!! गौ कथा विश्वरथ राजा कैसे विश्वामित्र ऋषि बने !!
एक
बार विश्वरथ राजा अपनी सेना के साथ वसिष्ठ ऋषि के आश्रम मैं गया। वसिष्ठ ऋषि ने
पूरी सेना को ५६ प्रकार के व्यंजन खिलाये राजा हैरान हो गया के मैं राजा हु फिर भी
हमारे यहाँ इतना वैभव नहीं हैं , ये
किसका चमत्कार हैं ? वसिष्ठ
ऋषि ने कामधेनु गौ माता के पास राजा को ले गया और कहा के मेरी इष्ट गौ माता हैं और
मैं गाय की ही पूजा करता हु और गौ माता मेरी सारी कामना पूर्ण करती हैं। विश्वरथ
राजा ने कहा सैनिको गाय को खोलो , अब
गौ माता रोने लगी वसिष्ठ ऋषि गौ माता के आगे रोने लगा और कहने लगा माँ मैंने तुमे
राजा को नहीं दिया हैं वो जबरजस्ती आपको ले जा रहा हैं मैं क्या राजा से लडूंगा ? गौ माता ने कहा बता के तू मुझे कितना
प्यार करता हैं ? गौ
माता सिर्फ चारा नहीं चाहती वो तो प्यारा चाहती हैं। वसिष्ठ ऋषि बोले माँ अगर तू
यहाँ से चली जाएँगी तो मैं मर जाऊंगा। बस इतना कहना था की गौ माता ने एक जटका मारा
की तुरंत सारे सैनिक अंधे हो गए। विश्वरथ राजा तब से सब कुछ छोड़ कर भागने लगा और
कहने लगा " धिक् बलं क्षत्रिय बलं ब्रह्म तेजो बलं बलं "मतलब ब्राह्मण
का बल सबसे बड़ा होता हैं , तब
से विश्वरथ राजा ने राजपाट छोड़ दिया और गौ माता ने उसे विश्वामित्र ऋषि बना दिया।
बोलो विश्वामित्र महाराज की जय।
बोलो
गौ माता की जय।
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