मंगलवार, 27 अगस्त 2019
गोमाताके देखभाल की सही पद्धति: २
गोमाताके देखभाल की सही पद्धति: १
रविवार, 18 अगस्त 2019
बहुला चौथ पूजा विधि
*व्रत, पूजा विधि एवं कथा*
*19 अगस्त*
इस दिन मिट्टी से गाय एवं बछड़ा बनाया जाता है, कुछ लोग सोने एवं चांदी के बनवाकर उसकी पूजा करते है।
*श्रीगोविन्द भगवान की जय*
क्या होता है , उसके बाद? आप जानते हो?
अक्सर जब किसी शहर में गायों/सांडों की गिनती बढ़ जाती है,🐄🐂 तो हम लोग कहते हैं कि इन सब को इकट्ठा करके गौशालाओं में छोड़ा जाए। और हमारे कहने पर ये हो भी जाता है।
क्या होता है , उसके बाद? आप जानते हो?
लोगों के कहने पर सभी गाय और सांड उठा के गाड़ीयों में पटके जातें हैं 🚛🚚और गौशालाओं में, जहां पहले से ही जगह नहीं है, वहां ठूंस दी जाती हैं।
नई गायों/सांड के कारण जब जगह कम पड़ जाती है, तो आपस में झगड़ा होता है, और बहुत सी गायों की टांग इत्यादि इस चक्कर में टूट जाती है 💉🌡और वो आजीवन अपाहिज हो जाती है।😭
इधर हम लोग खुश हो रहे होते हैं कि हमने गायों को गौशाला भेज कर नाजाने कितना पुण्य का काम किया।
हमें चाहिए कि या तो हम गौशालाओं का दायरा बढ़ाऐं, उन्हें खुला वातावरण दें, या फिर चुप रहें। कम से कम थोड़ी सी जगह में गायों को ठूंसने के लिए किसी अफसर को पत्र मत लिखें। क्योंकि वो भी यही करेंगे।
रविवार, 11 अगस्त 2019
नंदीजी और बैल साक्षात धर्म-स्वरुप है !
नंदीजी और बैल साक्षात धर्म-स्वरुप है !
भगवान भोलेनाथ तो हमेशां नंदीजी पर ही सवारी करके विचरण करते है !
( मेरे भोले है भंडारी करे नंदी कि सवारी भोलेनाथ रे ...)
नंदीजी के बिना कोइ शीवालय कि कल्पना भी कैसे हो सकती है !?
कृष्ण के नजदिक गाय का होना और शीवजी के पास मे ही नंदीजी का नितान्त रहना ही,-- वैष्णवों एवं शैवों के लीये गौवंश कि महीमा और आवश्यक्ताओं को निर्दिष्ट करने वाला बडा सुचक है यह !!
जब हमारे उपास्य इष्टदेव ही गौवंश के बिना नही रह पाते तो हम कैसे उपासक है जो गौवंश कि सेवा,सुरक्षा,संवर्धन से नाता जोडे बिना शैव या वैष्णव कहलाने के काबिल अपने आपको मान लेते है !?
फेसबुक पर कई शूद्ध भक्तों ने अन्य अशुद्ध गौपालक भक्तों के लीये ही खास शुद्धभक्ति के बारे मे चिंता जताइ है, यह अच्छी एवं शुद्ध चिंता है!
पर आप शुद्ध भक्त और अन्य मेरे जैसे अशुद्ध भक्त भी ... कमसेकम शुद्ध देशी गाय से प्राप्त शुद्ध दूध,दहीं,छाछ,मक्खन,घी और गव्यामृतों के संयोग से बने अन्य मेवा-मिठाईयों को पुर्णतः शुद्ध तौर पर अपने शुद्ध श्री-भगवान श्यामसुंदर या शीव को अर्पण करने हेतु शुद्ध दिल और दिमाग से खुद गौवंश के पालन मे नही लगोगे तो शुद्ध-पंचगव्यामृताधारित राजभोग अपने इष्टदेव को कैसे भोग लगा पाओगे !? और कैसे खुद भी शुद्ध-राजभोग का आस्वादन शुद्ध-महाप्रसाद के रुप मे ले पाओगे भला हं !?
शुद्धभक्तिभाव बहुत ही बढीया है ! पर शुद्धभक्ति कि बाते करने से पहले हम शुद्धभक्ति करने का वातावरण या साधन न जूटा पायें तो शुद्धभक्ति तो ठिक,-- साधनाभक्ति भी उचीत ढंग से होनी कठिन होगी !
शुद्धसाधन,भजन,भक्तिभाव से अपने उपास्य इष्टदेव कि संतुष्टि और उनकि प्राप्ति के लीये हमे प्राथमिक आवश्यक्ता के तौर पर शुद्ध साधनभजन के अनुकूल शुद्ध-वातावरण बनाना तो होगा ही !
सोमवार, 5 अगस्त 2019
शास्त्रीय, वैज्ञानिक भारतीय व्यवस्था का एक प्रमाण : गोबर-लेपन
शास्त्रीय, वैज्ञानिक भारतीय व्यवस्था का एक प्रमाण : गोबर-लेपन
देशी गाय का गोबर शुद्धिकारक, पवित्र व मंगलकारी है | यह दुर्गन्धनाशक एवं सात्त्विकता व कांति वर्धक है | भारत में अनादि काल से गौ-गोबर का लेपन यज्ञ-मंडप, मंदिर आदि धार्मिक स्थलों पर तथा घरों में भी किया जाता रहा है |
भगवन श्रीकृष्ण कहते हैं :
सभी प्रपा गृहाश्चापि देवतायतनानि च |
शुध्यन्ति शकृता यासां किं भूतमधिकं तत: ||
‘जिनके गोबर से लीपने पर सभा-भवन, पौसले (प्याउएँ), घर और देव-मंदिर भी शुद्ध हो जाते हैं, उन गौओं से बढ़कर और कौन प्राणी हो सकता है ?’ (महाभारत, आश्वमेधिक पर्व)
मरणासन्न व्यक्ति को गोबर-लेपित भूमि पर लिटाने का रहस्य !
मरणासन्न व्यक्ति को गोबर-लेपित भूमि पर लिटाये जाने की परम्परा हमारे भारतीय समाज में आपने-हमने देखी ही होगी | क्या आप जानते हैं कि इसका क्या कारण हैं ?
गरुड पुराण के अनुसार ‘गोबर से बिना लिपी हुई भूमि पर सुलाये गये मरणासन्न व्यक्ति में यक्ष, पिशाच एवं राक्षस कोटि के क्रूरकर्मी दुष्ट प्रविष्ट हो जाते हैं |’
वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधानों का निष्कर्ष भी इस भारतीय परम्परा को स्वीकार करता है | अनुसंधानो के अनुसार गोबर में फॉस्फोरस पाया जाता है, जो अनेक संक्रामक रोगों के कीटाणुओं को नष्ट कर देता है | मृत शरीर में कई प्रकार के संक्रामक रोगों के कीटाणु होते हैं | अत: उसके पास उपस्थित लोगों के स्वास्थ्य-संरक्षण हेतु भूमि पर गोबर-लेपन करना अनिवार्य माना | अत: उसके पास उपस्थित लोगों के स्वास्थ्य-संरक्षण हेतु भूमि पर गोबर-लेपन करना अनिवार्य माना गया है |
हानिकारक विकिरणों से रक्षा का उपाय
वर्तमान समय में वातावरण में हानिकारक विकिरण (radiations) फेंकनेवाले उपकरणों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ता जा रहा है | इन विकिरणों तथा आणविक प्रकल्पों व कारखानों एवं परमाणु हथियारों के प्रयोग से निकलनेवाले विकिरणों से सुरक्षित रहने का सहज व सरल उपाय भारतीय ऋषि-परम्परा के अंतर्गत चलनेवाली सामाजिक व्यवस्था में हर किसीको देखने को मिल सकता है |
इस बात को स्पष्ट करते हुए डॉ. उत्तम माहेश्वरी कहते हैं : “घर की बाहरी दीवार पर गोबर की मोटी पर्त का लेपन किया जाय तो वह पर्त हानिकारक विकिरणों को सोख लेती है, जिससे लोगों का शरीरिक-मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षित रखने में मदद मिल सकती है |”
भारतीय सामजिक व्यवस्था संतो-महापुरुषों के सिद्धांतों के अनुसार स्थापित व प्रचलित होने से इसके हर एक क्रियाकलाप के पीछे सूक्ष्मातिसूक्ष्म रहस्य व उन महापुरुषों की व्यापक हित की भावना छुपी रहती है | विज्ञान तो उनकी सत्यता और महत्ता बाद में व धीमे-धीमे सिद्ध करता जायेगा और पूरी तो कभी जान ही नहीं पायेगा | इसलिए हमारे सूक्ष्मद्रष्टा, दिव्यदृष्टा महापुरुषों के वचनों पर, उनके रचित शास्त्रों-संहिताओं पर श्रद्धा करके स्वयं उनका अनुभव करना, लाभ उठाना ही हितकारी है |
शनिवार, 3 अगस्त 2019
गाय का दूध ही क्यों पीये:-
गाय का दूध ही क्यों पीये:-
गाय के दूध का सूक्ष्म गुण सतोगुण प्रधान होता है। गाय के दूध के अंदर स्थित उस का मुख्य घटक स्वर्णक्षार, जल तत्व और संतुलित बाशा है। जो प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देता है ।इसीलिए गाय का दूध मन, बुद्धि और आत्मा तीनों को शुद्ध कर उसे सात्विक बना देता है तथा शरीर के अंदर स्थित विषाक्त को नष्ट कर शरीर को निरोग बना देता है इसीलिए गाय के दूध को मानव जीवन के लिए जीवनी शक्ति और अमृत कहां गया है।
इस विश्व ब्रह्मांड में सबसे उत्तम और पवित्र जल गाय के दूध के अंदर ही पाया जाता है ।जिस जल को धर्मशास्त्र में वरुण देवता कहा गया है। वह जल बुद्धि को अति सूक्ष्म बना देता है जिससे मानव मस्तिष्क के अंदर ज्ञान तंत्र, बुद्धि और विवेक बल की सूक्ष्म शक्ति जागृत हो जाती है इसीलिए गाय का दूध पीने वाला बालक तेज बुद्धि का होता है।
उसके साथ सामान्य जल जो हम लोग प्रतिदिन बाहर से पीते हैं। उस जल के अंदर कोई तत्वों की कमी है तो गाय के दूध में पाई जाने वाली जल तत्व हमारे शरीर के अंदर उस जल तत्वों की पूर्ति कर जीवन को निरोग बना देता है इसीलिए गाय के दूध को आरोग्य कहा गया है।
गाय के दूध में पाई जाने वाली सात्विक बसा हमारे शरीर के अंदर स्थित अनावश्यक वाशा को संतुलित कर देता है ।जिससे हमारे शरीर के अंदर स्थित मोटापा घाट जाता है ।रक्त को तरल बना देता है। इससे शरीर के सभी भागों में रक्त का प्रवाह पहुंचने लगता है ।शरीर के अंदर पुरानी सेल को नष्ट कर नया सेल निर्माण का कार्य गाय का दूध करते रहता है इससे बुढापा जल्दी नहीं आता है। इसीलिए गाय का दूध ही मनुष्य को पीना चाहिए।