!! गौ कथा उपनिषद मैं सत्यकाम जाबाल की !!
सत्यकाम
जाबाल एक गुरु के पास ज्ञान लेने के लिए गया। गुरु ने कहा की ज्ञान चाहिए तो पहले
ये गौमाता को ले जा , जब
ये गौमाता की संख्या १००० हो जाये तब वापस
आ जाना मैं तुम्हे ज्ञान दे दूंगा। सत्यकाम जाबाल गौमाता की सेवा मैं लग गया , ऐसी उसने गौमाता की सेवा की उसको पता
ही नहीं हैं, की कितनी गौमाता हैं , एक दिन उसने गिनती की तो 1000
गौमाता थी। उसने सोचा की चलो अब मैं गुरूजी के
पास जाता हूँ। वो सारी गौमाता को लेकर वापस आ रहा था तो रास्ते मैं एक बैल उससे
बाते करने लगा और सारा ज्ञान उसको वही पर उसे बैल ने दे दिया। मतलब ज्ञान देने
वाला एक ही हैं बैल इसीलिए तो शंकर भगवान का वाहन बैल हैं। आपको ज्ञान चाहिए तो
गौमाता और बैल अपने घर मैं रख लो। तुम्हारे शास्त्रों मैं एक असुर आता हैं
महिषासुर। महिष का मतलब होता हैं भैंस और असुर मतलब असुर । मतलब भैस का दूध पिने
से असुर पैदा होता हैं । जिस घर मैं गाय होती हैं उस घर मैं वास्तु दोष नहीं आता
हैं।अगर कोई पंडित आपसे कहे की वास्तुदोष हैं ये खिड़की तुडवा और यहाँ बना तो उसे
बोलोना अरे ओ पंडितजी सीधा बताना भाई की घर मैं गाय रख लो सारा वास्तुदोष ख़तम हो
जायेंगा। बोलो गौमाता की जय.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें