हम में से जो गांवों में पले-बढ़े हैं, उनके लिए गाय का उल्लेख यादें ताजा कर देती है । हमारी पौ फटती थी घर के निकट के गाय के छप्पर से । माताओं के लिये गाय दोहन एक प्रातः कालीन प्रिय कार्य था । एक चमकतें बर्तन के साथ गो छप्पर में जाकर माताएँ गाय को उसके प्रिय नाम से पुकारते हुए प्यार से थपथपातीं । गाय जितना दूध परिवार के लिये छोड़ती, पूरे परिवार, विशेषकर बच्चों के भरपूर पोषण के लिये पर्याप्त रहता, जैसे कि गाय अपने बछड़े को पोषती हो ।
गाय एक गतिमान मंदिर है । तैतीस करोड़ हिंदू देवी-देवताओं के समूह का निवास । गाय जो कि एक चलता फिरता अस्पताल है, ने अमूल्य औषधि के रूप में पंचगव्य दिया है । गाय विश्व की माता है (गावों विश्वस्य मातरः) । वह कृषि, यातायात, खाद्य, औषधि, उद्योग, खेल-कूद, धार्मिक अनुष्ठानों, अर्थव्यवस्था और हमारी भावनात्मक स्थिरता में सहायक है । अति प्राचीन काल से गाय का भारतीय समाज में एक विशिष्ट स्थान है ।
विशेषता
पूंछ :
- जमीन को छूती हुई ।
- पूंछ का जोड़ अनोखा है और यह गर्दन तक लिपट सकता है ।
- मक्खियों और कीटों को भगाती है ।
- जुड़े हुए होने के कारण टहनियां और धूल नहीं चिपकते ।
- भारतीय बैल का खुर छोटा और मजबूत होता है । जिससे जुताई और गाड़ी खींचना सहज हो जाता है ।
- कई भारतीय बैल घोड़े के सूमो के बिना काम कर पाते हैं ।
- ट्रैक्टर के विपरीत बैल, भूमि सतह को कठोर नहीं करता और न ही सहायक कीटों को मारता है ।
- शरीर के विभिन्न गुण धर्म और कार्यकलाप इनसे नियंत्रित होते हैं ।
- गाय बैलों के शरीर में पर्याप्त ‘वै’ गुणसूत्र होने के कारण वह पीढ़ियों तक वंध्या नहीं होती ।
- बेस मेटाबोलिक दर नाम है शरीर द्वारा विश्रामावस्था में श्वास एवं तापमान बनाये रखने जैसी आवश्यक प्रक्रियाओं के संचालन में खर्च की जाने वाली ऊर्जा का ।
- भारतीय गायों में यह दर कम होता है । अतः सूखा पड़ने पर यह थोड़े भोजन से निर्वाह कर लेती हैं । फलतः दुर्बल होने पर भी यह पोषण पाकर पुनः शीघ्र शक्तिशाली बन जाती हैं । ऐसी अस्थायी मुश्किलों के बाद के समय में इसकी दूध उत्पादन या प्रजनन क्षमता प्रभावित नहीं होती ।
- गायों में जन्मजात रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है । इस में चरागाहों में चरने वाली या छप्पर तले रहने वाली गायों में कोई अंतर नहीं होता ।
- इससे उन पर होने वाला चिकित्सा व्यय कम होता है ।
- इसी कारण अमेरिका और यूरोप, भारतीय गायों का आयात कर उनसे संकर प्रजनन के माध्यम से अपनी स्थानीय प्रजातियों की रोग प्रतिरोध क्षमता में सुधार करतें हैं ।
- भारतीय बैल के मजबूत मांस पेशियाँ और लंबे पाँव होते हैं । वह कठिन परिस्थितियों में भी घंटों काम करते हैं ।
- ऊँचे कंधे हल अच्छी तरह उठाते हैं ।
- गायों को एक अति साधारण छप्पर या मात्र एक वृक्ष के नीचे रखा जा सकता है ।
- कुछ भारतीय प्रजातियों को बहुत कम आहार की आवश्यकता होती है ।
- गांवों में साधारणतया दिनभर वे खेतों और वनों में विचरन करती रहती हैं ।
- कुछ भारतीय प्रजातियाँ २० लीटर तक दूध प्रतिदिन दे सकती हैं ।
- दुधारु भारतीय गायों में प्रमुख हैं – गीर, साहिवाल, थारपरकर, राठि एवं सिंबधी ।
- अन्य प्रजातियों को हम बेहतर देखभाल और पोषण से सुधार सकते हैं ।
- यह दूध, दही, घी, गोमूत्र एवं गोबर का सामूहिक नाम है ।
- इनका उपयोग आहार, औषधि, खाद एवं कीटनियंत्रक के रूप में होता है ।
- यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ातें हैं ।
- बिना किन्हीं दुष्प्रभावों के ये कैंसर, तनाव, उच्चरक्तचाप, चर्मरोग और मूत्र संबंधित रोगों से लड़ते हैं ।
छठा ज्ञान
गाय का छठा ज्ञान
गाय का छठा ज्ञान तीव्र होता है । पौराणिक कथाओं में तो गाय के बोलने का उल्लेख हैं । वह किसी आसन्न दुर्घटना की चेतावनी अपने स्वामी को देकर उसके बचने में सहायक होती थी । तब विधाता ने गाय को मूक कर दिया ताकि विधि के विधान में परिवर्तन ना हो ।गाय लोगों के सुख दुःख में प्रभावित होती है । गायों के आंसू बहाने तथा अपने स्वामी से सहानुभूति में आहार न करने के अनेकों उदाहरण हैं ।
संकट का पूर्व ज्ञान :
- महाराष्ट्र के लातूर में ३० सितंबर, १९९३ के दिन एक विनाशकारी भूकंप आया । उस स्थान पर रहनेवाली देवानी गायें उसके कुछ दिन पहले लोगों को चेतावनी के रूप में विचित्र व्यवहार करने लगीं, जैसे रोना, कूदना । उस चेतावनी को हम समझ नहीं पायें ।
- २००४ की त्सुनामी के पहले भी ऐसी घटनाएँ घटी । तब बरगूर, अंब्लाचेरी और कंगायम प्रजाति की गायों ने भी ऐसा ही विचित्र व्यवहार किया । हम पुनः उस संदेश को समझ नहीं पायें ।
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