बुधवार, 14 अक्टूबर 2015

गौ - चिकित्सा. (बत्तीसा चूर्ण )

गौ - चिकित्सा. बत्तीसा । 

बत्तीसा चूर्ण 
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१- अमलतास का गूद्दा - ९६० ग्राम , 
२ - चक्रमर्द के बीज - २१६०ग्राम, 
३ - अजवायन बीज - ९६० ग्राम , 
४ - ज़ीरा बीज - ९६० ग्राम , 
५ - धनियाँ बीज - ९६० ग्राम , 
६ - सनचोरा - ९६० ग्राम , 
७ - कुटकी - ९६० ग्राम , 
८ - चिरायता - ९६० ग्राम , 
९ - नौसादर - ४८० ग्राम , 
१० - इन्द्रायण के बीज - २४० ग्राम , 
११ - फिटकरी सफ़ेद - ९६० ग्राम , 
१२- आँबाहल्दी - २४०० ग्राम , 
१३ - सज्जी - ९६० ग्राम , 
१४ - मेंथी बीज - २१६० ग्राम , 
१५ - कीडामारी, कृमिघातिनी- ४८० ग्राम , 
१६ - काला ज़ीरा बीज - ७२० ग्राम , 
१७ - कडवी कचरी - ७२० ग्राम , 
१८ - नागोरी - ४८० ग्राम , 
१९ - कालीमिर्च बीज - ४८० ग्राम , 
२० - सोंठ - ४८० ग्राम , 
२१ - ढाक,पलाश के बीज - ४८० ग्राम , 
२२ - सनाय पत्तें - ४८० ग्राम , 
२३ - हींग - २४० ग्राम , 
२४ - सौँफ बीज - ९६० ग्राम , 
२५ - ब्रह्मीबूटी पंचांग - ४८० ग्राम , 
२६ - घुड़बच पंचांग - ९६० ग्राम , 
२७ - साँभर बेला पंचांग - ९६० ग्राम , 
२८ - रक्त पुनर्नवा पंचांग - ९६० ग्राम , 
२९ - मालती बेल , डीकामाली पंचांग - ९६० ग्राम , 
३० - काला नमक - ७२० ग्राम , 
३१ - सेंधानमक - ७२० ग्राम , 
३२ - सादा नमक - ७२० ग्राम , 
३३ - तिलपर्णी पंचांग - ९६० ग्राम , 

# - उपरोक्त औषधियों में से कोई १-२ औषधि न मिले या कम मात्रा मे मिलें तो भी चूर्ण बना लेना चाहिए । 

प्रयोग -:- जिस पशु का पेट फुला हो या भैंस के पेट में गैस भर जाये ,उसे आधा सेर गरम पानी मे १०० ग्राम , बत्तीसा चूर्ण मिलाकर नाल व बोतल द्वारा पिला दें । तथा जो पशु पतला गोबर करता हो उसे यह दवा नहीं पिलानी चाहिए । 

विधी -:- उपरोक्त वस्तुओं को निम्न मात्रा में मिलाकर कूटपीसकर , छानकर चूर्ण बना लें । 
दो हिस्सा गेहूँ , एक हिस्सा मक्का के दाने के बराबर खड़ा नमक अलग - अलग भून लें । नमक को भूनते समय चश्मा लगा लेना चाहिए । दोनों को भूनने के बाद पीस लें । फिर रोगी पशु को एक मुट्ठी ,रोज़ सुबह - सायं देना चाहिए । इससे पशु का पेट साफ़ रहता है और पशु तगड़ा रहता है । 

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