रविवार, 11 अगस्त 2019

नंदीजी और बैल साक्षात धर्म-स्वरुप है !

नंदीजी और बैल साक्षात धर्म-स्वरुप है !

  भगवान भोलेनाथ तो हमेशां नंदीजी पर ही सवारी करके विचरण करते है !

( मेरे भोले है भंडारी करे नंदी कि सवारी भोलेनाथ रे ...)

   नंदीजी के बिना कोइ शीवालय कि कल्पना भी कैसे हो सकती है !?

   कृष्ण के नजदिक गाय का होना और शीवजी के पास मे ही नंदीजी का नितान्त रहना ही,-- वैष्णवों एवं शैवों के लीये गौवंश कि महीमा और आवश्यक्ताओं को निर्दिष्ट करने वाला बडा सुचक है यह !!

    जब हमारे उपास्य इष्टदेव ही गौवंश के बिना नही रह पाते तो हम कैसे उपासक है जो गौवंश कि सेवा,सुरक्षा,संवर्धन से नाता जोडे बिना शैव या वैष्णव कहलाने के काबिल अपने आपको मान लेते है !?

   फेसबुक पर कई शूद्ध भक्तों ने अन्य अशुद्ध गौपालक भक्तों के लीये ही खास शुद्धभक्ति के बारे मे चिंता जताइ है, यह अच्छी एवं शुद्ध चिंता है!

   पर आप शुद्ध भक्त और अन्य मेरे जैसे अशुद्ध भक्त भी ... कमसेकम शुद्ध देशी गाय से प्राप्त शुद्ध दूध,दहीं,छाछ,मक्खन,घी और गव्यामृतों के संयोग से बने अन्य मेवा-मिठाईयों को पुर्णतः शुद्ध तौर पर अपने शुद्ध श्री-भगवान श्यामसुंदर या शीव को अर्पण करने हेतु शुद्ध दिल और दिमाग से खुद गौवंश के पालन मे नही लगोगे तो शुद्ध-पंचगव्यामृताधारित राजभोग अपने इष्टदेव को कैसे  भोग लगा पाओगे !? और कैसे खुद भी शुद्ध-राजभोग का आस्वादन शुद्ध-महाप्रसाद के रुप मे ले पाओगे भला हं !?

   शुद्धभक्तिभाव बहुत ही बढीया है ! पर शुद्धभक्ति कि बाते करने से पहले हम शुद्धभक्ति करने का वातावरण या साधन न जूटा पायें तो शुद्धभक्ति तो ठिक,-- साधनाभक्ति भी उचीत ढंग से होनी कठिन होगी !

   शुद्धसाधन,भजन,भक्तिभाव से अपने उपास्य इष्टदेव कि संतुष्टि और उनकि प्राप्ति के लीये हमे प्राथमिक आवश्यक्ता के तौर पर शुद्ध साधनभजन के अनुकूल शुद्ध-वातावरण बनाना तो होगा ही !

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