गुरुवार, 13 जुलाई 2017

गौ सुखी तो राष्ट्र सुखी (1)

गौ सुखी तो राष्ट्र सुखी


निर्विवादित रूप से गाय को हिन्दू धर्म में विशिष्ट स्थान प्राप्त है। गोमाता मातृशक्ति की साक्षात् प्रतिमा है। विश्व मानव के स्वास्थ्य और धन की उन्नति तथा सम्पन्नता के लिए गोपालन व गोधन की सुरक्षा ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है। हमारे शास्त्रों, पुराणों व उपनिषदों ने गो की अपार महिमा गाई है। वेदव्यास जी के अनुसार गायों से सात्त्विक वातावरण का निर्माण होता है। गायों की प्रत्येक वस्तु पावन है और वह संसार के समस्त पदार्थों को पावन कर देती है। गाय का गोबर तथा गोमूत्र शरीर से मल, प्रकुपित दोष तथा दूषित पदार्थों को निकालकर शरीर को शुद्ध व स्वस्थ बना देते हैं। गाय के दूध, घी और गोबर से लेकर मूत्र तक में औषधीय गुण होते हैं।
‘विष्णुधर्मोत्तर पुराण’ के अनुसार गाय के गोबर से लीपा गया स्थान सभी प्रकार से पवित्र हो जाता है। गोबर पृथ्वी का सबसे बड़ा पोषक, दुर्गंधनाशक, कीटनाशक, जीवाणुनाशक व रोगनाशक है। गाय के गोबर में रेडियोएक्टिवत को कम करने का सामथ्र्य होता है। भोपाल गैस त्रासदी के समय भी एक परिवार सुरक्षित बच गया था जो दुर्घटना स्थल से बेहद करीब था। बाद में पता चला कि इस परिवार ने एक दिन पहले ही अपने घर को गाय के गोबर से लीपा था। गो दुग्ध और घी अमृत के तुल्य हैं। गाय एकमात्र पशु है जो सांस लेते समय 5% आॅक्सीजन अपने पास रखती है और 95% प्रकृति को लौटा देती है।


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