गौ - चिकित्सा. बत्तीसा ।
बत्तीसा चूर्ण
===================
१- अमलतास का गूद्दा - ९६० ग्राम ,
२ - चक्रमर्द के बीज - २१६०ग्राम,
३ - अजवायन बीज - ९६० ग्राम ,
४ - ज़ीरा बीज - ९६० ग्राम ,
५ - धनियाँ बीज - ९६० ग्राम ,
६ - सनचोरा - ९६० ग्राम ,
७ - कुटकी - ९६० ग्राम ,
८ - चिरायता - ९६० ग्राम ,
९ - नौसादर - ४८० ग्राम ,
१० - इन्द्रायण के बीज - २४० ग्राम ,
११ - फिटकरी सफ़ेद - ९६० ग्राम ,
१२- आँबाहल्दी - २४०० ग्राम ,
१३ - सज्जी - ९६० ग्राम ,
१४ - मेंथी बीज - २१६० ग्राम ,
१५ - कीडामारी, कृमिघातिनी- ४८० ग्राम ,
१६ - काला ज़ीरा बीज - ७२० ग्राम ,
१७ - कडवी कचरी - ७२० ग्राम ,
१८ - नागोरी - ४८० ग्राम ,
१९ - कालीमिर्च बीज - ४८० ग्राम ,
२० - सोंठ - ४८० ग्राम ,
२१ - ढाक,पलाश के बीज - ४८० ग्राम ,
२२ - सनाय पत्तें - ४८० ग्राम ,
२३ - हींग - २४० ग्राम ,
२४ - सौँफ बीज - ९६० ग्राम ,
२५ - ब्रह्मीबूटी पंचांग - ४८० ग्राम ,
२६ - घुड़बच पंचांग - ९६० ग्राम ,
२७ - साँभर बेला पंचांग - ९६० ग्राम ,
२८ - रक्त पुनर्नवा पंचांग - ९६० ग्राम ,
२९ - मालती बेल , डीकामाली पंचांग - ९६० ग्राम ,
३० - काला नमक - ७२० ग्राम ,
३१ - सेंधानमक - ७२० ग्राम ,
३२ - सादा नमक - ७२० ग्राम ,
३३ - तिलपर्णी पंचांग - ९६० ग्राम ,
# - उपरोक्त औषधियों में से कोई १-२ औषधि न मिले या कम मात्रा मे मिलें तो भी चूर्ण बना लेना चाहिए ।
प्रयोग -:- जिस पशु का पेट फुला हो या भैंस के पेट में गैस भर जाये ,उसे आधा सेर गरम पानी मे १०० ग्राम , बत्तीसा चूर्ण मिलाकर नाल व बोतल द्वारा पिला दें । तथा जो पशु पतला गोबर करता हो उसे यह दवा नहीं पिलानी चाहिए ।
विधी -:- उपरोक्त वस्तुओं को निम्न मात्रा में मिलाकर कूटपीसकर , छानकर चूर्ण बना लें ।
दो हिस्सा गेहूँ , एक हिस्सा मक्का के दाने के बराबर खड़ा नमक अलग - अलग भून लें । नमक को भूनते समय चश्मा लगा लेना चाहिए । दोनों को भूनने के बाद पीस लें । फिर रोगी पशु को एक मुट्ठी ,रोज़ सुबह - सायं देना चाहिए । इससे पशु का पेट साफ़ रहता है और पशु तगड़ा रहता है ।
बत्तीसा चूर्ण
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१- अमलतास का गूद्दा - ९६० ग्राम ,
२ - चक्रमर्द के बीज - २१६०ग्राम,
३ - अजवायन बीज - ९६० ग्राम ,
४ - ज़ीरा बीज - ९६० ग्राम ,
५ - धनियाँ बीज - ९६० ग्राम ,
६ - सनचोरा - ९६० ग्राम ,
७ - कुटकी - ९६० ग्राम ,
८ - चिरायता - ९६० ग्राम ,
९ - नौसादर - ४८० ग्राम ,
१० - इन्द्रायण के बीज - २४० ग्राम ,
११ - फिटकरी सफ़ेद - ९६० ग्राम ,
१२- आँबाहल्दी - २४०० ग्राम ,
१३ - सज्जी - ९६० ग्राम ,
१४ - मेंथी बीज - २१६० ग्राम ,
१५ - कीडामारी, कृमिघातिनी- ४८० ग्राम ,
१६ - काला ज़ीरा बीज - ७२० ग्राम ,
१७ - कडवी कचरी - ७२० ग्राम ,
१८ - नागोरी - ४८० ग्राम ,
१९ - कालीमिर्च बीज - ४८० ग्राम ,
२० - सोंठ - ४८० ग्राम ,
२१ - ढाक,पलाश के बीज - ४८० ग्राम ,
२२ - सनाय पत्तें - ४८० ग्राम ,
२३ - हींग - २४० ग्राम ,
२४ - सौँफ बीज - ९६० ग्राम ,
२५ - ब्रह्मीबूटी पंचांग - ४८० ग्राम ,
२६ - घुड़बच पंचांग - ९६० ग्राम ,
२७ - साँभर बेला पंचांग - ९६० ग्राम ,
२८ - रक्त पुनर्नवा पंचांग - ९६० ग्राम ,
२९ - मालती बेल , डीकामाली पंचांग - ९६० ग्राम ,
३० - काला नमक - ७२० ग्राम ,
३१ - सेंधानमक - ७२० ग्राम ,
३२ - सादा नमक - ७२० ग्राम ,
३३ - तिलपर्णी पंचांग - ९६० ग्राम ,
# - उपरोक्त औषधियों में से कोई १-२ औषधि न मिले या कम मात्रा मे मिलें तो भी चूर्ण बना लेना चाहिए ।
प्रयोग -:- जिस पशु का पेट फुला हो या भैंस के पेट में गैस भर जाये ,उसे आधा सेर गरम पानी मे १०० ग्राम , बत्तीसा चूर्ण मिलाकर नाल व बोतल द्वारा पिला दें । तथा जो पशु पतला गोबर करता हो उसे यह दवा नहीं पिलानी चाहिए ।
विधी -:- उपरोक्त वस्तुओं को निम्न मात्रा में मिलाकर कूटपीसकर , छानकर चूर्ण बना लें ।
दो हिस्सा गेहूँ , एक हिस्सा मक्का के दाने के बराबर खड़ा नमक अलग - अलग भून लें । नमक को भूनते समय चश्मा लगा लेना चाहिए । दोनों को भूनने के बाद पीस लें । फिर रोगी पशु को एक मुट्ठी ,रोज़ सुबह - सायं देना चाहिए । इससे पशु का पेट साफ़ रहता है और पशु तगड़ा रहता है ।
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