गोमाता का सांस्कृतिक महत्व ६ :
कई बार ख्याल आता है की.. प्राचीन समय में कितनी गोमाताए थी?
श्री कृष्णा भगवान के प्रागट्य यानी की नंदोत्सव के समय पांच लाख गोमाता का दान किया गया था | जनक राजा ने सीतामाता के विवाह के दौरान हज़ारो गोमाता का दान किया था | सिर्फ बेटी या संबधियो को ही नहीं परन्तु समाज के हर एक स्तर पे गोमाता का दान किया जाता था |
समाज में उच्च स्तर के लोग, छोटे बड़े त्यौहार व प्रसंग मे पवित्र गोमाता का दान करते थे | यह रामायण, महाभारत, तथा उपनिषद उल्लेखित है | गोमाता का दान समृद्धि के दान समान ही है | गोमाता भगवान श्री कृष्ण के जीवन का अभिन्न अंग है |
भगवान श्री कृष्ण स्वयं गोपालन करते और भारत भर मे सचमुच दुग्ध और घी की नदिया बहती अर्थात यह खूब ज्यादा मात्रा में प्राप्य था | हर एक इंसान के पास गोमाता प्राप्य थी और हर शाम गोमाता घर को वापिस लौटते समय दुग्ध का दोहन किया जाता था | ब्रह्म मुहरत में लोग उठकर के सीधा गोमाता की सेवामे पूरा दिन समर्पित कर देते थे | आज आधुनिक युग में पैसे खर्च करके भी शुद्ध पंचगव्य प्राप्त करना मुश्किल बन गया है | सुविधाएं बढ़ी संस्कृति बदली और देखते ही देखते गोमाता का यह महत्व हमारी जिंदगी से धीरे धीरे कम होता गया | और इस का परिणाम आज हमारे सामने है ।
- वन्दे मातरम, जय गोमाता
कई बार ख्याल आता है की.. प्राचीन समय में कितनी गोमाताए थी?
श्री कृष्णा भगवान के प्रागट्य यानी की नंदोत्सव के समय पांच लाख गोमाता का दान किया गया था | जनक राजा ने सीतामाता के विवाह के दौरान हज़ारो गोमाता का दान किया था | सिर्फ बेटी या संबधियो को ही नहीं परन्तु समाज के हर एक स्तर पे गोमाता का दान किया जाता था |
समाज में उच्च स्तर के लोग, छोटे बड़े त्यौहार व प्रसंग मे पवित्र गोमाता का दान करते थे | यह रामायण, महाभारत, तथा उपनिषद उल्लेखित है | गोमाता का दान समृद्धि के दान समान ही है | गोमाता भगवान श्री कृष्ण के जीवन का अभिन्न अंग है |
भगवान श्री कृष्ण स्वयं गोपालन करते और भारत भर मे सचमुच दुग्ध और घी की नदिया बहती अर्थात यह खूब ज्यादा मात्रा में प्राप्य था | हर एक इंसान के पास गोमाता प्राप्य थी और हर शाम गोमाता घर को वापिस लौटते समय दुग्ध का दोहन किया जाता था | ब्रह्म मुहरत में लोग उठकर के सीधा गोमाता की सेवामे पूरा दिन समर्पित कर देते थे | आज आधुनिक युग में पैसे खर्च करके भी शुद्ध पंचगव्य प्राप्त करना मुश्किल बन गया है | सुविधाएं बढ़ी संस्कृति बदली और देखते ही देखते गोमाता का यह महत्व हमारी जिंदगी से धीरे धीरे कम होता गया | और इस का परिणाम आज हमारे सामने है ।
- वन्दे मातरम, जय गोमाता
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