसमे सूर्यकेतु नाड़ी होती है|
- गर्दन पर गल्कम्बल्झलर होती है
- माथा(शीश) उठा हुआ एव सींड सामान्यतया बड़े होते है|
- प्रणावनाद मे “माँ” शब्द का स्पष्ट उच्चारण होता है|
- दूध साधारण मात्रा मे देती है जो पीलापन लिए हुए होता है|
- सूर्यकेतु नाड़ी के माध्यम से सूर्य तथा अन्य ग्रहों की उर्जा संग्रहित कर गव्यो के माध्यम से अमृत रूप मे देती है|
- ए-2 श्रेणी का दूध देती है जो सुपाच्य, अमृत, आरोग्यदायक तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला होता है|
- सुअर के वर्न संकरण के बनाया गया जीव है|
- पीठ सीधी एवम् सपाट होती है|
- गर्दन पर झालर ना के बराबर होती है|
- माथा(शीश) झुका एवम् सींग सामान्यतया नही या छोटे होते है|
- स्वाभाव भावनाहीन होता है|
- दूध भरपूर देती है जो सफेद रंग का होता है|
- सूर्यकेतु नाड़ी नही होती है, अत: ये एक सामान्य जीव मात्र है| जो मनुष्य के जीवन के लिए अनुकूल नही है|
- ए-1 दूध देती है जिससे ह्र्द्यघात, अस्थमा, कॅन्सर, डायबिटीज़, लिवर समस्या आदि बीमारियाँ होती है|
जय गौ माता जय गोपाला
जवाब देंहटाएंगाय रहेगी तो धर्म रहेगा ,धर्म रहेगा तो दुनिया रहेगी ,दुनिया रहेगी तभी हमारा वजुद रहेगा
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