गोमाता का सांस्कृतिक महत्व - २ :
गोवंश अमृतदाता, कल्याणदाता, और सुख-समृद्धि बढ़ाने वाला हे इस लिए सभी आश्रम में गोशाला रहती थी और शिष्यों को भी गोपालन शिखाया जाता था | शास्त्रों में गोमाता को सर्वदेवमई और सर्वतीर्थमई कहा जाता है | गोमाता के पीठमें ब्रह्माजी बिराजमान है अर्थात गोमाता के पीठ में अनंत मुदिता और अनंत करुणा है, ऐसे ब्रह्माजी के जैसे गुण गोमाता में है | गोमाता के कंठमे भगवान विष्णुजी है जो समग्र पृथ्वी का पालन पोषण करते है तो गोमाता ऐसे ही हमारा पालन पोषण करते है | गोमाता के ललाट में शिवजी बिराजमान है | शिवजी यानि कल्याण | गोमाता का मुख इतना शांत होता है की गोमाता को देखते ही अपना मन कल्याणकारी हो जाता है |
गोमाता के मध्यमें देवलोक है | वैज्ञानिक और मानसिक तरीके से देखने जाये तो गोपालन का कार्य इतना कल्याणकारी है की गोपालन करते करते किसी भी मनुष्य का मन शांति का अनुभव करता है तो वो देवलोक समान है, उसके रोम रोम में महर्षिगण अर्थात ऋषि सम आभा है | जो उसकी पवित्रता का दर्शन करवाता है | गोमाता के पूछ के भाग में अनंत करुणा है | गोमाता के पांवोमें पर्वतो, नेत्रोमे सूर्य-चंद्र एवं गोमूत्र में गंगाजी बिराजमान है | गोमाता के रोम-रोम में देवगण का वास होता है | इसलिए कहा गया है..की गोमाता में ३३ करोड़ देवी देवताओ का वास है |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें