!! गौ कथा गो भक्तमाल''!!
इस दुनिया का सबसे प्यारा सब्द हैं माँ और इस
दुनिया का सबसे खतरनाक सब्द हैं ममी और मैं आज दुनिया में सब लोग माँ को भूल गए हैं और मैं - ममी सब की
जुबान पे हैं। हमें सब की जुबान पे माँ लाना हे तो पूरा देस सुधर जायेगा। बोलो गौ
मत की जय। माँ। ( ममी का मतलब लाश मसाले
लगी हुई लाश )
१ -
गावो विश्वस्य मातर। ये तो वेद मैं लिखा है की गाय हमारी ही नहीं पुरे विश्व के
चराचर जगत की माता हैं।
२ -
गोस्तु मात्रा न विद्यते। वेद मैं लिखा हैं की गाय की बराबरी कोई नहीं कर सकता वह
चाहे देवता ही क्यों न हो ।
३ -
सकल सिद्धि एकु के साधे। काय वचन मन गौ आराधे।। गौ माँ को सिर्फ मना लेने से
प्रत्यक्ष देवता के रूप में जो इस पृथ्वी में है सब कार्य सिद्द हो जाते है।
''गो भक्तमाल'' के
रचियता संत श्री रामस्वरूपदास जी महाराज अनंत श्री विभूषित श्रीमुलुक पीठाधिश्वर
बंशीवट, श्रीधाम वृन्दावन संत राजेन्द्र दास जी
महाराज जी के श्री पिता जी महाराज के बहुत करीबी ओरछा (मध्य प्रदेश) श्रीसीता राम
जी सरकार की नगरी से श्री श्याम जी तिवारी जी एवं उनके सहयोगियों को जब मालुम पड़ा
हम भोपाल में गौ सम्मलेन कर रहे है तो हमें भेट करने इस ''गो भक्त माल'' नामक देव दुर्लभ गौ महिमा सद ग्रन्थ
लेकर पहुच गये। उनकी गौ भक्ति को देख मन श्रद्धा से भर गया। और जब ''गो भक्त माल'' पड़ी तो लगा अगर यह ग्रन्थ हमें नहीं
मिलता तो जाने कितना कुछ हम खो बैठते। धन्य है संत श्री रामस्वरुपदास जी जिन्होंने
इतनी खुबसूरत रचना कर डाली जो इस संसार में गौभक्तो के गौभक्ति को उस उचाई पर ले
जा सकती है जिसपर जाना देवताओ को भी दुर्लभ है।कल्युग में गोकुल पथमेड़ा के गौऋषि
संत श्री दत्तशरणानंद महाराज जी की पावन प्रेरणा से रचित यह ग्रन्थ सच में अदितिय
है। हम दोनों कर जोड़ कर संत श्री रामस्वरुपदास महाराज के चरणों कोटि - कोटि नमन
करते है और गौमाता से गुहार लगते है की ''गो भक्तमाल'' के
रचियता संत भगवान के साक्षात् दर्शन हमें अति शीघ्र करायें। जय गो माता जय गोपाल
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