गौ - चिकित्सा .नासूर ।
नासूर ( घाव )
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यह रोग फोड़े होने पर होता है । या नस में छेद हो जाने पर होता हैं । कभी - कभी कोई हड्डी रह जाने पर भी नासूर हो जाता है । यह काफ़ी बड़ा फोड़ा हो जाता है और नस में छेद होने पर ख़ून निकलता रहता है ।
१ - औषधि - आवॅला १२ ग्राम , कौड़ी २४ ग्राम , नीला थोथा ५ ग्राम , गाय का घी ५ ग्राम , आॅवले और कचौड़ी को जलाकर , ख़ाक करके , पीसलेना चाहिए । फिर नीले थोथे को पीसकर मिलाना चाहिए । उसमें घी मिलाकर गरम करके गुनगुना कर नासूर में भर देना चाहिए ।
२ - औषधि - नीला थोथा १२ ग्राम , गोमूत्र ९६० ग्राम , नीलेथोथे को महीन पीसकर , उसे गोमूत्र में मिलाकर , पिचकारी द्वारा नासूर में भर देना चाहिए ।
३ - औषधि - काला ढाक , पलाश,की अन्तरछाल २४ ग्राम , गोमूत्र ६० ग्राम , छाल को महीन पीसकर , कपड़े से छानकर , गोमूत्र में मिलाकर , पट्टी से बाँध देना चाहिए । यह पट्टी २४ घन्टे बाद रोज़ बदलते रहना चाहिए ।
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यह रोग फोड़े होने पर होता है । या नस में छेद हो जाने पर होता हैं । कभी - कभी कोई हड्डी रह जाने पर भी नासूर हो जाता है । यह काफ़ी बड़ा फोड़ा हो जाता है और नस में छेद होने पर ख़ून निकलता रहता है ।
१ - औषधि - आवॅला १२ ग्राम , कौड़ी २४ ग्राम , नीला थोथा ५ ग्राम , गाय का घी ५ ग्राम , आॅवले और कचौड़ी को जलाकर , ख़ाक करके , पीसलेना चाहिए । फिर नीले थोथे को पीसकर मिलाना चाहिए । उसमें घी मिलाकर गरम करके गुनगुना कर नासूर में भर देना चाहिए ।
२ - औषधि - नीला थोथा १२ ग्राम , गोमूत्र ९६० ग्राम , नीलेथोथे को महीन पीसकर , उसे गोमूत्र में मिलाकर , पिचकारी द्वारा नासूर में भर देना चाहिए ।
३ - औषधि - काला ढाक , पलाश,की अन्तरछाल २४ ग्राम , गोमूत्र ६० ग्राम , छाल को महीन पीसकर , कपड़े से छानकर , गोमूत्र में मिलाकर , पट्टी से बाँध देना चाहिए । यह पट्टी २४ घन्टे बाद रोज़ बदलते रहना चाहिए ।
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