गोमाताके देखभाल की सही पद्धति: २
गोमाता के भोजन की व्यवस्था गो भोजन स्थान के साथ जुडी हुई है, गोमाता को कितना भोजन दिया जाये यह बात पर जब मनुष्य निर्णय करता है तब भुल की संभावना बढ़ जाती है, आजकी वैज्ञानिक पद्धति गोपालक को यह समज देती है की गोमाता जितनी मात्रा में दुग्ध दे उतनी मात्रा में गोमाता को भोजन देना चाहिए, किन्तु दुग्ध के प्रमाण में उतार चढाव को भोजन के साथ जोड़ना नहीं चाहिए, जैसे की घरमे हमारे माता-पिता की कार्यशक्ति जब कम हो जाती है तब हम उनको खाना कम नहीं कर देते है, इस बात को ध्यान रखके हमने एक प्रयोग किया, २४ घंटे गो भोजन की जगह पर चारा और पानी रखा, और गोमाता को ही तय करने दिया की कब कितना चारा खाना है और कितना पानी पीना है|
मित्रो, केवल २ दिन ही गोमाता ने ज्यादा भोजन और पानी पिया, यह घटना एक आश्चर्य कर देने वाली है, केहनेका इरादा यह है की गोमाता उसके शरीर के हिसाब से ही भोजन करते है, तो हम सबसे यही बिनती करते है की गोमाता को स्वतंत्रता से चरने दे और भोजन लेने दे |
- वन्दे मातरम, जय गोमाता
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