शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

गुरु_नानकदेवजी_के प्रकाशपर्व_की_सभी भक्तो को बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ....

गुरु_नानकदेवजी_के प्रकाशपर्व_की_सभी भक्तो को बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ....

         गुरु नानकजी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा विक्रम संवत 1527 में तलवंडी (हाल पाकीस्तान) मे हुआ था...|
गुरु नानक देवजी विदेह राज जनक के अवतार थे जिन्होने ईस कलिकाल मे गौ,गरिब और असहायोकी सेवा हेतु अवतार धारण कीया था |

      गुरु नानकदेवजी ने अपने जीवनकालमें सभी को गौसेवा का महत्व समझाया और स्व़ं भी गौसेवा को तत्पर रहे |

      एकबार की बात है जब नदी पार करने के लिए गौमाता और ब्राह्मणो पर भी #कर वसूला जाता था | यानी यदि कोई गौको लेकर कही जाता था तो ऊसे #गौमाता का #कर देना पड़ता था या गौदान करता था तो भी ऊससे कर वसूला जाता था |

       गुरु नानकदेवजी को यह बात तनिक भी नही भाती थी की गौमाता जो भवसे पार कराती है ऊन्हे नदी पार कराने के लिए कर वसूला जा रहा हैं।

     एकबार किसी व्यक्ति ने एक ब्राह्मण को गौमाता दान मे दी , किन्तु पेढ़ी नदी के पास ऊसे  रोक लिया गया , वहां पर कर वसूली करने वाला एक व्यक्ति था ऊसने ऊस ब्राह्मण से कर मांगा , ब्राह्मण ईतना समर्थ नही था की कर दे सके वह बात करके ऊसे समझाने लगा परंतु वह कर वसूली वाला व्यक्ति नही माना ,  ईतने मे गौमाता ने गौबर कर दिया, तो ऊस कर वसूलने वाले व्यक्ति ने ऊस गौबर को ऊठवाया लिया ताकी अपना चौका निपवा सकें ।
        यह घटना नदी के कीनारे के पास बैठे गुरु नानकदेवजी देख रहे थे । ऊन्होने मुस्कुराकर कहां " हे भाई  छोटी सी नदी पार कराने के लिए #गऊ_और_और ब्राह्मण पर तो तुम कर वसुली करते हो ,कींतु साथ ही गौमाता के गोबरके बल पर #संसार सागर पार ऊतरना चाहते हो???? तुम धोती पहनते हो टीका माला माला भी धारण करते हो परंतु धान्य तो मल्च्छो का ही खाते हो । मंदीर जाकर पूजा भी करते हो ,परंतु म्लेच्छो को प्रसन्न करने के लिए कुरान आदी भी पढ़ते हो और  गौमाता पर कर वसुली भी कर रहे हो । भाई यह सब पाखंड छोड़ दो  और केवल परमात्मा का नाम लो और गौमाता की सेवा करो तभी कल्याण होगा...।

तो गौमाता पर वसुला गया कर भी जिन गुरु को नही सुहाता आज हो रही गौहत्या से वे कीतने आहत हो रहे होंगे?????

कृपया सभी गौसेवा करें और परमात्मा का भजन करे ताकी गुरु नानकदेवजी सदैव प्रसन्न रहें ।

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