!! गौ कथा गाय की परिक्रमा !!
गाय
की परिक्रमा का मतलब पुरे पृथ्वी की परिक्रमा। गणेश भगवान की जननी पार्वती भी है
गाय ! पढ़ें पूरी कहानी ----सृष्टि के निर्माण में जो 32 मूल तत्व घटक के रूप में है वे सारे के
सारे गाय के शरीर में विध्यमान है।अतः गाय की परिक्रमा करना अर्थात पूरी पृथ्वी की
परिक्रमा करना है। गाय जो श्वास छोड़ती है वह वायु एंटी-वाइरस है। गाय द्वारा
छोड़ी गयी श्वास से सभी अदृश्य एवं हानिकारक बैक्टेरिया मर जाते है। गाय के शरीर
से सतत एक दैवीय ऊर्जा निकलती रहती है जो मनुष्य शरीर के लिए बहुत लाभकारी है। यही
कारण है कि गाय की परिक्रमा करने को अति शुभ माना गया है।इसलिए पूर्व में हमारे
पूर्वज - पितर नित्य गौ दूहन के वक्त गाय के पीठ पर हाथ फिराते हुए दो - तीन
परिक्रमा जरूर लगा लेते थे। श्री कृष्ण और ग्वाल बाल तो गायो के चारो ओर परिक्रमा
करने वाले ही खेल ज्यादा खेला करते थे। मूल रूप से हम उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा के
पहाड़ी गाँव के निवासी है।पहले गावं में बिजली होती नहीं थी ६ बजे से घर में आ जाते
अँधेरे में भय वस बचपन में हमें बार - बार नजर लग जाती थी या कहे भूत लग जाता था।
माँ कहती तू एकदम गोरा है इसलिए तुझे नजर या भूत लगता है। इतने बार भूत झाड़ने वाला
या नजर उतारने वाला नहीं मिलता माँ हमें गाय के पूछ से झाड़ देते हम ठीक हो जाते।
मित्रो माँ दुर्गा का ही अंस है गाय हमारे यहाँ बागेश्वर तीर्थ में पार्वती माता
गाय के रूप में और भगवान शिव बाघ के रूप में महर्षि मार्कन्डे को दर्शन दिए और
मार्कंडे जी की बिनती पर ही आज भी बागेश्वर रूप में विराजमान है।यहाँ उतरायणी पर
बहुत बड़ा मेल लगता है और यहाँ तीन नदियों का संगम होने से इस स्थान को उत्तर की
काशी नाम से प्रसिद्दि प्राप्त है।आज भी जब तक यहाँ एक शव नहीं आजाता तब तक ना
भगवान भोले नाथ को भोग लगता है ना ही भष्म चड़ता है। विश्व का एकमात्र स्थान है यह
जहां भग ऊपर लिंग नीचे है। जो गौभक्त एक बार इस स्थान का दर्शन नहीं किया वह कैसा
गौभक्त यह स्थानीय विद्वान ब्राह्मण कहते थे कुछ साल पहले तक। अब तो यहाँ की असली
कहानी को सही - सही बताने वाला भी कोई नहीं होता बस चरसिये - भंगेड़ीये मंदीर के आस
- पास मडराते रहते है। मंदीर में पूजा की भी व्यवस्था हमें तीर्थ के नुसार उत्तम
नहीं लगी।हमने स्थानीय संतओ से इस बारे में बात करनी चाही पर उनकी भी कोई सही
प्रतिक्रिया ना मिल पाई सब कल्युग का प्रभाव है जो भोले की इच्छया -- जन हित में
जारी --
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