भूमाता का प्रतीक :-
एक ओर जहाँ हमारी संस्कृति ने गौ को मानवेतर जीव-सृष्टि क प्रतिनिधि के रूप में हमारे सामने खड़ा किया है, तो दूसरी ओर उसी को भू-माता के प्रतीक के रूप में भी वर्णित किया है। पाप का भार असह्य होने पर पृथ्वी गौ का रूप लेकर भगवान् के पास पहुँचती है और अपने उद्धार के लिए प्रार्थना करती है, ऐसा वर्णन स्थान-स्थान पर हमारे पुराणों में मिलता है। भूमि को हम माता मानते हैं, उसी के कारण हमारी धारणा होती है। वेद में कहा है ‘मताभूमि: पुत्रोऽह पृथिव्या:'। उसी प्रकार ‘गावो विश्वस्य मातर:' यह भी कहा गया है।
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