आज कुछ तूफानी नही बल्कि जमीनी करते हैंजमीन से २०००० फुट की उंचाई पर थम्स अप पीने की बजाय जमीनपर रहकर गाय के दूध का आनंद लीजिये, दही की लस्सी पीजिये औरघी मक्खन खाइएआज दक्षिण भारत में सबसे अधिक गौ हत्या हो रही है और वहां केहिन्दू भी गौ मांस का भक्षण कर रहे हैं ,,कारण तेजी सेफैलता इस्लामीकरण और ईसाईकरण और दूसरा कारण महगाई आलू२० रुपये किलो और गौ मांस ४५ रुपये किलो .. गरीबी इंसान सेक्या क्या न करवा दे और हम हिन्दू लोग तो माहिर हैं समझौता करनेमें .हिन्दू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया .. श्री कृष्णजी कोगाय प्रेम इतना अधिक था की वो गाय के ह्रदय में जा बसे ,जब कृष्ण जी गाय के ह्रदय में जा बसे तो सम्पूर्ण देवी देवता(३३कोटि )ने भी यही सोचा की जब कृष्ण गाय में निवास करेंगे तो हमभी गाय में ही निवास करेंगेश्री हरी विष्णु को गाय में निवासकरता देखकर माता लक्ष्मी नेभी गायसे विनती की की उन्हें भी अपने शारीर में स्थान दे गौ माता..गाय नेकहा की मेरे पास कोई जगह नही बची आप मेरे गोबर में निवास करलें ,इसी वजह से जब लक्ष्मी जी कि पूजा होती है तो गोबर का लेपलगाया जाता है. जब गंगा मैया ने देखा कि भगवन शिव भी गाय में निवास करने लगेतो उन्होंने भी पनाह मांगी गौ माता से .गौ माता ने उन्हें मूत्र में स्थानदे दिया , यही वजह है कि गौ मूत्र इतना पावन मन जाता है औररोगों और तमाम असाध्य व्याधियों का उपचार कर देता है यहगौ मूत्र .भोपाल गैस त्रासदी के बाद लाखो लोग मरे किन्तु वही एकबस्ती थी जहाँ के लोग स्वस्थ थे ,कारण यह थाकि हर घर पर गाय केगोबर का लेप लगा था और पूरी बस्ती मेंश्यामा तुलसी जी का पौधा बहुतायत संख्या में थाप्राचीन काल में लोग घर में घुसनेसे पहले हाथ पैर धोकर घर के बाहरबने गोबर के लेप पर पैर रखकर अन्दर आते थे जिससे कीटाणु अन्दरन आयेआज अचानक मैं यह मुद्दा लेकर क्यूँ उठ गया तो सुनिए -देश में प्रतिदिन हजारों कि संख्या में गाय मारी जा रही हैं ख़ास तौरपर वो गाय जो दुधारू नही रहीं , स्वयं कई ग्वाले या आम लोग गायको कसाइयों को बेच आते हैं, यहाँ गौर करने लायक बात यह है कि गायके दूध से ज्यादा उसका मूत्र और गोबर कीमती है , गाय का दूध ३०रुपये लीटर और गौमूत्र को अगर फिल्टर कर दें तो वो ६० से लेकर१५० रुपये लीटर तक बिक जाता है , गाय का गोबर , इससे अच्छी खादकोई भी नही.. हम रासायनिक खादों का प्रयोग करते हैं और बीमारपड़ते हैं और बीमार पड़ने पर अंग्रेजी दवा यानी कि खाद में भी अंग्रेजकमाए और उनकी खाद से जो बिमारी हो उसके इलाजका पैसा वो भी अंग्रेज कमाए. इसी निति के तहत अंग्रेजों ने भारत मेंगौ वध शाला बहुत संख्या में खुलवाई और अपेक्षा कृत कम पढ़े लिखेमुस्लिमों को येसिखा दिया कि गाय का मांस बेचनेपर उन्हें बहुत कमाईहोगीआज इन मुस्लिमों को खुद नही पता कि जिस गाय को वो मारकर बेचरहे हैं उस गाय को जिन्दा रखकर उसकी अल्प सेवा करके उसके मूत्रऔर गोबर से वो कितना कमा सकते हैं .यही हाल हिन्दू का है उन्हें भी नही पता कि गाय अगर दुधारू नही तबभी वो उसके मूत्र और गोबर से बहुत कमा सकते हैं ,इतना कमा सकतेहैं जितना उस गाय को बेचने पर कभी नही कमा सकतेदेश में रोजगार कि कमी नही ..कमी हैसोच की .अगर हम गौ पालन करें तो उसके मूत्र को प्युरीफाइड करनेकी विधि भी बहुत सरल है और इस मूत्र को हम स्वयं खुले बाजार मेंबेच सकते हैं अच्छे दाम पर या फिर कई दवाई कम्पनियाँ हमसे खरीदसकती हैं ये मूत्र.गाय की गोबर की खाद को हम अच्छे दाम में बेच सकते हैं और स्वस्थभारत के निर्माण में एक छोटा सा ही सही योगदान कर सकते हैंजो लोग वास्तु शास्त्र में यकीं रखते हैं उनको भी बता दूँ की गाय जिसघर में हो उस घर में कितने भी वास्तु दोष हों वो घर सदैवफलता फूलता ही रहता है ,गाय सभी वास्तु दोषों का अकेले निवारण करदेती है.इस प्रकार गौ पालन एक ऐसी विधा है जिससे रोजगार ,धर्म ,देश औरसमाज कल्याण और साथ ही आत्म निर्भरता के लिए कई रास्ते खुलतेहैंवन्दे गौ मातरम...............
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