युगों पूर्व सम्मान यह मिला गौ माता को श्री भगवान से |
आज भी माता की थाली पहले लगती आन,बान,शान से ||
श्री भगवान के लिए छप्पन भोग हो या सामान्य प्रशाद |
गौ माता पहले भोजन पाये पिछे स्व्यं त्रिलोकी के नाथ ||
देव पूजन हो या पितृ पूजन गौ माता सर्व प्रथम है |
गौ संग काग,श्वान की भी हो सेवा वेदों का कथन है ||
पहले गौ ग्रास निकालते थे थाली से बुजुर्ग हमारे |
चींटी की भी सेवा हो जाती थी परम्परा के सहारे ||
आज भी कायम है परम्परा वही मेरे हिंदुस्तान में |
कमी आने नही दी सनातन धर्म ने माँ के सम्मान में ||
परिवर्तन बना नियम संसार का ये नियम भी बदल रहा |
पहले होती थी सेवा श्रद्धा से अब दौर नया चल रहा ||
बहुमंजिला भवनों में निवास आज मानव की मजबूरी है |
देव पूज्या गौ माता को रोटी सम्मान से देना जरुरी है ||
कचरे के साथ दी जाती है रोटी सम्माननीय माता को |
प्लास्टिक की थैली सहित मिलता भोजन माता को ||
थैलियाँ बनती जान की आफत माँ को तो ज्ञान नही |
जो पढ़े लिखे समझदार है उनको भी कोई भान नही ||
ज्योतिषी के बताये अनुरूप करते है गौ माता की सेवा |
लाल मंगल की काली शनि की भली करे इनकी देवा ||
गाय में तैंतीस कोटि देवताओं का होता वासस्थान है |
कोटि कोटि बरसाती ममता ये विज्ञान का आख्यान है ||
जैसे भी बन सके जितनी हो सके करो गौ माता की सेवा |
आज के व्यस्ततम समय में गौ हत्या रोक कर पाओ मेवा ||
घर से निकलते समय करो अरविंद अपनी माता की सेवा |
नवग्रह से शुभ फल ही मिलते गौ हो या जन्म दात्री सेवा ||
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