गो-मन्त्र जाप से पापनाश [हिन्दीउच्चारण] गाय घृत और दूध देने वाली हैं घृत की उत्पत्ति स्थान, घृत को प्रकट करने वाली घृत की नदी और घृत की भँवर रूप हैं।
वे सदा मेरे घर में निवास करें घृत सदा मेरे हृदय में रहे और मेरी नाभि में रहे तथा मेरे सारे अंगों में रहे और मेरे मन में स्थित रहें
गाय सदा मेरे आगे रहें, गाय सदा मेरे पीछे रहें गाय मेरे चारों ओर रहें तथा मैं गायों के बीच में निवास करूँ ।
जो मनुष्य प्रतिदिन प्रातःकाल और सांयकाल आचमन करके उपर्युक्त मन्त्र का जप है, उसके दिनभर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
वे सदा मेरे घर में निवास करें घृत सदा मेरे हृदय में रहे और मेरी नाभि में रहे तथा मेरे सारे अंगों में रहे और मेरे मन में स्थित रहें
गाय सदा मेरे आगे रहें, गाय सदा मेरे पीछे रहें गाय मेरे चारों ओर रहें तथा मैं गायों के बीच में निवास करूँ ।
जो मनुष्य प्रतिदिन प्रातःकाल और सांयकाल आचमन करके उपर्युक्त मन्त्र का जप है, उसके दिनभर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
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