गौ - चिकित्सा.आँखफूली
गौ - चिकित्सा.आँखफूली ।
########### आँख की फूली #############
गाय- भैंस व अन्य पशु की आँख आ जाने से ( किसी पशु की दोनों आँखें एक साथ आ जाती हैं और किसी पशु की एक आँख आती है ) और अचानक चोट लग जाने से फूली बन जाती है । पहले पशु आँख बन्द रखता है और उसकी आँख से पानी बहता है, फिर पशु की आँख में सफ़ेद झिल्ली की टीकिया बन जाती है। उसके बाद पशु को आँख से नहीं दिखता । उसकी आँख बिलकुल ख़राब हो जाती है। आँख में फूली पड़ते ही इसका इलाज जल्दी होना चाहिए , वरना बाद में इलाज होना कठिन है ।
१ - औषधि --फूली बनते ही पशु की आँख को कनपटी पर चाक़ू द्वारा लगभग अठन्नी की जगह भर, चौथाई हिस्से के बाल खुरचकर निकाल देने चाहिए। इससे वहाँ की जगह लाल हो जायेगी। इसके बाद थोड़ी - सी रूई लेकर उसमें २-३ भिलावें कूट लो । उसका तैल रूई द्वारा सोख लिया जायेगा। भिलावें का बचा हुआ कचरा गिरा देना चाहिए। फिर तैल युक्त रूई लेकर कनपटी पर खुरची हुई जगह पर दोनों तरफ़ की कनपटी पर बार लगा देनी चाहिए , ८ दिन में ज़ख़्म आराम हो जायेगा ।
आलोक-- जिस पशु को यह दवा लगायी जाय, उसे लगभग ८ दिन तक गर्मी में न जाने दिया जाय, क्योंकि सूर्य का प्रकाश वह सहन नहीं कर सकता है। पानी बरसे तो उसको घर बाँधकर रखना चाहिए। पशु यदि पानी में भीगेगा तो दवा रोग पर काम नहीं करेगी ।
२ - औषधि-- पहले बताये गये अनुसार पशु की दोनों कनपटी के बाल उखाड़कर चम्पाथुवर का दूध ( डंडाथुवर ) रूई द्वारा लगभग ८ दिन तक एक समय लगाया जाय।
३ -औषधि-- रोगी पशु की आँख में आगे लिखा हुआ घोल लगभग ८ दिन तक छिड़कना चाहिए-घोल बनाने के लिए , पानी ९६० ग्राम , तम्बाकू ९ ग्राम , चूना डेढ़ ग्राम ,नमक १२ ग्राम , सबको महीन पीसकर पानी में डालकर उबाल लेना चाहिए। फिर छानकर कुनकुना पानी आँखों में छिड़कना चाहिए ।
४ - औषधि -- पानी में घीसा हुआ साभँर ( बारहसिंगा ) का सिंग ३ ग्राम , नींबू का रस ३ ग्राम , ३ ग्राम , मक्खन ३ ग्राम , कामिया सिंदूर ( असली सिंदूर ) ३ ग्राम , सबको मिलाकर तथा मरहम बनाकर रोगी पशु की आँख में ८-१० दिन दोनों समय लगाना चाहिए।
५ - औषधि -- गुराड़ ( सफ़ेद शिरस ) के पौधे की जड़ लाकर तथा पानी द्वारा धोकर उसे गोमूत्र के साथ घिसना चाहिए। इस प्रकार बना हुआ मरहम रोगी की आँख में दोनों समय लगभग १० दिन तक लगाना चाहिए।
६ - औषधि -- गाय का घी और नमक का मरहम बनाकर ८ दिन लगायें पशु की आँख में लगाते रहे ।
७ - औषधि -- गुराड़ सफ़ेद सिरश के पौधे की जड़ को गोघृत के साथ घिसकर दोनों समय २० दिन तक लगाना चाहिए ।
८ - औषधि -- जिस पशु की आँख आ जायें ( किसी पशु की एक और किसी पशु की दोनों आँखे आ जाती हैं ) तो उसे मीठे प्याज़ का रस ९ ग्राम , फिटकरी साढ़े चार ग्राम , आबाँहल्दी भी साढ़े चार ग्राम , लेकर । फिटकरी व आबाँहल्दी को महीन पीसकर उसे प्याज़ के रस में मिलाकर अंजन बना लें। उसे रोगी पशु को रोज़ाना दोनों समय आराम होने तक लगाया जायें ।
९ - औषधि -- अच्छा होने तक रोगी पशु के दोनों सींगों की जड़ के चारों ओर लगभग २० ग्राम , ताज़े नींबू का रस दोनों समय मला जाय। यह आँख आने पर तथा आँख में फूली होने पर भी लाभ करता है।
########### आँख की फूली #############
गाय- भैंस व अन्य पशु की आँख आ जाने से ( किसी पशु की दोनों आँखें एक साथ आ जाती हैं और किसी पशु की एक आँख आती है ) और अचानक चोट लग जाने से फूली बन जाती है । पहले पशु आँख बन्द रखता है और उसकी आँख से पानी बहता है, फिर पशु की आँख में सफ़ेद झिल्ली की टीकिया बन जाती है। उसके बाद पशु को आँख से नहीं दिखता । उसकी आँख बिलकुल ख़राब हो जाती है। आँख में फूली पड़ते ही इसका इलाज जल्दी होना चाहिए , वरना बाद में इलाज होना कठिन है ।
१ - औषधि --फूली बनते ही पशु की आँख को कनपटी पर चाक़ू द्वारा लगभग अठन्नी की जगह भर, चौथाई हिस्से के बाल खुरचकर निकाल देने चाहिए। इससे वहाँ की जगह लाल हो जायेगी। इसके बाद थोड़ी - सी रूई लेकर उसमें २-३ भिलावें कूट लो । उसका तैल रूई द्वारा सोख लिया जायेगा। भिलावें का बचा हुआ कचरा गिरा देना चाहिए। फिर तैल युक्त रूई लेकर कनपटी पर खुरची हुई जगह पर दोनों तरफ़ की कनपटी पर बार लगा देनी चाहिए , ८ दिन में ज़ख़्म आराम हो जायेगा ।
आलोक-- जिस पशु को यह दवा लगायी जाय, उसे लगभग ८ दिन तक गर्मी में न जाने दिया जाय, क्योंकि सूर्य का प्रकाश वह सहन नहीं कर सकता है। पानी बरसे तो उसको घर बाँधकर रखना चाहिए। पशु यदि पानी में भीगेगा तो दवा रोग पर काम नहीं करेगी ।
२ - औषधि-- पहले बताये गये अनुसार पशु की दोनों कनपटी के बाल उखाड़कर चम्पाथुवर का दूध ( डंडाथुवर ) रूई द्वारा लगभग ८ दिन तक एक समय लगाया जाय।
३ -औषधि-- रोगी पशु की आँख में आगे लिखा हुआ घोल लगभग ८ दिन तक छिड़कना चाहिए-घोल बनाने के लिए , पानी ९६० ग्राम , तम्बाकू ९ ग्राम , चूना डेढ़ ग्राम ,नमक १२ ग्राम , सबको महीन पीसकर पानी में डालकर उबाल लेना चाहिए। फिर छानकर कुनकुना पानी आँखों में छिड़कना चाहिए ।
४ - औषधि -- पानी में घीसा हुआ साभँर ( बारहसिंगा ) का सिंग ३ ग्राम , नींबू का रस ३ ग्राम , ३ ग्राम , मक्खन ३ ग्राम , कामिया सिंदूर ( असली सिंदूर ) ३ ग्राम , सबको मिलाकर तथा मरहम बनाकर रोगी पशु की आँख में ८-१० दिन दोनों समय लगाना चाहिए।
५ - औषधि -- गुराड़ ( सफ़ेद शिरस ) के पौधे की जड़ लाकर तथा पानी द्वारा धोकर उसे गोमूत्र के साथ घिसना चाहिए। इस प्रकार बना हुआ मरहम रोगी की आँख में दोनों समय लगभग १० दिन तक लगाना चाहिए।
६ - औषधि -- गाय का घी और नमक का मरहम बनाकर ८ दिन लगायें पशु की आँख में लगाते रहे ।
७ - औषधि -- गुराड़ सफ़ेद सिरश के पौधे की जड़ को गोघृत के साथ घिसकर दोनों समय २० दिन तक लगाना चाहिए ।
८ - औषधि -- जिस पशु की आँख आ जायें ( किसी पशु की एक और किसी पशु की दोनों आँखे आ जाती हैं ) तो उसे मीठे प्याज़ का रस ९ ग्राम , फिटकरी साढ़े चार ग्राम , आबाँहल्दी भी साढ़े चार ग्राम , लेकर । फिटकरी व आबाँहल्दी को महीन पीसकर उसे प्याज़ के रस में मिलाकर अंजन बना लें। उसे रोगी पशु को रोज़ाना दोनों समय आराम होने तक लगाया जायें ।
९ - औषधि -- अच्छा होने तक रोगी पशु के दोनों सींगों की जड़ के चारों ओर लगभग २० ग्राम , ताज़े नींबू का रस दोनों समय मला जाय। यह आँख आने पर तथा आँख में फूली होने पर भी लाभ करता है।
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