भारतीय संस्कृति का प्राणभूत तत्व :-
गौ-भक्ति भारतीय संस्कृति का प्राणभूत तत्व है। उसका साक्षात्कार हमारे इतिहास में पग-पग पर पाया जाता है। इतिहास इस बात का साक्षी हैं कि भारत में सदा के लिए रहने की इच्छा से जो परकीय शासक आये थे, वे भी इस प्रभाव से अपने का बचा न पाये। हम नि:संदेह कह सकते हैं कि भारत में राष्ट्रीय कहलाने वाला शासन यदि गौ रक्षा के विषय में उदासीन रहेगा तो जनता के हृदयों पर अधिराज्य नहीं कर सकेगा।
क्योंकि .........
गोभिर्विप्रैः च वेदैश्च सतीभिः सत्यवादिभिः ।
अलुब्धैर्दानशीलैश्च सप्तभिर्धार्यते मही ।।
अलुब्धैर्दानशीलैश्च सप्तभिर्धार्यते मही ।।
गाय, ब्राह्मण, वेद, सती स्त्री, सत्यवादी इन्सान, निर्लोभी, और दानी – इन सात की वजह से पृथ्वी टिकी हुई है।
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् ।
देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ।।
देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ।।
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