अक्सर जब किसी शहर में गायों/सांडों की गिनती बढ़ जाती है,🐄🐂 तो हम लोग कहते हैं कि इन सब को इकट्ठा करके गौशालाओं में छोड़ा जाए। और हमारे कहने पर ये हो भी जाता है।
क्या होता है , उसके बाद? आप जानते हो?
लोगों के कहने पर सभी गाय और सांड उठा के गाड़ीयों में पटके जातें हैं 🚛🚚और गौशालाओं में, जहां पहले से ही जगह नहीं है, वहां ठूंस दी जाती हैं।
नई गायों/सांड के कारण जब जगह कम पड़ जाती है, तो आपस में झगड़ा होता है, और बहुत सी गायों की टांग इत्यादि इस चक्कर में टूट जाती है 💉🌡और वो आजीवन अपाहिज हो जाती है।😭
इधर हम लोग खुश हो रहे होते हैं कि हमने गायों को गौशाला भेज कर नाजाने कितना पुण्य का काम किया।
हमें चाहिए कि या तो हम गौशालाओं का दायरा बढ़ाऐं, उन्हें खुला वातावरण दें, या फिर चुप रहें। कम से कम थोड़ी सी जगह में गायों को ठूंसने के लिए किसी अफसर को पत्र मत लिखें। क्योंकि वो भी यही करेंगे।
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