शनिवार, 9 नवंबर 2024

गोपाष्ठमी की मंगलमय बधाई

वेदलक्षणा गोपाष्टमी के समृद्धि महापर्व की गोभक्त धर्मात्माओं को बहुत-बहुत बधाई, हम सब गोसेवाव्रतपूर्वक धेनु संरक्षण, धरती संपोषण, प्रकृति संवर्धन, पर्यावरण परिशोधन तथा सनातन संस्कृति के विस्तार का संकल्प धारण करें।

• अपने दैनिक आहार, औषधी तथा उपासना में गोदुग्धान्न एवं गोकृषि अन्न ग्रहण करने का नियम लीजिए और निज उत्पादन से गौग्रास समर्पण कीजिए।

• वैदिक काल से आरक्षित गोभूमियों को सीमांकित, विकसित एवं गोवंश के लिए आरक्षित कराने हेतु अभियान चलाने वालों का सहयोग कराएं।

• वेदलक्षणा गोमाता को संवैधानिक सम्मान दिलाने, गोपालन मंत्रालय का गठन कराने और सम्पूर्ण गोवंश संरक्षण का केन्द्रीय कानून बनाने में सहयोग कीजिए।

• गो आधारित प्राकृतिक कृषि को प्रोत्साहन करने, गोमहिमा प्रचार-प्रसार द्वारा सामाजिक जागृति एवं गोहितार्थ नीतियाँ बनाने हेतु सामुहिक एकता से शासन को प्रेरित करने का संकल्प लीजिए।

पुनः गोनवरात्र के पावन पर्व पर पूज्या गोमाता का मंगल आशीर्वाद स्वीकार कीजिए।

शनिवार, 12 अक्टूबर 2024

गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करें सरकार

11 अक्टूबर चैन्नई

गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करें सरकार

गोरक्षकों को ही वोट दे हिन्दू समाज


जिसदिन गोहत्या रुकेगी , उसदिन हमारा सारा कर्ज उतरना शुरु हो जाएगा


गो हत्यारी पार्टियों को वोट देकर गो हत्या का पाप न लें हिन्दू


ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘१००८’ 


जगद्गुरु शंकराचार्य जी राजधानी पहुंचे वहां पर पादुका पूजन हुआ। उसके बाद शंकराचार्य जी महाराज जी ने गौ ध्वज स्थापना किया। गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए परमाराध्य परमधर्माधीष उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज ने कहां कि पूज्य शंकराचार्य जी महाराज गोमाता को राष्ट्रमाता घोषित कराने के लिए पिछले २२ सितम्बर २०२४ को अयोध्या धाम में पहुंचकर रामकोट की परिक्रमा कर इस यात्रा की शुरुआत की थी, ये ऐतिहासिक यात्रा पूर्वोत्तर के प्रायः सभी राज्यों में जाकर गोप्रतिष्ठा ध्वज की स्थापना कर चुकी । 
इस ऐतिहासिक यात्रा को विगत दिनों तब एक बडी सफलता मिली जब पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज के निर्देश पर महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ सम्भाजी शिन्दे जी ने देसी (रामा) गाय को राज्यमाता घोषित करके केबिनेट की प्रस्ताव की कापी शंकराचार्य जी के चरणों में सौंपा । 

पूज्य शंकराचार्य जी महाराज इस ऐतिहासिक यात्रा के माध्यम से भारत भूमि की ऊपर से सम्पूर्णतया गौहत्या का कलंक मिटाकर गोमाता को राष्ट्रमाता घोषित कराने के लिए है।

भक्तों को सम्बोधित करते हुए पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज ने कहा कि गो गंगा  कृपाकांक्षी गोपालमणि जी का ये आन्दोलन अत्यन्त पवित्र है  इसलिए इस आन्दोलन को बल देने के लिए हम इस अभियान में लगे हुए हैं । 

गाय को दूध समझने वाले और गाय को मांस समझने वाले दोनों ही गाय के महत्व से अनभिज्ञ है , भगवद्गीता में भगवान कहते हैं कि हमारे साथ भगवान ने यज्ञ को प्रकट किया और हम परस्पर एक दूसरे के लिए बनाए गए हैं  । 

एकबार प्रजीपति ब्रह्मा जी द्वारा - देवता , दैत्य और मानव निमंत्रित किए गए , तैयार होने के बाद सुन्दर व्यंजन परोस दिया गया लेकिन ब्रह्मलोक के सेवकों ने सबके हाथ में एक लम्बा डंडा रस्सी के साथ बांध दिया । दैत्यों ने भोजन का बहिष्कार कर वहां से निकल गए । देवता और मनुष्यों ने एक दूसरे का सहयोग करते हुए एक दूसरे को खिलाकर परम तृप्ति का अनुभव किया । दूसरे को खिलाने से संतुष्ट होते हैं हम भारतीय । हम अपने देवता, अतिथि और बच्चों के लिए भोजन बनाते हैं इसी को यज्ञ कहा जाता है । मंत्र और हवि के द्वारा यज्ञ होता है जिससे देवता प्रसन्न होते हैं । ब्राह्मण और गोमाता ही यज्ञ को सम्पन्न कराते हैं । बिना गाय के सारी पूजा उपासना व्यर्थ है , ३३ कोटि देवता की सेवा ही गौसेवा है । पहली रोटी हम अपने ३३कोटि देव स्वरूपा गोमाता को समर्पित करते हैं । 

महाराज दिलीप सर्वसामर्थ्यवान थे लेकिन पुत्र विहीन होने के कारण दुखी थे , गुरु वशिष्ठ के आदेश का परिपालन करते हुए ४० दिन तक अहर्निश गौसेवा की परिणाम अज नामका पुत्र हुआ उनके धर में , आगे चलकर इसी पवित्र वंश में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम नें अवतार धारण किया । 

भगवान को पाना है तो गोसेवा करो , भगवान ने कह रखा है - ‘गवां मध्ये वसाम्यहम्’ मैं सदा गायों के बीच में ही रहता हूं । 

‘मातीति माता’ जो सबको अपने अन्दर समा ले वही माता है । गौमाता में सबकुछ समाहित है । ललितासहस्रनाम में भगवती  को ‘गोमाता’ कहकर सम्बोधित किया गया है । गौमाता सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली देवी है, हम सनातनी केवल दूध नहीं अपितु आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गौसेवा करते हैं  



मंगलवार, 24 सितंबर 2024

गोहत्यारी पार्टियों को वोट देकर गोहत्या का पाप न लें हिन्दू

गोहत्यारी पार्टियों को वोट देकर गोहत्या का पाप न लें हिन्दू

-शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती

सनातन धर्म में गोहत्या महापाप है। गोहत्या करने वाले को समर्थन देने वाले को भी यह पाप लगता है। इसलिये सत्ता में आकर गोहत्या करने वाले राजनीतिक दलों को मत देकर उन्हें सत्ता में लाने बाले मतदाताओं को भी गोहत्या का पाप लग रहा है। हिन्दुओं को इससे बचने और अपने मताधिकार का सही प्रयोग करने की आवश्यकता है।

हमारे शास्त्र हमें बताते हैं कि गोमाता सर्वदेवमयी है। इनकी पूजा करने से 33 करोड देवी-देवताओं की पूजा एक साथ हो जाती है। इनका स्थान सर्वोपरि है। तभी तो सनातन धर्म में देवता और गुरु के लिए नहीं, अपितु गोमाता के लिए पहली रोटी (गो-ग्रास) निकालने का नियम है। हमारे देश का यह भी गौरवपूर्ण इतिहास रहा है कि चक्रवर्ती सम्राट् दिलीप, भगवान् राम और भगवान् कृष्ण आदि ने भी गोसेवा की है। परन्तु बहुसंख्यक गो- पूजक सनातनियों के इस देश में आज गोमाता की हत्या हो रही है, जो हम सबके लिए कलङ्क है। इसी कलङ्क को भारत की भूमि से मिटाने के लिए पूर्व में भी अनेक सन्तों ने धर्मसम्राट् स्वामी श्री करपात्रीजी महाराज एवं शङ्कराचार्यों के नेतृत्व में गोरक्षा आन्दोलन किया था। तब से अब तक अनेक सरकारें आयीं, लेकिन किसी ने भी गोहत्या बन्दी की उद्घोषणा नहीं की, बल्कि मुगलों, आक्रमणकारियों और अंग्रेजों द्वारा की जा रही गोहत्या को बढ़ावा ही देती रहीं। अब जब देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है और अयोध्या में भगवान् श्रीराम विराजमान हो गये हैं, तो अमृत (दूध) देने वाली गोमाता की हत्या होती रहे, यह सरासर अन्याय है। यह आम हिन्दू मतदाताओं को पाप में डालने बाला काम है, जिसे किसी भी दशा में रोका जाना चाहिए। इसीलिए हम सब हिन्दू सनातनी चाहते हैं कि भारत में गोहत्या को दण्डनीय अपराध माना जाय और गोमाता को पशु-सूची से निकालकर राष्ट्रमाता का सम्मान दिया जाय। जिस प्रकार देश में राष्ट्र ध्वज, राष्ट्रीय पक्षी आदि को संविधान में सम्मान प्राप्त है वैसे ही गौमाता को भी राष्ट्रमाता का सम्मान प्राप्त हो क्योंकि हमारे शास्त्रों में पशवो न गावः कहकर उन्हें पशु मानने का निषेध किया है और उनके लिये विश्वमाता शब्द कहकर सम्मानित किया है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि जब हम गो कहते हैं तो इसका तात्पर्य शुद्ध देशी नस्ल की असंकरीकृत गो से है जिसकी सास्ना और ककुद होती है। जर्सी और अन्य संकरीकृत को हम सनातनीजन गाय नहीं मानते। शुद्ध देसी गो को हमने रामा गो नाम दिया है और इनको ही राष्ट्रमाता घोषित करने की माँग हम गोभक्त कर रहे हैं।

करे जो गोमाता पर चोट, हम कैसे दें उसको बोट ?

हमारा धर्म हमें यह भी सिखाता है कि यदि हम गलत करने वाले का समर्थन करते हैं, तो हमें भी उस गलत कार्य को करने का पाप भोगना पडता है। यदि कोई सरकार गोहत्या कर रही हो और हम उसे बोट देकर अपना समर्थन देते हैं तो उसके द्वारा किये जा रहे गोहत्या का पाप हमें भी लगेगा। इसीलिए हम गोभक्त सनातनी हिन्दुओं से यह कहना चाहते हैं कि आप गोहत्यारी पार्टियों को अपना अमूल्य वोट देकर गोहत्या के महापाप के भागी न बनें। देश में होने वाले चुनाव में कौन-सी पार्टी कब सत्ता में आयेगी, यह कभी भी पहले से नहीं कहा जा सकता। इसलिए आप सब यह स्पष्ट निर्णय कर लें कि जिस भी पार्टी की सरकार बने, उसे शपथ ग्रहण करते ही सबसे पहला कार्य गोहत्या बन्द कराकर गाय को राष्ट्रमाता घोषित करना होगा। आपके द्वार पर जो भी वोट लेने आये, उनसे आप यह कह सकते हैं कि गोहत्या न करने का शपथ-पत्र लिखित रूप से देने पर ही बोट दिया जायेगा, ताकि आपको स्वयं गोहत्या का पाप न लगे।

गोरक्षा के लिए हुए सार्वजनिक प्रयास

गोमाता को राष्ट्रमाता घोषित कराने के लिए प्रयाग के माघ मेले में द्वारकापीठ एवं ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्यों के दिव्य सान्निध्य में प्रथम गो संसद् का आयोजन हुआ जिसमें 21 प्रस्ताव पारित हुए। तदनन्तर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य जी ने परम गोभक्त गोपालमणि जी के नेतृत्व में विशुद्ध गोभक्तों संग वृन्दावन से दिल्ली तक की पदयात्रा की। यह बात्रा गोवर्धन परिक्रमा से आरम्भ होकर वर्ष 1966 में जहाँ गोभक्तों पर गोली चली थी, संसद् भवन, दिल्ली के उस स्थान पर जाकर रामा-गो की रक्षा करने के संकल्प के साथ पूर्ण हुई। इसके पश्चात् दिल्ली के तेरापंथ भवन में द्वितीय पंचदिवसीय गो संसद् का आयोजन किया गया जिसमें 21 प्रस्ताव पारित हुए और एक गो संहिता विधेयक भी सर्वसम्मति से पारित हुआ।

गो-ध्वज स्थापना भारत यात्रा :

परमाराध्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वतीजी के दिव्य सान्निध्य में तथा गौ गंगा कृपाकांक्षी श्री गोपालमणि जी के नेतृत्व में सम्पूर्ण भारत में गी प्रतिष्ठा आन्दोलन के अन्तर्गत गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा दिनाङ्क 22 सितम्बर से 26 अक्टूबर तक हो रही है जो भारत के समस्त 36 प्रदेशों की राजधानियों तक जाएगी तथा वहाँ एक गो ध्वज की स्थापना की जाएगी। प्रत्येक राज्य की राजधानियों में गो प्रतिष्ठा सम्मेलन का आयोजन होगा जिसका श्रीगणेश गोरक्षक,
गोभक्त भगवान् श्रीराम जी की राजधानी अयोध्या से हुआ है जहाँ भगवान् रामलला के रूप में विद्यमान हैं; जहाँ से यह पूर्व, पश्चिम, दक्षिण, उत्तर होते हुए यह यात्रा 26 अक्टूबर को देश की राजधानी दिल्ली पहुँचेगी। पूज्य जगद्गुरु शङ्कराचार्य जी द्वारा समस्त भारत के प्रखर गोभक्तो को सम्मानित भी किया जा रहा है। इस गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा का लक्ष्य सम्पूर्ण भारत में गो प्रतिष्ठा आन्दोलन हेतु समस्त राष्ट्र के गोभक्त हिन्दुओं को जागृत कर एक सूत्र में पिरोने का है तथा गोमाता की दुर्गति को दूर कर, भारत की पवित्र भूमि से गो हत्या के कलङ्क को मिटाकर, गोमाता को पशु सूची के से हटाकर राष्ट्रमाता के पद पर प्रतिष्ठित कराना है।

फिर देश की राजधानी दिल्ली में गोपाष्टमी के अवसर पर 7,8 और 9 नवम्बर 2024 को तीन दिवसीय राष्ट्रव्यापी गो प्रतिष्ठा महासम्मेलन होगा और यात्रा का समापन भगवान् श्रीकृष्ण के बाललीला धाम वृन्दावन पहुँच गो ध्वज समर्पण करके होगा जो भारत की सरकार को गौहत्या के कलङ्क को मिटाकर गौमाता को राष्ट्रमाता की प्रतिष्ठा दिलाने हेतु निर्णायक होगा।

आप भी गोहत्या रोकें और पाप से बचें :

आपमें से जो भी हिन्दू प्रत्यक्ष रूप से इस आन्दोलन से नहीं जुड़ पा रहे वे सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बात जन-जन तक पहुँचाएं और मतदान करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि कहीं आपके दिए मत का प्रयोग कर बनने बाली सरकार गोहत्या तो नहीं कर रही? गोहत्या को बन्द करने हेतु अपना

समर्थन-सहयोग आप सनातनी हिन्दू अवश्य प्रदान करेंगे ऐसा हमें विश्वास है।

सर्वदेवमयी गोमाता का आशीर्वाद आप सबको प्राप्त हो।


गो-माता, राष्ट्र माता राष्ट्र माता, भारत माता।



बुधवार, 18 सितंबर 2024

गो प्रतिष्ठा आंदोलन - गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा22 सितंबर से 26 अक्टूबर 2024 तक

गो प्रतिष्ठा आंदोलन - गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा
22 सितंबर से 26 अक्टूबर 2024 तक
गो ध्वज को स्थापित कर गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित कराने पहुंचेंगे देश के ३६ राज्यों की राजधानियों में "परम् गौभक्त श्री श्री १००८ स्वामी शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज""

सनातन धर्म में वेद, उपनिषद, पुराणों सहित समस्त धर्म शास्त्रों में गो की महिमा गई है। गाय को पशु नहीं अपितु माता की प्रतिष्ठा दी गई है यही सनातन धर्मी हिंदुओ की पवित्र भावना है, आस्था है। इसी धार्मिक आस्था हेतु संविधान एवं कानून में गाय को राज्य सूची से हटाकर केंद्रीय सूची में डालकर गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने तथा गौहत्या मुक्त भारत बनाने के लिए संपूर्ण भारत में गौ प्रतिष्ठा आंदोलन चलाया जा रहा है। 

स्वतंत्रता प्राप्त से ही निरन्तर गौमाता की प्रतिष्ठा एवं रक्षा के प्रयास होते रहे है जिसमें 1966 के धर्म सम्राट यति चक्रचूडामणि पूज्य करपात्री जी महाराज जी के नेतृत्व में हुआ प्रचलित गौरक्षा आंदोलन है जिसके लिए हजारों गौभक्तों का बलिदान हुआ था। इसी क्रम में गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाकर गोहत्या मुक्त भारत बनाने हेतु परम गोभक्त पूज्य गोपाल मणि जी ने गौ प्रतिष्ठा आंदोलन का नेतृत्व कर देशभर में इसे जीवन्त रखा तथा इस पवित्र अभियान में चारो पीठों के जगद्गुरु शंकराचार्यों का आशीर्वाद प्राप्त किया। चारो पीठों के पूज्य जगद्गुरू शंकराचार्यों द्वारा अभिषिंचित एवं समर्थित गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने एवं गौहत्या बंदी कानून हेतु देश में गौ संसद का आयोजन हुआ जिसमें रामा गौ प्रतिष्ठा संहिता बिल सहित 42 बिंदु का धर्मादेश  भी पारित किया जा चुका है । गौ प्रतिष्ठा के इस अभियान को प्रज्वलित करने हेतु गौ घृत की ज्योति को प्रकाशित कर ज्योर्तिमठ के परम पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज जी ने इस आंदोलन का निर्देशन कर रहे है जिन्होंने 14 मार्च से लेकर 28 मार्च 2024 तक नंगे पैर पदयात्रा गोवर्धन से दिल्ली तक भी की। पूज्य जगद्गुरू ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य जी के निर्देशन में आज गौ प्रतिष्ठा का अभियान निरन्तर देशभर में गतिमान है जिन्होंने इस संवत्सर को गौ संवत्सर के रूप में घोषित भी किया है।

पूज्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी के निर्देशन एवं नेतृत्व में संपूर्ण भारत में गौ प्रतिष्ठा आंदोलन के अंतर्गत गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा दिनांक 22 सितंबर से 26 अक्टूबर तक होनी निश्चित हुई है जो भारत के समस्त 36 प्रदेशों की राजधानियों तक जाएगी तथा वहां एक गो ध्वज की स्थापना की जाएगी।  
गो प्रतिष्ठा आंदोलन के संयोजक पूज्य गोपाल मणि जी महाराज भी पूरे समर्पण और शक्ति के साथ यात्रा की सफलता हेतु प्राण-प्रण से शंकराचार्य जी के साथ हर कदम में साथ रहेंगे। प्रत्येक राज्य की राजधानियों में विशाल गो प्रतिष्ठा सम्मेलन का दिव्य भव्य आयोजन होगा जिसका श्रीगणेश गोरक्षक, गोभक्त भगवान श्रीराम जी की राजधानी अयोध्या से होगा जहां भगवान रामलला के रूप में विद्यमान हैं जहां से यह पूर्व, पश्चिम, दक्षिण, उत्तर होते हुए 26 अक्टूबर को देश की राजधानी दिल्ली में होगी। पूज्य जगद्गुरू शंकराचार्य जी द्वारा समस्त भारत के  प्रखर गोभक्तो को सम्मानित भी किया जाएगा। 

तमिलनाडु की राजधानी चैन्नई में पूज्य शंकराचार्य स्वामि श्री अविमुक्तेश्वरानंदजी 11अक्टूबर 2024 शुक्रवार को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक गो ध्वज की स्थापना, गो महासभा को संबोधित करेंगे। इसके उपरांत वो अग्रिम यात्रा हेतु प्रस्थान करेंगे।

इस गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा का लक्ष्य संपूर्ण भारत में गो प्रतिष्ठा आंदोलन हेतु समस्त राष्ट्र के गोभक्त हिन्दुओं को जागृत कर एक सूत्र में पिरोने का है तथा गोमाता की दुर्गति , गो हत्या के कलंक को मिटाकर कर, पशु के अपमान से हटा कर राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाना है।
इस गो ध्वज स्थापना पद यात्रा का सूत्रवाक्य है : गौ माता, राष्ट्र माता - राष्ट्र माता, भारत माता

गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा के उपरांत देश की राजधानी दिल्ली में गोपाष्टमी के अवसर पर 7, 8 और 9 नवंबर को तीन दिवसीय राष्ट्रव्यापी गो प्रतिष्ठा महासम्मेलन होगा जो भारत की सरकार को गौहत्या के कलंक को मिटाकर गौमाता को राष्ट्रमाता की प्रतिष्ठा दिलाने हेतु निर्णायक होगा।।


 हों कहीं भीं निस्वार्थ भावपूर्ण गौसेवा वा प्रकृति पर्यावरण की रक्षा करें🙏

बुधवार, 21 अगस्त 2024

पुलिस अधिकारी कैसे गौसेवा कर सकते है ।

पुलिस विभाग

आप कानून के रक्षक हैं, समाज के प्रहरी हैं, हिंसा व अत्याचार को रोककर समाज में शांति स्थापित करने का दायित्व आपके कंधो पर हैं। आपके हौसलों की बुलंदि ही असामाजिक तत्वों के हौसलों को पस्त करती हैं। आपकी सजगता व तत्परता पर ही अहिंसा व शांति की नींव टिकी हैं, आपकी ईमानदारी व नैतिकता से ही असामाजिक तत्वों का अस्तित्व मिट सकता हैं। आइये, गोवंश की करूण व्यथा को समझें एवम् गोरक्षा हेतु कुछ पुनीत कार्य करें।

१. गोहत्याबंदी कानून का सख्ती से पालन करवाना चाहिये।

२. गाय पर होनेवाले अत्याचारों का विरोध करना चाहिये।

३. गोहत्या से संबधित दोषियोंको सख्त से सख्त सजा दिलवाने का प्रयास करना चाहिये।

४. किसी भी प्रकार के प्रलोभन को अस्वीकार कर, गोहत्याबंदी कानून का सख्ती से पालन करवाना चाहिये।

५. गौरक्षा आंदोलन को सुरक्षा प्रदान करनी चाहिये।

६. गौरक्षा से जुडे कार्यकर्ताओं से सभ्य व्यवहार करना चाहिये

अधिवक्ता (वकील) कैसे गौसेवा कर सकते है।

अधिवक्ता (वकील)

'तर्को प्रतिष्ठा" के माध्यम से अधिवक्ता सत्य के अन्वेषण में अपना महत् योगदान देता है। भारत की सांस्कृतिक चेतना एवं राष्ट्रीय सुदृढता के लिए आवश्यक गौ सेवा, गौ रक्षा व गोसंवर्धन के इस सत्यान्वेषी कार्य को अधिवक्ता गण निम्नलिखित अकाट्य तर्कों को प्रतिष्ठित कर सफल कर सकते है :

१. गो हत्या के प्रकरणों में दोषियों को सजा दिलवाने हेतु अधिवक्तागण एकजुट होकर मुकदमा लडें ।

२. 'कोई भी अधिवक्ता गोवंश हत्यारों का मुकदमा नही लडेगा' ऐसा वातावरण बार काउंसिल में तैयार करे । उल्लेखनीय है कि बलात्कारियों के खिलाफ देश के कई स्थानों की बार काउंसिलें ऐसा निर्णय कर आदर्श प्रस्तुत कर चुकी है।

३. गोवंश माँस निर्यात निरोध सम्बंधी विभिन्न कानूनों से आम जन को परिचित करावें।

४. प्रशासन के किसी विभाग व्दारा या किसी व्यक्ति, संस्था व्दारा गोवंश रक्षण व संवर्धन सम्बंधी कानूनों का उल्लंघन किये जाने पर, तुरंत जनहित याचिका दायर करना चाहिए, पूरी गंभीरता से मुकदमा लड़ना चाहिए ।

५. गोवंश रक्षण व संवर्धन सम्बंधी कानूनों में कमियाँ खोजकर उन्हे अधिक असरकारी बनाने हेतु अधिवक्ता संगठनों के माध्यम से प्रयास करना चाहिए । राष्ट्र एवं राज्यों के गोवंश रक्षा कानून अत्यधिक कठोर, धारदार व कारगर बने इस हेतु प्रयास करें ।

६. गोरक्षा व संवर्धन से जुडे कार्यकर्ताओं से तालमेल कर उन्हे इसके कानूनी पक्ष की सम्पूर्ण जानकारी देवें । इस हेतु प्रशिक्षण शिबिर आयोजित करें ।

७. स्वयं पंचगव्य आधारित पदार्थों, औषधियों का प्रयोग करें व अन्य को इसके लिए प्रेरित करें ।

८. घर में गाय पालकर गो सेवा करें व समाज के अन्य लोगों में इसके लिए रुचि जाग्रत करें ।

९. गोपर्व, गो उत्सवों में सक्रिय भागीदारी करें। समाज में अपनी प्रतिष्ठित स्थिति का उपयोग गो हित में करें ।

१०. गो सेवा हेतु धन संग्रह एवं वस्तु संग्रह में सहयोग करें ।


रविवार, 2 जून 2024

गौशाला संचालक

गौशाला संचालक

गोशाला तैंतीस कोटी देवी-देवताओं का मंदिर हैं, राष्ट्र का विकासपथ इसी मंदिर से प्रारंभ होता हैं, रासायनिक कृषि एवम् औषधि से पीडित मातृभूमि, जनस्वास्थ्य व पर्यावरण की रक्षा का दायित्व आप पर ही राष्ट्र को बचा सकते हैं आपकी दृढइच्छाशक्ति एवम् संकल्प क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता हैं, आपकी मेहनत इस राष्ट्र को प्रगती के उच्च पायदान पर खडा कर सकती हैं। आइये, प्राचीन विज्ञान को उजागर करें, खाद्यान्न, स्वास्थ्य, उर्जा व पर्यावरण की समस्याओं से जूझ रहे इस राष्ट्र में गोवंश आधारित विकास" की परिकल्पना को साकार करें व मातृभूमि को उसका खोया वैभव व गौरव पुनः दिलायें।

1. जैविक कृषि हेतु गोबर एवं गोमुत्र एकत्रित कर उनसे खाद कीट नियंत्रक उर्वरक निर्मित करे, विक्री करें एवम् प्रशिक्षण देवें।

2. गौनस्ल सुधार कार्यक्रम चलाये।

3. पंचगव्य आधारित औषधियों के निर्माण एवं विक्रय हेतु लोगों को प्रशिक्षित करें।

4. गोबर गॅस प्लांटो के संचालन गॅस वितरण एवं संबंधित कुटीर उद्योग विकसित करे।

5. ऋतु के अनुसार गौ-आहार (चारा, संतुलित दादा, चुन्नी चोकर एवं खनिज लवण) गौवंश के लिए उपलब्ध कराये।

6. किसान सम्मेलन आयोजित कर जैविक कृषि की महत्ता एवं उपयोगिता प्रचारित करे।

7. पंचगव्य द्वारा निर्मित पदार्थों के उपयोग को प्रचार माध्यमों द्वारा प्रचारित एवं प्रसारित करने की व्यवस्था करें।

8. गौ-शाला मे गौ-ग्रास दान पेटी लगाये एवं समय-समय पर गौ उत्सवों एवं गौ-पर्वो का आयोजन करे।

9. गौशाला, पंचगव्य औषधी व कृषि उत्पाद तथा पंचगव्य से निर्मित उर्जा केन्द्रो में विद्याथियों की शैक्षणिक यात्रा का आयोजन करें।

शनिवार, 1 जून 2024

"राष्ट्रीयता का दीप जलाएं"

धर्मपराण भारत हजारों वर्षों से सम्पूर्ण संसार में आध्यात्म का दीपक जलाकर उसे प्रकाशमान करता रहा है दूसरों को ज्ञानरूपी दीपक से प्रकाशमान करते रहने वाला भारत स्वाधीनता के बाद से ही स्वयं व्यक्तिगत स्वार्थों, अनैतिकता, अलगावाद, भरष्टाचार, जैसे अंधकारो घिर कर तेजहीन क्यों होता जा रहा है? क्या कभी हमनें इसका लेखाजोखा करने की आवश्यकता महसूस की है? धर्म तथा आध्यात्म व गोसेवा-गोरक्षा भारत के प्राण थे और रहेंगे । भारत ने हमेशा अति भौतिकवाद और अशान्ति के अंधकार में डूबे पश्चिम को मानवतावाद, शान्ति तथा भाईचारे का प्रेरक संदेश देकर वहां प्रकाश बिखेरा था । आज आध्यात्म व गोसेवा-गोरक्षा को छोड़कर भारत स्वयं संकटग्रस्त है । इसलिए आइये फिर धर्म, आध्यात्म व गोसेवा-गोरक्षा की तरफ लौटकर भारत की सुख, सम्रद्धि व खुशहाली के लिए 'राष्ट्रीयता का दीपक ' जलाएं। 

गुरुवार, 7 मार्च 2024

चिकित्सक (डॉक्टर) कैसे गौसेवा कर सकते है।

चिकित्सक
(ऍलोपॅथी, होम्योपॅथी व अन्य)

स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। राष्ट्रोनति का कार्य स्वस्थ मानसिकता में ही निहित है। चिकित्सक जनजन को स्वस्थ मन- मस्तिष्क उपलब्ध करा कर सच्ची राष्ट्र सेवा करते है। गो रक्षा एवं गौ संवर्धन हेतु चिकित्सक समाज में अपनी विशेष स्थिति का उपयोग कर कई गुना अधिक कार्य कर सकते है। अधोलिखित बिन्दुओं पर विचार करें व क्रियान्वित करे यही आग्रह है :

१. अपने दवाखाने में गौमाता का चित्र लगावें और आने वाले मरीजों को गो दुग्ध पान की सलाह दें।

२. घर में गाय पालें व गौ सेवा करें, अन्य को भी इस हेतु प्रेरित करें ।

३. पंचगव्य औषधियों का विभिन्न बीमारियों पर असर लगातार देखें एवम् सफल व कारगर नुस्खों का चार्ट बनाकर अपने दवाखाने में लगावें ।

४. गोपर्व, गो उत्सव जैसे, गोवत्स व्दादशी, बलराम जयंती (हलधर षष्ठी), श्री कृष्ण जन्माष्टमी, गोपाष्टमी, मकर संक्रांति इत्यादि उत्साहपूर्वक मनावें व अन्य को भी प्रेरित करें ।

५. अन्य चिकित्सकों के बीच गोरक्षा, गोसंवर्धन सम्बंधी चर्चा करें, उन्हें भी इस हेतु प्रेरित करें ।

६. मरीजों को गोसेवा कर आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने की सलाह देवें ।

७. गो दुग्ध, गोघृत के उपयोग पर अभियान चलाएं ।

८. स्वयं गोग्रास निकालें, अन्य को भी प्रेरित करें ।

९. गोसेवा, गोरक्षण व गो संवर्धन हेतू धन संग्रह में सहयोग देवें ।

१०. गाय के रक्त से बनी डेक्सोरेंज सीरप, गोवंश के पॅनक्रिआज से प्राप्त इंसूलिन, जिलेटीन वाले कॅपसुल, गोवंश की हड्डियों से बनी Heamaccel औषधि व अन्य कॅलशियम पूरक औषधियों का रोगोपचार में उपयोग नहीं करना चाहिये व वैद्यकीय क्षेत्र में इस विषय पर जनजागरण करना चाहिये।

११. पंचगव्य औषधियों की चिकित्सा संबधित सफलताओं, अनुसंधानात्मक खबरों को विशेष रूची के साथ पढ़ें।

१२. उपरोक्त जानकारियों की अपनी पध्दति से जाँच-परख कर, संतोषजनक पाये जाने पर, पंचगव्य औषधि का रूग्णों के इलाज में उपयोग करें।

१३. पंचगव्य व संबधित विषयों को अर्वाचिन क्षेत्र के अनुसंधान में प्राथमिकता दें।

१४. पंचगव्य आयुर्वेद में चल रहे अनुसंधान कार्यों में आवश्यकता पड़ने पर सलाह, मार्गदर्शन प्रदान करें।

वैद्य कैसे गौसेवा कर सकते है

आयुर्वेद पध्दति से इलाज करने वाले "वैद्य" हजारों वर्षों से भारतीय जन को स्वास्थ प्रदान करते आये है। ऐलोपॅथी के इस युग में भी "वैद्य" गाँव - गाँव में विराजमान है व सेवा कर रहे है। आज भी भारत के लाखों गाँवो के निवासियों के जीवनदाता वैद्य ही है। गोमाता व वैद्य का रिश्ता हजारों वर्षों से अटूट बना हुआ है। गोरक्षण गो संवर्धन गोर्सेवा का कार्य इनकी रग रग में है। निम्न बिन्दु स्मरणार्थ समर्पित है :-

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१. पंचगव्यें (गोदुग्ध, गोबर, गोमूत्र, गोघृत, गोदहि) से निर्मित औषधियों का प्रयोग बीमारियों के इलाज में अधिक से अधिक करें तथा इसका प्रचार करें ।

२. स्वस्थ बने रहने में पंचगव्य के महत्वपूर्ण योगदान का प्रचार आम जन में करें ।

३. व्रणरोपन (ड्रेसिंग) में डेटॉल इत्यादि के बजाय "गो अर्क", त्वचा संबंधी विकारों में सोफ्रामायसिन के बजाय जात्यादि घृत जैसे विकल्प अपनायें ।

४. अर्वाचीन चिकित्सा (ऐलोपॅथी) से होने वाले दुष्प्रभावों (साईड इफेक्टस्) की जानकारी जन सामान्य को देवें । तुलनात्मक पंचगव्य औषधियों की सफलता की जानकारी भी देवें ।

५. पंचगव्य आयुर्वेद का विशेष रुचि के साथ अध्ययन करें। नये छात्रों को पंचगव्य आयुर्वेद अध्ययन की सलाह देवें ।

६. संगोष्टियों में पंचगव्य अनुसंधान पर शोधपत्र प्रस्तुत कर दुसरे वैद्यों को भी इस विषय से जुडने हेतु प्रोत्साहित करें ।

७. सब लोगों को भारतीय नस्ल की गाय के दुग्ध पान की प्रेरणा देवें ।
८. अपने कार्यस्थल पर गो माता का चित्र लगावें व घर में अनिवार्य रुप से गाय पालकर गो सेवा करें ।

९. गो पर्वो व गो उत्सवों जैसे गोपाष्टमी गोवत्सव्दादशी, बलराम जयंती (हलधर षष्ठी), श्री कृष्ण जन्माष्टमी इत्यादी मनाने की प्रेरणा लोगों को देने और स्वयं भी मनावें ।

१०. गो सेवा, गो शाला हेतु धन संग्रह करने में सहयोग देवें ।

११. स्वयं पंचगव्य औषधि निर्माण करें।

१२. गाय के रक्त से बनी डेक्सोरेंज सीरप, गोवंश के पॅनक्रिआज से प्राप्त इंसुलिन, जिलेटीन वाले कॅपसुल, गोवंश की हड्डीयों से बनी Heamaccel औषधि व अन्य कॅल्शियमयुक्त औषधियों का रोगोपचार में उपयोग नहीं करना चाहिये व वैद्यकीय क्षेत्र में इस विषय पर जनजागरण करना चाहिये।

बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

शिक्षक कैसे गौ सेवा कर सकते है

शिक्षक व शिक्षालय


शिक्षालय (विद्यालय) वे कारखाने हैं जहाँ राष्ट्रीय चरित्र को दिग्दर्शित करने वाले उपकरण (विद्यार्थी) गढे जाते हैं। यहाँ का मुख्य अभियांत्रिक शिक्षक है। शिक्षक राष्ट्र निर्माता है। शिक्षालयों को गौ संवर्धन व गौरक्षण का प्रेरणा केन्द्र निम्नांकित निश्चयों से बनाया जा सकता है :-


१. विद्यार्थियों को बाल्यकाल से ही गोवंश की महिमा व अनिवार्यता का बोध कराया जाना चाहिए। शास्त्रों, पुराणों इत्यादि भारतीय वांङ्गमय में उद्‌धृत गौ माता सम्बंधी उध्दरणों को कक्षाओं में पढ़ाया जाना चाहिए।


२. प्रत्येक विद्यालय में गाय रखी जावें और शिक्षक विद्यार्थी मिलकर गो सेवा करें जिससे अल्पायु से ही गो भक्त नागरिक तैयार हों।


३. शिक्षक कक्षाओं में पंचगव्य का महत्व बतावें।


४. पाठ्यक्रमों में गो सेवा व गो महिमा के अध्याय सम्मिलित किये जावें।


५. शिक्षक पंचगव्य से निर्मित मंजन, साबुन, शैम्पू, औषधियों का उपयोग करें व विद्यार्थियों से इनका प्रयोग करने का आग्रह करे।


६. जैविक खाद के उपयोग से पैदा अन्न, फल, सब्जी का उपयोग करने का आग्रह विद्यालयों में किया जावें।


७. विद्यार्थियों को भारतीय नस्त की गाय के गौदुग्ध पान के महत्व का व्यापक प्रचार किया जावे। विद्यालयों में गौ दुग्ध उपलब्ध हो।


८. स्वास्थ्य व पर्यावरण के हित में गौ वंश के महत्त्व को प्रचारित कर विद्यार्थियों को सुशिक्षित किया जाए।


९. विद्यालयों में पंचगव्य औषधि व जैविक कृषि, गो रक्षा का महत्व, जैसे विषयों पर निबंध, वाद-विवाद, भाषण, पोस्टर प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएँ।


१०. विद्यालयों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गोपाष्टमी, बलराम जयंती इत्यादि गोपौँ व गो उत्सवों को मनाया जाए।


११. रासायनिक कृषि के भुमी, स्वास्थ्य व पर्यावरण पर पडनेवाले दुष्प्रभावों की विद्यार्थियों को जानकारी देनी चाहिये।


१२. गौशाला, पंचगव्य औषधि व कृषि उत्पाद तथा पंचगव्य से निर्मित उर्जा केन्द्रों में विद्यार्थियों की शैक्षणिक का आयोजन करें।