शनिवार, 27 अगस्त 2016

अमृत जैसा दूध पिला कर मैंने तुमको बड़ा किया (कविता)

गौ हत्या पर मुझे एक कविता मिली वह कविता मैं
आप सब के साथ शेयर करना चाहता हूँ...
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अमृत जैसा दूध पिला कर मैंने तुमको बड़ा किया,
अपने बच्चे से भी छीना पर मैंने तुमको दूध दिया!!
रूखी सूखी खाती थी मैं, कभी न
किसी को सताती थी मैं,,
कोने में पड़ जाती थी मैं, दूध नहीं दे सकती अब तो गोबर
काम
तो आती थी मैं....!!
मेरे उपलों की आग से तूने, भोजन अपना पकाया था,,
गोबर गैस से रोशन कर के तेरा घर उजलाया था !!
क्यों मुझको बेच रहा रे, उस कसाई के हाथों में...??
पड़ी रहूंगी इक कोने में, मत कर लालच माँ हूँ मैं!!
मर कर भी है कीमत मेरी, खाल भी तेरे काम आए,,
मेरी हड्डी की कुछ कीमत, शायद तू ही घर लाए!!
मैं हूँ तेरे कृष्ण की प्यारी वह कहता था जग से न्यारी,,
उसकी बंसी की धुन पर मैं, भूली थी यह दुनिया सारी!!
मत कर बेटा तू यह पाप, अपनी माँ को न बेच आप,,
रूखी सूखी खा लूँगी मैं किसी को नहीं सताऊँगी मैं!!
तेरे काम ही आई थी मैं तेरे काम ही आउंगी मैं....!!!
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अगर आप गौ से प्यार करते हैं तो गौ माता की यह
पीड़ा जन जन तक पहुँचाने के लिये कृपया कुछ पल
का समय निकाल कर इसे शेयर करें।

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