गुरुवार, 13 जुलाई 2017

गोरक्षा अत्यन्त आवश्यक है

गोरक्षा अत्यन्त आवश्यक है

समस्त ग्रामीण बंधु तथा शहरों में रहने वाले वे व्यक्ति जो अपने घर पर गो-पालन की व्यवस्था कर सकते हैं, उन्हें अवश्य गो-पालन करना चाहिये, ताकि पौष्टिक आहार के साथ गोबर, गोमूत्र के रूप में खाद, कीटनाशक औषधि एवं ऊर्जा प्राप्त हो सके तथा गौ के सहज वात्सल्य एवं गो-सेवा के पुण्य से जीवन सार्थक हो सके। अन्य व्यक्तियों को भी निकटवर्ती गोशालाओं में जाकर समय-समय पर गो-सेवा करनी चाहिये। सभी को गो-वंश की तस्करी रोकने तथा गो-वध रोकने का पूर्ण प्रयास करना चाहिये।
गोवंश की स्वदेशी प्रजातियों का संरक्षण एवं विकास आज के सामाजिक तथा आर्थिक परिदृश्य में एक ऐसी अपरिहार्यता है, जिससे इनकी उपादेयता के प्रसार के साथ किसानों की उन्नति एवं स्वरोजगार के नये अवसर सृजित होंगे। विश्व मानव के स्वास्थ्य और धन की उन्नति तथा सम्पन्नता के लिये गोपालन व गोधन की सुरक्षा ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
परमपूज्य ब्रह्मर्षि श्रीदेवरहा बाबा के अमृत वचन- ‘गाय के पृष्ठभाग में ब्रह्माजी का, गले में विष्णु भगवान का, मुख में शिवजी का और रोम-रोम में ऋषि-महर्षि, देवताओं का वास है तथा आठ ऐश्वर्यों को लेकर लक्ष्मी माता गाय के गोबर में बसती हैं। गाय की बहुत बड़ी महिमा है। जहाँ गाय के चरण पड़ते हैं, वहाँ देवताओं का वास रहता है। भारत की गरीबी दूर करने के लिये, भारत को समृद्धिशाली बनाने के लिये गोरक्षा अत्यन्त आवश्यक है। हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, पारसी, यहूदी, अंग्रेज- कोई भी हों, यानि सबको गोरक्षा में तत्पर हो जाना चाहिये।’



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