!! गौ कथा गौ धन !!
आज
के दौर में गायों को पालने और खिलाने पिलाने की परंपरा में लगातार कमी आरही है।
कभी हमारा देश पशुपालन में अग्रणी रहा है। देशवासियों की काफी जरूरतों को यही गौधन ही पूरा किया करता था। गाय
से बछड़ा, बछड़ा से बैल, बैल से खेती की जरूरतें पूरी होती हैं। कृषि के लिए
गाय का गोबर आज भी वरदान माना गया है।फिर भी गौ पालन, गौ संरक्षण आदि महत्वपूर्ण क्यों नहीं
है? यह एक विचारणीयप्रश्न है।गाय को गोमाता
के रूप में मानना भी अत्यन्त वैज्ञानिक है । मां के दूध के बाद सबसे पौष्टिक आहार देसी गाय का दूध ही
है । इसमें जीव के लिये उपयोगी ऐसे संजीवन
तत्व है कि इसका सेवन सभी विकारों को दूर रखता है । जिस प्रकार मां जीवन देती है उसी प्रकार गोमाता पूरे
समाज का पोषण करने का सामर्थ्य रखती है । इसमें माता के समान ही संस्कार देने की
भी क्षमता है । देशज वंशों की गाय स्नेह
की प्रतिमूर्ति होती है । गाय जिस प्रकार अपने बछडे अर्थात वत्स को स्नेह देती है वह अनुपमेय है, इसलिये उस भाव को वात्सल्य कहा गया है
। वत्स के प्रति जो भाव है वह वत्सलता है ।
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