कृषक (किसान)
भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि है। वस्तुतः कृषि भारत की जीवन शैली है और इस जीवन का पोषक बिंदू कृषक है। सही मायने में तो राष्ट्र की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक काया की रीढ कृषक है। रीढ़ विहीन राष्ट्रीय शरीर की परिकल्पना असम्भव है। कृषक के लिए गोवंश प्राण शक्ति है। उसके अहर्निश जीवन शैली में गोवंश की अभिरक्षा और संवर्धन आप्लावित है। कृषि व पर्यावरण के क्षेत्र में गोवंश का महत्व बताते हुए सर अलबर्ट हावर्ड ने ने लिखा है - "घोडे और बैल के बदले बिजली की मोटर और तेल वाले इंजनों से खेती करने में एक हानि यह है कि इन मशीनों से गोबर और मूत्र नहीं मिलता, फलतः यह मिट्टी की उर्वरकता बनाये रखने में किसी काम के नहीं है।" (एग्रीकल्चर टेस्टामेंट) कृषक अपनी माँ, इस प्राण शक्ति को सुदृढता और सुदीर्घता प्रदान करने के लिए निम्न बिंदुओं का पालन कर सकते है:-
1. रासायनिक कृषि का विरोध करना चाहिए क्योंकि रासायनिक कीटनाशक व रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति एवं उत्पादन • क्षमता को भारी क्षति पहुँचती है।
2. कृषि कार्य हेतु उपयोग किए गए रासायनिक उर्वरक खाद्यान्न को विषाक्त बना देते हैं जिनको खाने से जन सामान्य के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और वे रक्तचाप, हृदय विकार, उदर विकार, कर्क रोग (कैंसर) जैसी बिमारीयों से पीड़ित हो जाते हैं।
3. रासायनिक कृषि के बजाय गोवंश आधारित जैविक कृषि को शत् प्रतिशत अपनाना चाहिए।
4. जैविक खाद, जैविक कीटनाशक और खरपतवार नाशक के उपयोग में रसायनों की तुलना में 75% कम लागत आती है। साथ ही भूमि की उत्पादन क्षमता बढ़ती है।
5. जैविक कृषि से लाभान्वित होने हेतु अधिक से अधिक गो वंश पालना चाहिए।
6. गो वंश आधारित कृषि से होनेवाले लाभकारी अनुभवों को अन्य किसान वर्ग तक प्रचारित प्रसारित कर उन्हें भी इस दिशा में अग्रसर होने हेतु प्रेरित करना चाहिए।
7. पंचगव्य निर्मित कीटनाशक, फसल रक्षक और उर्वरकों के उपयोगों को प्रधानना दी जानी चाहिए और उनके निर्माण का प्रशिक्षण लेना चाहिए।
8. फसल का एक भाग गोवंश के लिये निकालकर गो सेवा करना चाहिए। गो सेवा, गाय की पूजा और गो उत्सवों की महत्ता से परिचित होकर उन्हें अत्याधिक आनंद एवं उत्साह से मनाने की परम्परा डालना चाहिए। भारतीय परम्परा के गो पर्व उत्सव जैसे - गो वत्स द्वादशी, बलराम जयंती (हलधर षष्ठी), श्री कृष्ण जन्माष्टमी, गोपाष्टमी, मकर संक्रांति आदि उत्सवों को किसानों के अपने उत्सव के रूप में उल्लास के साथ मनाना चाहिए।
9. गोवंश से अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने हेतु पंचगव्य निर्मित मंजन, टिकिया, उबटन, धूप बत्ती, मच्छर प्रतिबंधक व अन्य औषधि निर्माण कार्य कर गोवंश आधारित समग्र ग्राम विकास की कल्पना को साकार करने का प्रयत्न करना चाहिए।
10. जुताई, फसल कटाई इत्यादि कृषि कार्यों के लिए ट्रॅक्टर एवं अन्य मशीनों की बजाए बैल तथा बैल चालित अन्य यत्रों का उपयोग कर राष्ट्रीय ईंधन व मूल्यवान बिजली की बचन करनी चाहिए।